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Ek villain

#कभी फैक्ट्री की अद्भुत उत्पादन #MusicLove #Society

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रामलाल की साबुन फैक्ट्री दी साबुन बहुत लोकप्रिय हुआ तो अधिक लाभ घुटने के चक्कर में ज्यादा मिला मिलावट शरण में गमछी हो जाते नतीजा उनके साबुन से कपड़े साफ होने की वजह फटने लगे आखिरकार उपभोक्ताओं ने उनके उत्पाद को नमस्ते कह दिया मगर पापी पेट पालने के लिए कुछ तो पुणे करना ही था तो उन्होंने अपनी फैक्ट्री की कवि फैक्ट्री में बदल दिया लोग कल महा कवियों को पता चला कि कभी सर्दी में कविता की मरम्मत होती है और फिर वह वहां से छनकर एक कार्य कविता निकलती है तो फैक्ट्री में कवियों की घनघोर दामाद होने लगी धामी ने हर कविता सुनने का अपना रेट फिक्स कर दिया कुछ दिन तक तो मामला ठीक चला लेकिन फिर यह कभी को ऐतराज होने लगा कि मेरी कविता की कुछ ज्यादा ही चीर फाड़ हो रही है कभी एक दूसरे से झगड़ने लगे वसंत पंचमी पर हुई कसौटी में तो मारपीट की नौबत आ गई एक नए काम है निराला हूं दूसरा बोला मैं निराला का साला हूं तीसरा चीका में दिनकर से कम नहीं यह सुन चौथा हजारे अरे मैं तो कुछ दम नहीं तभी पांचवी आवाज आई में महादेवी वर्मा बन रही हूं बस यही वह क्षण था जिसने व्यवस्थित मास कारों को वीडियो बनाया उसे वायरल करने का अवसर दे दिया गजब का कोई जलीय वीडियो बना भाई

©Ek villain #कभी फैक्ट्री की अद्भुत उत्पादन

#MusicLove

Ganesh Jaat

फैक्ट्री #विचार

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mute video

Shahab

मिठास मोहब्बत की कैसे मनाती वो " चॉकलेट डे "

उसका वाला तो गुटखा खाता है ...

©Shahab #गुटखा

Anand Kumar Ashodhiya

श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

हर नुक्कड़ चौराहे पे, पान की दूकान पर,
भिन्न भिन्न आकार में, भिन्न भिन्न प्रकार में,
आपकी सेवा में उपलब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

आप भी आएं, दूसरों को भी लाएं,
खुद भी खाएं, दूसरों को भी खिलाएं,
क्योंकि सहजता व प्रचुरता में उबलब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

गले और गाल के कैंसर की गारंटी है
जवानी में ही बुढ़ापे के असर की गारंटी है
धीरे धीरे गुटक लेता हूँ इंसानों की जान, मुझे गुटखा कहते हैं!

खांसी कफ़ के साथ साथ, दांत भी खराब होंगे
शारीरिक कमजोरी के संग, गुर्दे और आंत भी खराब होंगे
मेरे भेजे मुर्दो से तो क्षुब्ध है श्मशान, मुझे गुटखा कहते हैं!

छोटी मोटी विपदा नहीं, साक्षात् काल हूँ मैं,
यम यहाँ, दम वहां, उससे भी विकराल हूँ मैं,
साक्षात् मौत के सामान का प्रारब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

जीवन पर्यंत आपको कंगाल बनाए रखूगा,
इस बेशकीमती ज़हर का गुलाम बनाए रखूगा
आप फिर भी मुझे गुटक रहे हैं, स्तब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015 #हिन्दीकविता #गुटखा 

#आजकाविचार

Devkaran

एक जंगल में एक दारू की फैक्ट्री थी #Love

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Mahfuz nisar

शीर्षक ::::::::: आटा फैक्ट्री

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शीर्षक ::::::::: आटा फैक्ट्री
रोटी नहीं बन पायी, 
आटा बहुत था, 
पूरी फैक्ट्री थी,
बस मेरे पैसे ख़तम हो गए 
मैंने घर जा सकूँ इसलिए सारे पैसे से एक साइकिल ख़रीद ली
मैं कहीं नहीं हूँ। 
✍महफूज़ शीर्षक ::::::::: आटा फैक्ट्री
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