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Mahesh Kumar
मैं जीतूंगा मैं दिल से अभी, हारा नहीं हूं। खुद की नजरों में मैं, बेचारा नहीं हूं। मैं हारा नहीं हूं।
KAKE KA RADIO
तेज़ बहाव से ही कट जाए जो, नदी का वो कमज़ोर किनारा नहीं हूँ । ए दुनिया वालों - अभी मैं हारा नहीं हूँ । अभी मैं हारा नहीं हूँ #hindi #poetry
Nisha Ahirwar
जब तक मैं हारा नहीं, तब तक मैं जीता नहीं..., जब तक भरोसा टूटा नहीं, तब तक खुद से जुड़ा नहीं.. जब तक खुद को समझा नहीं, तब तक जीवन जिया नहीं.. जब तक नीचे गिरा नहीं, तब तक ऊपर उठा नहीं...! जब तक मैं हारा नहीं, तब तक मैं जीता नहीं..... -Nisha Ahirwar #जब तक मैं हारा नहीं, तब तक मैं जीता नहीं। #सफलता
Ompal
Kr.Deepak Sagar
मैं हारा नहीं हूं, बस अभी थोड़ा ठहर गया हूं, कुछ मजबूरियां है जिसे निभानी है बाकी सपने भी हैं जिसे , मुझे पूरे करने भी हैं लेकिन बस अभी थोड़ा ठहर गया हूं। मैं हारा नहीं हूं, बस अभी थोड़ा ठहर गया हूं, कुछ मजबूरियां है जिसे निभानी है बाकी सपने भी हैं जिसे , मुझे पूरे करने भी हैं लेकिन बस अभी
Rajat_Rashid R.R.Borkar
sir..... and i will fight through the paths, i will fight till i give up. Because "success is my best life" i will not fight with my life, sir, i will fight for my life, and i will fight till i prove who i am. sir, i am not defeated, Because i am not even dead yet. rajat_rashid r.r.borka साहब.....और मैं रास्तों से भी लढूंगा, तब तक लढूंगा, जब तक मैं हार नहीं मान लेता. क्योंकि "सफलता मेरी बेहतरीन जिंदगी हैं" मैं मेरी जिंदगी से
alex akash
खाली हूं, ख़ामोश हूं, उदास हूं, ऐ ज़िन्दगी मैं भी तेरी एक आवाज़ हूं, शुष्क है, नम है आंखे कितनी गर्म है, एक सपने मेरे मुझसे ही तंग है, ठहरा हूं, गम में हूं दिखता कोई रास्ता नही है, ऐ मौत लगता है मैं तेरे क़रीब हूं, शून्य हूं, आकाश हूं मैं एक ध्वज विकराल हूं, मैं हारा नहीं, मैं अब भी अपनी एक आवाज़ हूं, आस हूं, प्यार हूं, थोड़ा परेशान हूं, मुझे पता नहीं मैं किसके साथ हूं। खाली हूं, ख़ामोश हूं, उदास हूं, ऐ ज़िन्दगी मैं भी तेरी एक आवाज़ हूं, शुष्क है, नम है आंखे कितनी गर्म है, एक सपने मेरे मुझसे ही तंग है, ठहर
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I'm not a loser read in caption I'm not a loser हूँ तिनका समंदर का पर खारा नहीं हूँ हैरां हूँ, मगर हारा नहीं हूँ।। दो गुनी रफ़्तार से आई है
रजनीश "स्वच्छंद"
जो दिखता है वो बिकता है।। जो दिखता है वो बिकता, सच कहाँ कब टिकता है। जीवन का एक एक पन्ना, बिखरा बिखरा मिलता है। ढोंग हुआ एक रोग बुरा, हर चेहरे पे जो जंचता है। सस्ता हुआ है लहु हमारा, हाथों में मेहंदी सा रचता है। कानून कहां और न्याय कहाँ, पलड़ा अब किसका भारी है। रहे सहायक सबल के सब ही, बस वही कहानी जारी है। भूखा रहा है भविष्य हमारा, ये अब भी मांटी फांक रहा। अहा, लाजवाब कुत्ता देखो, उस गाड़ी से है झांक रहा। लिए तराजू घुमा जग सारा, किस पलड़ा किसे बिठाऊँ में। बहुरूपिये इस समाज मे, किस किस का चेहरा दिखाऊँ मैं। बहन बेटी और मां भी रोती, कलियुग ने लिया अवतार है। गुंडों की बस्ती है ये दुनिया, यहां गुंडा ही बना सरदार है। किसे सुनाऊं क्या कह आऊं, है कौन सुने जो व्यथा हमारी। कहीं राम कृष्ण भी रोते होंगे, जग ने समझी न कथा हमारी। कृष्ण की बंसी बनी है सिटी, राम घर बैठा ऊंघ रहा है। खुली आंख सोया पौरुष है, कुत्ता मुंह को सूंघ रहा है। किस कचहरी पड़ेगी अर्ज़ी, करता सुनवाई कोई नहीं। सच की है पहचान सभी को, करता अगुआई कोई नहीं। कलम लिए लिखता जाउँ, पर दिखता नहीं है अंत कभी। स्वांग रचा कुटिया हैं बैठे, सुचिता के हैं जो संत सभी। मैं हारा नहीं, न मानूँ हार, मेरी कलम ये चलती जाएगी। एक आस लिए चलता मन मे, वो सुबह कभी तो आएगी। ©रजनीश "स्वछंद" जो दिखता है वो बिकता है।। जो दिखता है वो बिकता, सच कहाँ कब टिकता है। जीवन का एक एक पन्ना, बिखरा बिखरा मिलता है। ढोंग हुआ एक रोग बुरा,
Harun Ali
सहना था दुख मुझे अभी कुछ और हैं मुश्किल। इन मुश्किलों से टूटकर हारा नहीं हूं मैं।। ©Harun Ali हारा नहीं हूं मैं~