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Poet Shivam Singh Sisodiya
नमो वृंदावनैकाय तुभ्यं गोलोकमौलिने | पूर्णब्रह्मस्य छत्राय नमः गोवर्धनाय च || (गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड) अर्थात् अर्थात् जो वृंदावन के अंक में अवस्थित तथा श्रीकृष्ण के परमधाम गोलोक के मुकुट हैं, जो पूर्णब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण के छत्ररूप हैं, उन गिरिराज गोवर्धन को नमस्कार है | नमो वृंदावनैकाय तुभ्यं गोलोकमौलिने | पूर्णब्रह्मतपत्त्राय नमः गोवर्धनाय च || (गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड) अर्थात् अर्थात् जो वृंदावन के अंक
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
राधे-राधे जय श्री ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust हमारे ब्रज की रसिक पागल बाबा जोकि भजन सम्राट हैं उनका गोलोक गमन हो गया है ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें राधे राधे
Poet Shivam Singh Sisodiya
जय जय जगन्नाथ शचीर नन्दन | त्रिभुवन कोरे जार चरण वन्दन || 🐚🔅📍🌷 नीलाचले शंख चक्र गदा पद्म धर | नदीया नगरे दण्ड कमण्डलु कर || 🙏🏻 केहो बोले पूरवे रावण बधिला | गोलोकेर वैभव लीला प्रकाश कोरिला || बंगाली महाकवि वासुदेव घोष जय जय जगन्नाथ शचीर नन्दन | त्रिभुवन कोरे जार चरण वन्दन || 🐚🔅📍🌷 नीलाचले शंख चक्र गदा पद्म धर | नदीया नगरे दण्ड कमण्डलु कर || 🙏🏻 केहो बोले पूर
Poet Shivam Singh Sisodiya
इंद्र द्वारा स्तुति ऊँ नमो गोवर्धनोद्धरणाय गोविन्दाय गोकुलनिवासाय गोपालाय गोपालपतये गोपीजनभर्त्रे गिरिजोद्धर्त्रे करूणानिधये जगद्विधये जगन्मंगलाय जगन्निवासाय जगन्मोहनाय कोटिमन्मथमन्मथाय वृषभानुसुतावराय श्रीनन्दराजकुलप्रदीपाय श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय त्वसंख्यब्रह्माण्डपतये गोलोकधामधिषणाधिपतये स्वयं भगवते सबलाय नमस्ते नमस्ते नमस्ते । (गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड) गोवर्धन धारण लीला के बाद (इंद्र द्वारा भगवान की स्तुति) ऊँ नमो गोवर्धनोद्धरणाय गोविन्दाय गोकुलनिवासाय गोपालाय गोपालपतये गोपीजनभर्त्रे गिर
Asha Giri
काल गुज़र गया,पर मिसाल रह गई, रानी लक्ष्मी बाई हर युग के,औरतों के लिए कमाल बन गई।। यूँ बैठना नहीं है इंतज़ार में,के कोई आएगा और हमारी ढाल बनेगा, खुद के तलवार उठाए बिना,कोई जंग जीती नहीं जाती? जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी, यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी, होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी, हो मदमाती विजय
#maxicandragon
आजादी आई सुनो रे साथी जब चली चरखे की आँधी गर्दन गोरो की काट रहे थे जिसे चला रहे थे गाँधी जनता सारी सो रही थी फौज हिंद सब रो रही थी ताश शतरंज सब खेल रहे थे देशभक्त और क्रांतिकारी धोती चरखा सभी स्वदेशी वो एक बनिया रहा विदेशी घिरा बीच में बम गोलों से नग्ननारी देसी विदेशी आश्रम ही था वो हेडक्वार्टर् भरे पडे थे पऊआ क्वाटर नही भले तासीर पचाने चहिए चखना काजू पापड गोरा देखा किया जो अंदर विरह में हो गया भगंदर धोती फाड वो नग्न पडा था मांग रहा बादाम चुकंदर गांधी जब हथियार दिखाया गोरो को कुछ समझ न आया देखी बाल जाल सी रचना लगा गोरो को मुश्किल है बचना डरकर रात ही देश थमाया स्वयं को जैसे शोषण से बचाया नमन करो रे सब संग साथी तुम्हारी, मदरटेरेसा बापूगाँधी #Charkha #चरखा #Sadharanmanushya ©#maxicandragon आजादी आई सुनो रे साथी जब चली चरखे की आँधी गर्दन गोरो की काट रहे थे जिसे चला रहे थे गाँधी जनता सारी सो रही थी फौज हिंद सब रो रही थी ताश
Vikas Sharma Shivaaya'
एक परमात्मा ही अनेक रूप में प्रविष्ट होता है जिस रूप या उपाधि से वह समस्त ब्रह्मांडो असख्य ब्रह्मांडो का स्वामी या प्रभु रहता है तब वह महाविष्णु कहलाता है और जब वह प्रत्येक ब्रह्मांडो का स्वतंत्र रूप से पालन करता है तब विष्णु कहलाता है..., परमेश्वर सदाशिव (शिव, शंकर, रुद्र या महेश नहीं) के तीन प्रकट रूपों में से प्रथम भगवान विष्णु के 24 अवतार माने गए हैं, उनमें से ही दो अवतार हैं- नर और नारायण- हम जिन्हें नारायण कहते हैं वे विष्णु के अवतार हैं..., भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु एक ही हैं परंतु बैकुण्ठ में तथा गोलोक वृंदावन में व्यावहारिक सम्बन्ध अलग-अलग हैं। वह धाम जहाँ उनके स्वांश (विष्णु या नारायण) निवास करते हैं, बैकुण्ठ कहलाते हैं, जहां भगवान नारायण रूप में रहते हैं..., माना गया है कि विष्णु के दो रूप हुए। प्रथम रूप-- प्रधान पुरुष और दूसरा रूप 'काल' है, ये ही दोनों सृष्टि और प्रलय को अथवा प्रकृति और पुरुष को संयुक्त और वियुक्त करते हैं..., 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' एक परमात्मा ही अनेक रूप में प्रविष्ट होता है जिस रूप या उपाधि से वह समस्त ब्रह्मांडो असख्य ब्रह्मांडो का स्वामी या प्रभु रहता है तब वह महावि
Shyamal Kumar Rai
Jyoti choudhary
राधा कन्हैया एक दूजे के लिए बने रिश्ते दिलों से जुड़ते हैं मंगलसूत्र से नहीं। राधा जी और कान्हा जी क्यों नहीं मिल पाये थे । ● ● ● आज का विषय...... ● ● ●
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust