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Author Sanjay Kaushik (YouTuber)
कल रात के ख़्वाब में जब उनसे मुलाकात हुई कल रात ख्वाब में जब उनसे मुलाकात हुई वो फिर दिल तोड़ कर चल दिये और कोई नई नही बात हुई #ड्रीम#मीटिंग#लव: मीटिंग इन ड्रीम
roshan
आना है तॊ आ जाना है तो जा.... घुटने पे बैठके तुम्हे मनाना मुझे शोभा देगा क्या? पानी का नही नाम साब्जी को नही दाम बता गोल्डन नेकलेस तुम्हे दिलाऊ कैसे? कुवा सुख गया है नदी नाला रुख गया है बता तेरे प्यार मे शलांग लगाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा.... बेजान सहै पत्थर पर बिना कुछ चडाये बता मान्नत मे तुझे उसीसे मांगु कैसे? भावनिक मै बहोत हू दिल मे तुम्हेहीं रखता हू पानी बचाते बचाते बता आसू अंखोसे बहाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा..... ....रोशन देसाई.... 12/02/20 इन हिंदी
Gaurav Dave g Kumar
भय का भूत भयंकर भारी ना जाने क्या है ये बीमारी हाथ को धोलो मास्क लगालो बचना हो तो करो तेयारी । जब तक वैक्सीन ना अाजाए भूल जाओ गलबहियां यारी । #लॉक🔐डॉन
Kk_upadhyay
ये वीरान सड़के और ये सुनसान चौराहे, वो सुनी गालियां और वो बंद दुकानें, लगता है कहीं गुम है सब पर ना जाने किसे है ढूंढ़ती निगाहें, इन सब से तो दिल नहीं है बेखबर ! पर ये 'गम-ए-इश्क़' नहीं... सब "Lockdown" का है असर।। #लॉक🔐डॉन
@®¥@π $iπh@
#लॉकडाउन याद रहेगा ये वक़्त ज़िन्दगी भर के लिए, कितना तरसते थे हम घर से बाहर निकलने के लिए :-ankahee_lafz #लॉक🔐डॉन
sanskar Choudhury
The lockdown इस लॉकडॉउन की आंधी में ना जाने कितने बेकसूरों को बहते देखा.... वो अपने आशियाने में बड़े अदब से दिये जलते और घंटी बजाते रहे और सड़कों पर भूख प्यास से व्याकुल मजदूरों को रोते देखा वो अपने आत्मनिर्भर और झूठे वादों पर खूब इतराए और स्वदेश निर्माण में व्यस्त मजदूरों के पैरो में छाले देखा एक मां को अपने मासूम के खातिर इस बेदर्द दुनिया से ज्यादा खुद से लड़ते देखा.... सता के नशे में चूर जनाब हिन्दू - मुस्लिम करते रहे मगर फिर भी याकूब के बहो में अमृत को अमर होते देखा... खाकी का रंग सफेद और ईश्वर स्वरुप डाॅक्टर को भी शहिद होते देखा.. कुछ लोग आज भी है इस जमाने में सायद ये दुनिया उन्हीं से चल रही है- उन फरिश्तों को बेशहारो का सहारा बन कर उनकी जीवन की नईया को पार लगाते देखा.... इस लॉकडॉउन की आंधी में ना जाने कितने बेकसूरों को बहते देखा.... - संस्कार #लॉक🔐#डॉन
Ashutosh Wankhade
जे मला पिंजऱ्यामध्ये बंद करत होते ते आज स्वतः बंद आहेत जे माझे पंख कापत होते आज सरकारने त्याचे पंख कापले आहे जे मला माझ्या अन्नाच्या एका दाण्यासाठी कुजवत होते त्यांना आज त्या एका दाण्याचे महत्व कळणार ना... #लॉक🔐डॉन
omprakash
तुम बदले से बदले बदल गये हों। साथ निभाने की जो कसमें खाई। वो तुम भूल गये हों वो....... तुम...... बड़ी चोट सी लगी है,मेरे दिल में। साथ निभाने से पहले तुम साथ छोड़ गये हों। साथ छोड़....... तुम....... मेरी मोहब्बत का क्या कसूर था । जो मेरी मोहब्बत को ढुकारा। गये हों तुम....... सपने जो देखे थे । वो अधूरे हो गये हैं। वो अधूरे....... तुम....... लेखक। ओमप्रकाश जाडन ©omprakash हिंदी फिल्म सॉन