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Nitish Mishra, what's aap,7238952541
हिंदी टीचर : दशमलव किसे कहते है? मैं : दसवीं बार हुए Love ❤ को दशम लव कहते हैं! 😝😹✌ # हिंदी टीचर : दशमलव किसे कहते है? मैं : दसवीं बार हुए Love ❤ को दशम लव कहते हैं! 😝😹✌ #mishra_Ji_In_Mood
@hemantgarg_author
Amin bhanu
amin bhanu माहे रमजान के 10वीं सेहरी मुबारक हो Mahe ramzan ki 10th sehri Mubarak ho माहे रमजान के दसवीं सेहरी मुबारक हो 4 मई 2020 फोटो शानदार
smita@ishu
काश ये मनहूस तारीख मेरी जिंदगी में कभी आया ना होता ये दिल ये रूह तड़प तड़प कर चिखा या चिल्लाया ना होता पागलों सी बेसुध होकर दौड़ी थी मैं जब मेरे दिल से आवाज़ आई कि कुछ तो गलत है वरना रात में 3-4 बजे हमें नींद से क्यों जगाया जाता मेरी दीदी को भगवान के उपर इतना गुस्सा आया ना होता उसने चिल्ला कर कहा था कोई भगवान् नहीं इस दुनिया में वरना मेरा वो भगवान् आज हमारे पास होता मेरी मां बेसुध पत्थर की मूरत बन बदहवास एक कोने में पड़ी थी और मैं दौड़ती हुई अपने भगवान् को जगाने चली थी मुझे लगा कि उनको मै उठाने जाऊंगी उनको अपने गले से लगाऊंगी और वो उठकर मुझे सीने से लगाएंगे मिठ्ठू तू अा गई कह कर आवाज़ लगाएंगे लाख कोशिशों के बाद कोई जवाब ना आया मैंने उनको हिलाया कितनी बार उठाया पर वो जा चुके थे अपनी एक नई दुनिया की शुरुवात करने अपने मासूम से बच्चों को मां के भरोसे छोड़कर जब भाई से गले लगकर मै रोई थी बेहोश पड़ी मै सोई थी हर सख्स मुझे समझाता था पर मैंने तो अपना सबकुछ खो दिया था क्युकी वो सिर्फ मेरे पापा नहीं मेरे भगवान थे। #😭😭😭😭😭🙏🙏🙏🙏 पापा जी बहुत ज्यादा याद आती है आपकी#आपकी दसवीं पुण्यतिथि पर आपको शत शत नमन 🙏🙏🙏
Vivek Kumar Singh
त्रिकोणमिति की पढ़ाई हुई थी, सजल से मेरी लड़ाई हुई थी। विज्ञान में गृहकार्य किया नहीं था, छड़ी से मेरी पिटाई हुई थी। मैं सिनेमा जाने की घात में था, मैं कल ही तो दसवीं जमात में था। त्रिकोणमिति की पढ़ाई हुई थी, सजल से मेरी लड़ाई हुई थी। विज्ञान में गृहकार्य किया नहीं था, छड़ी से मेरी पिटाई हुई थी। मैं सिनेमा जाने की घात
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ज़ुल्म और दर्द दहेज लोभियों के ज़ुल्म तले दब कर रह जाती है एक बेटी जब वो प्रताड़ित होकर दर्द सहती है, मायके की इज्ज़त की ख़ातिर ख़ामोश वह रहती है, ससुराल में अपनी हर रिश्ते का मान- सम्मान वो करती है फिर भी वो मन से उतर जाती है, जाने कैसी शक्ति है इस दहेज प्रथा में एक बेटी का जीवन नर्क बना देती है, अच्छी खासी बिटियाँ को ताउम्र की सजा भुगतनी पड़ती है, संग लाये दहेज तो बेटी आदर्श बहू का दर्जा ससुराल में प्राप्त कर लेती है, रह जाए कुछ कमी दहेज में तो वही बहू मौत की प्रथा निभाने को मजबूर कर दी जाती है, रमज़ान_कोरा_काग़ज़_2022 भुला कर मजहबी भेदभाव हर लड़की को इस दहेज प्रथा को खत्म करके चलाकर एक अभियान उनको इससे आजाद करायें,मिल जाए निजात हर
Sajan Thakur
उनकी याद क क क क क क क क क ©Sajan Thakur बहोत जल्द आप लोगो के बीच लेकर आ रहा हूँ, एक छोटा सा उपन्यास , जिसमे दसवीं और बारहवीं के बीच होने वाली इश्क़ का जिक्र करते हुए एक कहानी की रच
yogesh atmaram ambawale
सभी, दसवीं उत्तीर्ण, विद्यार्थियों का अभिनंदन| OPEN FOR COLLAB ✨ #AT123poemquote • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ Write a 123 poem.✨ 1st line: 1 word 2nd line: 2 words 3rd li
सुसि ग़ाफ़िल
मेरे पैरों में सूजन कैसी है मेरे लबों पर खामोशी कैसी है दसवीं के चांद का पता नहीं मगर रात की तन्हाई कैसी है हद की हद भी क्या जाने ये दर्द की रुसवाई कैसी है मेरा हाल देखकर नजरें फेरे यह जमाने की बेपरवाही कैसी है मेरे पास है नहीं कुछ भी घोषणाओं में सब अगर सब है तो ग़ाफ़िल के दरवाजे पर चुप कैसी है | मेरे पैरों में सूजन कैसी है मेरे लबों पर खामोशी कैसी है दसवीं के चांद का पता नहीं मगर रात की तन्हाई कैसी है हद की हद भी क्या जाने ये दर्द