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Sonu Kumar Yadav

प्रेम के झुले

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प्रेम के  झूले 

बालपन से यौवन तक ,
स्वपन तुम्हारा देखा है ,

मैने समस्त संसार में ,
प्रेम तुम में  ही देखा है,

तुम्हे अपने अस्टिव का ,
अभिन हिसा मैने माना है ,

अब तुम से  प्रीम का ,
अपना सम्पूर्ण अस्टिव मुझे पना है ।

सिमरन - सोनू हो जाना है ,
राधा - कृष्ण हो जाना है ।

... कवि सोनू प्रेम के झुले

Ratna Das

#सावन के झुले पड़े #শায়রি

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सुखदीप

लाल मेरी पथ रखियो बाला झुलेलालान #शायरी

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अंदाज़ ए बयाँ...

समझ नहीं आती प्रभु मंशा तुम्हारी ना सुख मिले पूरा ना दुख कोई भारी, जीवन झुल रहा है जन्मोंमरण के झुले में कल्पवृक्ष के मीठे फल बन गए हैं लाचा

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समझ नहीं आती प्रभु मंशा तुम्हारी
ना सुख मिले पूरा ना दुख कोई भारी,
जीवन झुल रहा है जन्मोंमरण के झुले में
कल्पवृक्ष के मीठे फल बन गए हैं लाचारी।
रविकुमार समझ नहीं आती प्रभु मंशा तुम्हारी
ना सुख मिले पूरा ना दुख कोई भारी,
जीवन झुल रहा है जन्मोंमरण के झुले में
कल्पवृक्ष के मीठे फल बन गए हैं लाचा

Ravi Kumar Panchwal

समझ नहीं आती प्रभु मंशा तुम्हारी ना सुख मिले पूरा ना दुख कोई भारी, जीवन झुल रहा है जन्मोंमरण के झुले में कल्पवृक्ष के मीठे फल बन गए हैं लाचा

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समझ नहीं आती प्रभु मंशा तुम्हारी
ना सुख मिले पूरा ना दुख कोई भारी,
जीवन झुल रहा है जन्मोंमरण के झुले में
कल्पवृक्ष के मीठे फल बन गए हैं लाचारी।
रविकुमार समझ नहीं आती प्रभु मंशा तुम्हारी
ना सुख मिले पूरा ना दुख कोई भारी,
जीवन झुल रहा है जन्मोंमरण के झुले में
कल्पवृक्ष के मीठे फल बन गए हैं लाचा

Manju (Queen)

चाँद कभी पूरा कभी आधा लगता है ज़िन्दगी का आईना अधुरा लगता है जब करने बैठते हैं तुमसे प्यार भरी गुफ्तगू ,न जाने क्यों समय कम लगता है व #Chand #कविता #nojotohindi #nojotopoem

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चाँद  चाँद कभी पूरा कभी आधा लगता है 
ज़िन्दगी का आईना अधुरा लगता है  

जब करने बैठते हैं तुमसे प्यार भरी 
गुफ्तगू ,न जाने क्यों समय कम लगता है 

वादों औ य़ादों के झुले में झुलते हैं हम 
कभी अपनी तो कभी तुम्हारी परछाईयों को टटोलते हैं हम चाँद कभी पूरा कभी आधा लगता है 
ज़िन्दगी का आईना अधुरा लगता है  

जब करने बैठते हैं तुमसे प्यार भरी 
गुफ्तगू ,न जाने क्यों समय कम लगता है 

व

Rashmi Hule

जिवन बिताते हूये कभी सिधी राहें भी खडतर हो जाती है. तो कभी उंचे परबत भी सहजता से चढ सकते है कभी बिना जल बहारे सुख जाती हैं तो कभी पथरीले ज #Collab #YourQuoteAndMine #yqtaai #आयुष्यजगताना

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कधी सहजसोपी वाटही खडतर
कधी चढावे सहजच डोंगर 
गळून पडे कधी पाण्यावीन मोहर
खडकाळ जमीनीला फुटे कधी पाझर
झुलत सुखदुःखाच्या झुल्यावर
एकच आयुष्य हे व्हावे मनोहर 

 जिवन बिताते हूये
कभी सिधी राहें भी खडतर हो जाती है. 
तो कभी उंचे परबत भी सहजता से चढ सकते है
कभी बिना जल बहारे सुख जाती हैं 
तो कभी पथरीले ज

maihar rankaj chaurasia

वो बचपन की शैतानी.. जब हम करते थे अपनी मनमानी बारिश में खूब नहाते..माँ को हम रिझाते गुजरे वो पल याद आते हैं जब माँ लोरी गाती थी मर मर सुलाती

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वो बचपन की शैतानी..
जब हम करते थे अपनी मनमानी
बारिश में खूब नहाते..माँ को हम रिझाते
गुजरे वो पल याद आते हैं
जब माँ लोरी गाती थी
मर मर सुलाती थी...
जब मैं रोऊँ वो खुद मनाती थी
वो माँ के शाथ मे मेले जाना..
बदमाशी कर झुले झुल आना..
माँ के साथ मंदिर न जाना करके
  कुल्फी खाने का बहाना..यारों
के शाथ झुला झुल आना...
जब याद आता है वो बचपन....
लगता हैं वैसे भी गुजरे जबानी.... वो बचपन की शैतानी..
जब हम करते थे अपनी मनमानी
बारिश में खूब नहाते..माँ को हम रिझाते
गुजरे वो पल याद आते हैं
जब माँ लोरी गाती थी
मर मर सुलाती

Anita Saini

Hello Resties! ❤️ जब तक दम है क्यूँ ना मुस्कुराएँ...? वक़्त हमारा है अभी चलो खिलखिलाएँ..! गजरे में गुँथे और किसी जूड़े की शोभा बढ़ाएँ, या मंदि #yqbaba #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzpictureprompt #rzpicprompt1809

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जब तक दम है क्यूँ ना अभी मुस्कुराएँ...!
वक़्त हमारा है अभी चलो खिलखिलाएँ..!

गजरे में गुँथे और किसी जूड़े की शोभा बढ़ाएँ,
या मंदिर में भगवान को समर्पित हो आभा पाएँ..!

परवाह नहीं हमें कि कब कौन किधर ले जाएँ..!
अभी शाख पर हैं तो आगे का सोच क्यूँ मुरझाएँ..!!

हरी-भरी है शाख अभी, क्यूँ सूखने का मातम मनाएँ...!
बन के आजाद परिंदे, आओ इस पर झुलें नाचे गाएँ..!! Hello Resties! ❤️
जब तक दम है क्यूँ ना मुस्कुराएँ...?
वक़्त हमारा है अभी चलो खिलखिलाएँ..!

गजरे में गुँथे और किसी जूड़े की शोभा बढ़ाएँ,
या मंदि

Sudha Tripathi

सच कहूँ तो यह जिंदगी न जाने क्यों धूप छाँव सी लगती है... कभी आसमां का विस्तार तो कभी सागर की गंभीरता धारण किए चंद्रशाला सी लगती है.. जो #Twowords

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सच कहूँ तो यह जिंदगी न जाने क्यों धूप छाँव सी लगती  है... 
कभी आसमां का विस्तार  तो कभी सागर की गंभीरता धारण किए चंद्रशाला सी लगती है..
 जो संयम, सेवा,सहिष्णुता संग बढे तो कर्मशाला सी लगती है.., 
 कभी अपने विकृतियों की आहुति देने वाली यज्ञशाला सी लगती है....
जो निर्विकार जीवन को गढने वाले शिल्पियों के लिए पर्वत माला सी लगती है... 
कभी राग रास मे झुले तो सुमन माला सी लगती है... 
जो अटल मनोबल के अस्त्र से विभूषित अस्त्रशाला सी लगती है... 
कभी  सब कुछ दाव पर लगा जांए तो अक्षशाला सी लगती है.... 
जो गुरुसंरक्षण  मिल जाए मुद्रण की टंकशाला सी लगती है... 
कभी हर रस को समाहित सुधाकलश युक्त पाकशाला सी लगती है... 
सच कहूं तो जिंदगी अपने अनुभवों से सिखाने वाली पाठशाला सी लगती है...

©Sudha Tripathi सच कहूँ तो यह जिंदगी न जाने क्यों धूप छाँव सी लगती  है... 
कभी आसमां का विस्तार  तो कभी सागर की गंभीरता धारण किए चंद्रशाला सी लगती है..
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