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सिंह
अब छठ घाट पर उ बात ना रहल जल्दी में बनावल ठेकुआ में उ स्वाद ना रहल अब छठ घाट पर उ बात ना रहल पहिले जाते ही छठी मैया के गोर लागत रहे लोग अब जाते जी सेल्फी लेवे में व्यस्त हो जा ता सब केहू एक मिनट साथे बैठ के सूरज के देखे के उल्लास ना रहल अब छठ घाट पर उ बात ना रहल । 'सिंह' ©सिंह #भुजपुरी#कविता#सिंह #Texture
richa verma
कौन जीता युद्ध में राजनीति कलुष, कौन हारा युद्ध में हर जीवित मनुष्य। #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqhindi कविता सिंह जी आपकी रचना से प्रभावित 🙏🙏
vishnu prabhakar singh
कवि के पेट में नही खून में कूदते हैं चूहे जैसे मन का दर्पण आगे देखने ही नहीं देता प्रतिबिम्ब दिखाता रहता है जिससे उबाल बढ़ता है कूदने लगते हैं चूहे भाव प्रधानता में तीव्र सहजता से भांपना जो चुभती है कलम की नोख बन कर वो जानता है कवि सधेगा तो कविता सधेगी! कवि के पेट में नहीं खून में कूदते हैं चूहे #मै_कविता #कोईमुश्किलनहीं #प्रतिस्पर्धा #yqdidi #YourQuoteAndMine
vishnu prabhakar singh
भाइयों भाइयों भाइयों कुछ लोग नहीं मानते अपनी स्मृति से लगे हुए परंतु आप मानिये साधिकार! देखा ही होगा घोषणा अल्लाह बाद बैंक अब, इंडियन बैंक हो गया है इंडियन अर्थात इण्डिया का घबराइये मत, इण्डिया नहीं बदलेगा शोध की समानांतर रेखा मिली है जो मुए विदेशियों के प्राचीन सम्बोधन का आधार पीट रही है। संप्रति, कोई संभावना नहीं। जैसे, आत्मीय इलाहाबाद नहीं बदला। नाम पहचान है शहर की जान है... चित्र साभार गूगल #मै_कविता #आख़िरतो #शहर
Nidhi Agrawal
प्रिय नारी तुम अबला नहीं हो तुम क्यों सोचती हो कि तुम्हें कोई उठाने आएगा कोई हाथ बढ़ाएगा कोई तुम्हें सम्मान दिलाएगा यह झूठ है कोई नहीं आने वाला तुम्हें खुद उठना होगा तुम्हें खुद चलना होगा जहां से रास्ता मिले वहां से चलना होगा और यदि रास्ता ना भी मिले तो विश्वास रखो तुम जहां से चलोगी वहीं रास्ता बन जाएगा याद रखो तुम प्रेम हो पूर्ण हो सक्षम हो और स्वाभिमानी भी हो... गोपिका जी, अशेष_शून्य जी, कविता सिंहजी, Neha Mishra ji, 𝑵𝒆𝒆𝒕𝒖 𝑺𝒊𝒏𝒉𝒂ji मेरी सभी प्यारी प्यारी मित्रों को महिला दिवस की शुभकामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐 💕💕
Anita Saini
ये धरा के वक्ष पर बहेंगें पूरे मास हर लेंगे उसकी समस्त पीड़! प्रेम कभी सूखने नहीं देता अपना पौधा! प्रेम की बारिश में आत्मा पूर्णतया भीग जाती है... सूखना किसे है 😊 ओ, कविता! तुम भी रची गई प्रेम में,
vishnu prabhakar singh
पाठक पात्र हुए! (कृपया, मेरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) मिट्टी अन्न पेड़ मेरे शब्द हैं मै अक्सर लिखकर भूल जाता हूँ कई कई दिनों तक पलटता तक नहीं महीनों पहले मै धान लिख रहा था