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मोहित "बेख़बर"
##आन्चलिक छंद## प्रीतम प्रीत लगाई के,जाई बसों परदेस । वहां से पैसा भेजियो, तासों मिटे क्लेश । तासो मिटे कलेश सहज में दिन कट जावै । जामैं रोज बाजार की टिकिया भल्ला खावै। मोहित कह रहे गाय, आज कल हाल है ऐसा । चाहे मारो काटो तुम जाए हमें बस दे दो पैसा।। ©Mohit Sharma ##प्रीतम प्रीति लगाई कै##
Parasram Arora
एक जानवर के बच्चे की तुलना मे कितना निस्साय साबित होता हैँ आदमी का बच्चा कि ठीक खडे होने मे उसे करीब करीब पचीस बरस लग जाते हैँ जबकि जानवर का बच्चा जन्म लेते ही खड़ा होकर चलने लग जाता हैँ प्रगति या अप्रगति ........
Sneh Sharma
बढ,पीपल और नीम वृक्ष हो या हो वो क्रिसमस ट्री,। साधन सम्पन्न रहे सब, देते हमको यही सीख। तुलसी मां है औषध की खान, करो प्रकृति से प्रीत। मिलजुलकर त्योहार मनाओ , सब है यही देश की रीत।। स्नेह शर्मा ©Sneh Sharma प्रकृति से प्रीत #MerryChristmas
pritima singh
ऐ प्रकृति आज तू हमसे नाराज हो गई, तुझे नाराज करने कि आज हमें सजा मिल गई | तेरी तकलीफ को कभी ना समझ पाए हम, और आज अपनी तकलीफ में तेरे पास ही लौट कर आए हम | हुई थी जो भूल आज उसका एहसास हुआ है हमें, अब मान भी जा ऐ प्रकृति इस भूल के लिए क्षमा कर हमें| ना होगी ऐसी गलती करते हैं तुझसे वादा, तेरा भी ख्याल रखेंगे जैसे तू रखती है खुद से ज्यादा | माफ कर दे ऐ प्रकृति अपने किए पर हम शर्मिंदा हैं, तेरे संग जो किया है हमने उसकी घोर निंदा है | ऐ प्रकृति आज तू हमसे नाराज हो गई | ©pritima singh प्रकृति के प्रति जज्बात #ShahRukhKhan
Anand Dadhich
'प्रगति की चाहतों ने.. ' मानव ने कहीं आग, कहीं बारूद जोड़ा है.. गम हर लेनेवाली.. हवाओं को मोड़ा है, अभिलाषायें अनंत होनी जरुरी तो नहीं.. प्रगति की चाहतों ने.. प्रकृति को तोड़ा है! भूल गया की जीवन.. थोड़े में थोड़ा है, अनजाने में अपने आनंद को मरोड़ा है.. भूल को फिर दोहराना जरुरी तो नहीं.. प्रगति की चाहतों ने.. प्रकृति को निचोड़ा है! क्या एक दिन, एक पेड़ लगाना काफी है? उतना तो वापस करो.. जितना झिंझोड़ा है, हर बार बचकर निकलना जरूरी तो नहीं.. प्रगति की चाहतों ने.. प्रकृति को छोड़ा है। ©Anand Dadhich #प्रगति #प्रकृति #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoetry #eveningthoughts #MoonBehindTree
रामकंवार पारासरिया
प्रीतम तेरी प्रीत में पतली पड़गी जिया सुखी घास, प्रीतम तेरी प्रीत में रोज लगाऊं नित नई आस।। प्रीतम तेरी प्रीत में पतली पड़गी जिया सुखी घास, प्रीतम तेरी प्रीत में रोज लगाऊं नित नई आस।। #love #nojoto #life #dil
Vivek Kumar Sahoo
प्रीति पोथी पढ़-पढ़ जग बया पंडित बयाना कोई ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय। प्रीति
Jiwan Sameer
रिमझिम बूंदों की रुनझुन में टपटप करते प्रीति नयन में बह कर छू छू जाए अंतस् सावन भादो के गर्जन में ऐसे मेघदूत भेजो प्रियवर बरसे तन-मन मेरे घर आंगन में सुरभित सुमन स्नेह भरे हों खिल जाएं वन उपवन में प्रीति