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Ravi Kant

बचपन बचपन Childhood कविता

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Prashant Badal

बचपन या बचपना #ChildrensDay #बचपन #बचपना #शायरी

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बचपन या बचपना,
दोनो अब दूर है,
बचपन का लौटना तो नामुमकिन है,
मगर बचपना लौट सकता है,
दिल खोलकर , चिंतामुक्त हो कर,
चलो एक बार बचपना करते है,
हम सब अपने बचपन को फिर से जवां करते है।।
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 
❤️❤️❤️
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻

©Prashant Badal बचपन या बचपना
#ChildrensDay #बचपन #बचपना

राजीव भारती

# कविता/बचपन

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बचपन होता है कितना मासूम,
छल - प्रपंच से एकदम अंजान।
जाति- पाति का भेद नहीं जाने,
मुखमंडल पर प्रतिपल मुस्कान।।
कभी रूठना और कभी मनाना,
झगड़ों का ख़ुद करते समाधान।
मिल जुलकर रहते हैं आपस में,
नहीं बघारते हैं कभी झूठी शान।।
मस्त मलंग सदृश उनका जीवन,
कटुता का अल्प मात्र नहीं भान।
फ़िक्र नहीं करते धूप बारिश की,
नहीं तनिक मन में हो अभिमान।।
जीवन हो कतिपय ही आनंदित,
सुख - दुःख का नहीं कोई ज्ञान।।
हर्षित रहता सर्वदा ही तन-मन,
मोह-माया भी नहीं करें परेशान।
नहीं घमंड अथवा लोभ मन में,
एक दूजे के प्रति मान -सम्मान।।
रहें विरक्त संसार के उलझन से,
ऊंच नीच न कर पायें व्यवधान।।

राजीव भारती

©Rajiv Ranjan Verma # कविता/बचपन

Manak Suthar

बचपन और बचपना #बचपन

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कोरे कागज पर एक याद लिखी  है
बचपन में की थी जो वो बात लिखी है
छोटी बड़ी बात पर मां की हर डांट लिखी है
पापा की हिदायत भरी हर आवाज लिखी है
लड़ती झगड़ती बहन को प्यार की सौगात लिखी है
हॉस्टल में बीती पहली रात में बही अश्रुधार लिखी है 
स्कूल में बने हर एक दोस्त की मुस्कुराहट लिखी है 
बचपन की  तमाम चटपटी हरकतों को फिर एक साथ लिखी है
कागज की कश्ती को फिर सावन की बरसात लिखी है 
यादों के सफर में खो जाने को एक सुहानी शाम लिखी है
बचपन की मासूमियत को एक प्यार भरी रात लिखी है 
 कागज भरा है अभी तो यादें सिर्फ चार लिखी है बचपन और बचपना 

#बचपन

Riyanshu Thakur

#ChildrensDay Dhanraj Gamare srk Writers बचपन पर कविता

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बचपन

एक बचपन का जमाना था
जिसमे खुशियों का खजाना था...

चाहत चांद को पाने की थी पर,
दिल तितली का दीवाना था...

खबर ना थी कुछ सुबह की 
ना शाम का ठिकाना था...

थक कर आना स्कूल से पर,
खेलने भी जाना था...

                                                                      मां की कहानी थी परियों
                                                                       का फसाना था...
      
                                                                       बारिश की कागज की नाव
                                                                          थी, हर मौसम सुहाना था...

                                                                        रोने की वजह ना थी ना,
                                                                       हसने का बहाना था...
   
                                                                             क्यूं हो गए हम इतने बड़े इससे 
                                                                           अच्छा तो वो बचपन का जमाना
                                                                             था...वो बचपन का जमाना था।..

©Riyanshu Thakur #ChildrensDay  Dhanraj Gamare srk Writers बचपन पर कविता

खामोशी और दस्तक

वो khte है हम मेंं , अब भी बचपना है bhut
वो जलते है हमसे की हमारी रूह अब भी ज़िंदा है #बचपन #बचपना
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