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नारायणी...
Shayar Mukesh Kr Tiwari.
गिरगिट तो खामखां बदनाम है उससे ज्यादा तो यहां लोग रंग बदलते हैं। ©Shayar Mukesh Kr Tiwari. सच है ना,बहुत लोगों को कड़वा लगेगा, जानता हूं,मगर क्या करूं सच बोलने का आदि हूं।बुरा लगे तो इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं।। #Joker
M.K Meet
🙏 धन्यवाद 🙏 ©M. K. Meet #बहनबेटियोकेलिए~~~~ by M.k Meet....✍️ किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोई मंशा नहीं मेरी~~~~~फिर भी अगर कोई मेरी रचना से आहत हुआं हो तो
ताजदार
आहां कs याद अइछ कि नइ, दू रोज पहिले जे हॅम आ आहा भेंट केने रहि कनैलक गाछ के निचा। आ आहा जे चबूतरा पर बइठल हमर हाथ पकड़ने रहूं से हमर गाम के लम्फू छोरा सब कहइत अइछ जे ई प्रेम भेलइ। अहीं कहू त इ हाथ प हाथ धेनाइ कोनो प्रेम भेलइ? प्रेम त उ भेलइ जइमें प्रेमीका के अइख में प्रेमी डुइब जाइ छई। जइमें घंटों साथ में बइसल रहइ कs मोन करइ छई। जइमें नइ दिन के कोनो ठीक रहइ छई आ नइ राइत के कोनो चिंता। जइमें प्रेमी के दिमाग के कोनो ठोर ठिकान नइ रहई छई। जइमें तीमन तरकारी आ सुखल सोहारी सब एके रंग बुझाई छई। प्रेम त उ भेलइ जे हमरा होइए आहाक देख कs नित्तो दिन हर बेर। 349/365 मैथिली भाषा में कुछ लिखने की कोशिश करी हैं मैंने, अगर कोई त्रुटी हो तो क्षमा प्रार्थी हूं। कोनो गलती होइ तs छोट समझि कs माफ करि दे
Vijay Tyagi
"ये बेताब दिल ही करता है दिल्लगी हम से, जब भी उठाया कलम तो कहता है फिर कभी.. फिर कभी.. फिर कभी..." आदरणीय जावेद सर, आपकी अनुमति और मार्गदर्शन से आप के कोट्स भी कॉलैब करता रहता हूंँ। कोई त्रुटि हो तो क्षमा प्रार्थी हूं🙏#ghazal #urdupoetry
भुवनेश शर्मा
..... हरे कृष्णा ♥️🤗 आशा करता हूं आप सभी सकुशल होंगे.. याद करने के लिए आप सभी का आभार और उत्तर ना दे पाने के कारण मैं क्षमा प्रार्थी हूं..!♥️🙇 #
भुवनेश शर्मा
नमस्कार दीदी 🌺🌺🤗 सादर प्रणाम 🙇🙇👏👏 -प्रियतम दीदी🌺🙇, बहुत दिनों से व्यस्तता के चलते आपके हाल-चाल नहीं पूछ पाया इसलिए क्षमा प्रार्थी हूं दीदी..! कैसे हो दीदी आप..? आपका स्वास्थ्य तो ठी
ujjwal pratap singh
फिर किसी के लब की दुआ और किसी के हाथों का सलाम हुआ जाए आओ ढूंढते है कोई अलिफ़ फिर किसी की सुबह-शाम हुआ जाए । ज़िंदगी तो गुजरती है गुजर जाएगी यू भी चलो इबादत_ए_ इश्क़ करे और कतरा-कतरा खूबसूरती से तमाम हुआ जाए । अभी तो आशिक़ी में है जी भर के खुशियां लौटाएगा दो पल हँसी के बचा लेना तेरे गम में काम आएगा । सोचा था सफर इश्क़ का है पर अकेले ही जाएंगे करेंगे इश्क़ की नौकरी पर कभी काम पर नही जाएंगे तुम से मिले तो पता ही बदल गया मेरी महफ़िल का लोग अक्सर मुझे तेरे ख्यालो में भटकता हुआ पाएंगे वादा किया है यारो से अमावस में चाँद दिखाने का तुम कुछ देर के लिए छत पर आ जाना हम शर्त जीत जाएंगे। मैखाने बन्द है शहर में तेरी आँखों का दीदार भी नही होता ख्वाहिश उठी जो पीने की तो आशिक़ कहां जाएंगे । वो कोई और होंगे जो इश्क़ सूरत देखकर दर बदल देते है हमें तो मोहब्बत सीरत से है जब तक जीएंगे महक तेरी दिल में बसाएंगे । रगों से खून निकल जाए तो अपना खून भी रंग बदल देता है तुम्हे भी छूट है तुम भी बदल जाना हम भी सुकून से याद किए जाएंगे ।। टीम 17 __" साहित्य संजीवनी " #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेंगे #साहित्य_संजीवनी एक विनम्र निवेदन टीम कोरा कागज से कि मैंने पह
Raj Yaduvanshi
Rahul Patel Gurjar
वो माँ नौ महीने त्याग कर प्रसव वेदना स्वीकार कर लाई थी इस जहां में तुझे, तू कैसे भूल गई चंद पलों की मोहब्बत के आगे कई वर्षों के उस माँ के दुख, दर्द , प्यार और त्याग को... . तू निस्ठूर बन कैसे भूल गई उस भाई की राखी को, तू कैसे भूल गई उस बाप के प्यारे हाथ को जिसे पकड़ कर तुम पहली बार चली, तू कैसे भूल गई उस बाबुल की बगिया को जिसमे तू बनकर कली खिली, अरे तुझे क्या मालूम उस खिलती कली को देखकर उनको कितनी खुशी मिली... . तूने अपने स्वार्थ के खातिर घर में मातम फैलाया है, अरे तू क्या जाने तेरे गम में बाप अब तक हलक से कोर निगल न पाया हैं... . पिता की पगड़ी को लात मारकर उछाला हैं तूने, माँ की ममता को बड़ी क्रूरता से कुचला है तूने, कुटुंब के सम्मान को शौक से रौंदा है तूने, अपने इश्क़ के खातिर उनके मुंह पर पैरों तले कीचड़ उछाला है तूने... . बरसों के उनके त्याग समर्पण प्यार लाड़ दुलार का जरा भी ख्याल ना आया तुझे, माँ बाप का सम्मान रौंद उस बाबुल को ठोकर मार कर घर छोड़ भागते जरा भी शर्म ना आई तुझे... . अरे! थूकता हूं मैं, तेरे ऐसे इश्क पर जो पिता की सर से पगड़ी उछाल दें, और थूकता हूं मैं, तेरे ऐसे प्रेमी पर जो तेरे यौवन पर ललचा कर तुझे भागने को उकसा दें, और पूछना चाहता हूं मैं, उन तमाम लड़कियों से क्या ऐसी ही होती है..? पापा की परियां जो बिना हथियार पापा के हजार टुकडे कर दें... . मुकम्मल तूने प्यार नहीं घर से भागकर गुनाह किया है, बिन हथियार ही अपने पिता का हृदय लहूलुहान कर उनका कत्ल किया है... . उन्होंने बड़े नाजों से तुझे पलकों पर पाल-पोष कर बड़ा किया है, तूने आज अपने प्रेमी संग मिलकर उन्हें ही बड़ी कठोरता से कटघरे में खड़ा किया है... . और अब इल्ज़ाम लगाती हो मेरा बाप मुझे मारना चाहता है, अरे! वह मरा हुआ बाप तुझे क्या मारेगा वह तो उसी दिन मर गया था जिस दिन तू घर से भाग गई थी... . अब शर्म आती है उस बाप को तुझे बेटी कहते हुए जिसे तू जीते जी मार कर आई थी, अब कैसे बताएं वह भाई तुझे अपनी बहन जिसके प्यार और स्नेह को बुलाकर तू घर से भाग आई थी, अब वह माँ तुझे कैसे अपनी बेटी कहे जिसकी कोख तू लजा कर आई थी, कैसे स्वीकार करें वह परिवार तुझे जिसकी सरेआम तू नाक कटा कर आई थी... . अब हर दिल यही कहता है बेटी तुझसे भूल ये बड़ी हुई है, तूने मंदिर की बनावटी सुंदरता के खातिर भगवान बदल लिया है, तूने मां बाप को अपने ठोकर मार कर जीवन के हर मोड़ पर ठोकरों को अपना लिया है... . वक़्त गवाह हैं जो-जो भी गई भागकर ठोकर ही खाती है, अपनी गलती पर रो-रोकर अश्क बहा कर हुई भयानक भूल सोच कर अब पछताती है... . तुम जैसी बेटियां तो आज मां-बाप, घर-परिवार को बेइज्जत करके भाग जाएगी, पर कल को तुम्हारी इसी करतूत की वजह से न जाने कितनी बेटियां कोख में ही मार दी जाएगी... ©राहुल पटेल #NojotoQuote मेरी लेखनी के माध्यम से मैं उन नादान लड़कियों को और लड़कों को भी संदेश देना चाहता हूं जो प्यार मोहब्बत में पड़कर अपने मां बाप को छोड़कर घर स