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Raunak (Srijan)
मैं आज भ्रमण को उठ चला चला गांव गांव चला शहर शहर कभी रवि-ऊष्मा से बदन जला कभी नदी नदी कभी नहर नहर गांवों में थकन घनघोर देखा आलस का ज़हर हर शहर शहर देखी भौं पर चिंता की रेखा हर घड़ी घड़ी हर पहर पहर कहीं खेतों को ऋण लेते देखा देखी नदिया की लहर लहर प्रचंड लचर पर होते देखा खेतों के ऋण का क़हर क़हर जनभूमि छोड़ परिवार छोड़ पक्षी की तरह कभी भ्रमर भ्रमर आए हैं शहर घरबार छोड़ कभी पवन वेग कभी ठहर ठहर शाखों से लटकते देखा बचपन हर बाग बाग उपवन उपवन कहीं देखे झूलते निर्जीव बदन हर डार डार तरुवर तरुवर #निर्जीव_बदन
Parasram Arora
अमोघ अंधेरों मे सरकते हुए ज़ब मै पहुंचा था उस पार मैंने पाया मेरी हसरतें बहुत ज्यादा थीं और वक़्त काफी कम था सताया हुआ मन और तपा हुआ तन लेकर ज़ब मै परंरागत मार्ग पर चल पढ़ा तो एक निर्जीव सी पुनरावृति का आभास सा होने लगा था बस फिर मै टूटने लगा और टूट कर बिखर गया था #निर्जीव पुनरावृति......
siddharth vaidya
एक दिन रसोई का बेलन भी बोल पड़ा मुझे तो उनके हाथों की आदत हो गयी है सिद्धार्थ वैद्य निर्जीव प्रेम
Shitanshu Rajat
राब्ता क़त्ल से मेरा है क्या मैंने तो बस होते देखा है। #निर्जीव #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #poetrylights #Yourquote
Astro Rahul Pandey (Sad writer)
जीव अब भी जीव ही हैं हम इंसान ना जाने क्यूं निर्जीव हो गए हैं -Rahul Pandey #निर्जीव हो गए हैं हम इंसान
Anjali Jain
पितामह भीष्म के अहंकार ने अनजाने ही महाभारत के बीज बो दिए काशी - कुमारीयों और गान्धारी के बलात विवाह के रूप में! शकुनि के प्रपंच भरे प्रेम ने कौरवों का संहार किया और शिखंडी की घृणा ने भीष्म का! निर्जीव के प्रति निष्ठा और सजीव के प्रति तटस्थता का परिणाम है कदाचित्....!!?? #निर्जीव के प्रति निष्ठा.. #26. 07.20#329 #DesertWalk
SHIVAM JINDAL
समाज का पतन होते देख रहा हूँ मैं मानव को निर्जीव बनते देख रहा हूँ। मर गया वो आदमी सड़क पर, इलाज़ ना मिलने से मैं अपने ही पड़ोसियों को तमाशबीन बनते देख रहा हूँ। नहीं दिख रहा दुख किसी को, अब किसी अपने का मैं नयनसुखों को अंधा बनते देख रहा हूँ। हां, मैं मानव को निर्जीव बनते देख रहा हूँ। निर्जीव मानव। #yqbaba #yqdidi #collab #hindi #destruction #poetry #life #society
SHIVAM JINDAL
समाज का पतन होते देख रहा हूँ मैं मानव को निर्जीव बनते देख रहा हूँ। मर गया वो आदमी सड़क पर, इलाज़ ना मिलने से मैं अपने ही पड़ोसियों को तमाशबीन बनते देख रहा हूँ। नहीं दिख रहा दुख किसी को, अब किसी अपने का मैं नयनसुखों को अंधा बनते देख रहा हूँ। हां, मैं मानव को निर्जीव बनते देख रहा हूँ। निर्जीव मानव। #yqbaba #yqdidi #collab #hindi #destruction #poetry #life #society