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Ravi Kant
एक चांद ढेर सारे तारे कभी जगमग किया करते थे रातें वो बचपन की जब रात में हम डरते थे। शाम को हम भी कभी हुडदंग मचाया करते थे बच्चे थे मोहल्ले के मोहल्ले को सर पे उठाया करते थे। नदी नहर तालाब में हम नहाया करते थे घर में आके फिर बड़ों से डांट खाया करते थे उम्मीद नाउमीद का खेल कोई था नहीं बस पकड़न पकड़ाई में यूं ही कभी हम भी शामों सहर बिताया करते थे। ©Ravi Kant बचपन #बचपन #Childhood #कविता
Prashant Badal
बचपन या बचपना, दोनो अब दूर है, बचपन का लौटना तो नामुमकिन है, मगर बचपना लौट सकता है, दिल खोलकर , चिंतामुक्त हो कर, चलो एक बार बचपना करते है, हम सब अपने बचपन को फिर से जवां करते है।। बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️❤️❤️ -लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻 ©Prashant Badal बचपन या बचपना #ChildrensDay #बचपन #बचपना
राजीव भारती
बचपन होता है कितना मासूम, छल - प्रपंच से एकदम अंजान। जाति- पाति का भेद नहीं जाने, मुखमंडल पर प्रतिपल मुस्कान।। कभी रूठना और कभी मनाना, झगड़ों का ख़ुद करते समाधान। मिल जुलकर रहते हैं आपस में, नहीं बघारते हैं कभी झूठी शान।। मस्त मलंग सदृश उनका जीवन, कटुता का अल्प मात्र नहीं भान। फ़िक्र नहीं करते धूप बारिश की, नहीं तनिक मन में हो अभिमान।। जीवन हो कतिपय ही आनंदित, सुख - दुःख का नहीं कोई ज्ञान।। हर्षित रहता सर्वदा ही तन-मन, मोह-माया भी नहीं करें परेशान। नहीं घमंड अथवा लोभ मन में, एक दूजे के प्रति मान -सम्मान।। रहें विरक्त संसार के उलझन से, ऊंच नीच न कर पायें व्यवधान।। राजीव भारती ©Rajiv Ranjan Verma # कविता/बचपन
Manak Suthar
कोरे कागज पर एक याद लिखी है बचपन में की थी जो वो बात लिखी है छोटी बड़ी बात पर मां की हर डांट लिखी है पापा की हिदायत भरी हर आवाज लिखी है लड़ती झगड़ती बहन को प्यार की सौगात लिखी है हॉस्टल में बीती पहली रात में बही अश्रुधार लिखी है स्कूल में बने हर एक दोस्त की मुस्कुराहट लिखी है बचपन की तमाम चटपटी हरकतों को फिर एक साथ लिखी है कागज की कश्ती को फिर सावन की बरसात लिखी है यादों के सफर में खो जाने को एक सुहानी शाम लिखी है बचपन की मासूमियत को एक प्यार भरी रात लिखी है कागज भरा है अभी तो यादें सिर्फ चार लिखी है बचपन और बचपना #बचपन
Riyanshu Thakur
बचपन एक बचपन का जमाना था जिसमे खुशियों का खजाना था... चाहत चांद को पाने की थी पर, दिल तितली का दीवाना था... खबर ना थी कुछ सुबह की ना शाम का ठिकाना था... थक कर आना स्कूल से पर, खेलने भी जाना था... मां की कहानी थी परियों का फसाना था... बारिश की कागज की नाव थी, हर मौसम सुहाना था... रोने की वजह ना थी ना, हसने का बहाना था... क्यूं हो गए हम इतने बड़े इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था...वो बचपन का जमाना था।.. ©Riyanshu Thakur #ChildrensDay Dhanraj Gamare srk Writers बचपन पर कविता
खामोशी और दस्तक
वो khte है हम मेंं , अब भी बचपना है bhut वो जलते है हमसे की हमारी रूह अब भी ज़िंदा है #बचपन #बचपना
S K Sachin उर्फ sachit
बचपन कितना सुंदर था बचपन जिसका अतीत.. आज भी वही.... मुस्कुराहट देता है ! कशिश भी है अजीब जाने को जि चाहता है करीब जैसे बचपन फिर से.. आने को आहट देता है ! बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🙏🌹 ©S K Sachin उर्फ sachit #ChildrensDay #बचपन.. #कविता
Rajesh
आधुनिकता का ये ग़ज़ब सा दौर है बारिश में ग़ायब है काग़ज़ की कश्तियाँ हर जगह मोबाइल का शोर है। -Pandey Rajesh खोता बचपन #raining
Shailendra Lunia
जब हो जाते है पचपन के , तो याद आते है इश्क़ के लम्हे बचपन के ! ©Shailendra Lunia #पचपन #बचपन❤️
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
बचपन के दिनों पर शायरी/कोट/कविता लिखें #NojotoHindi #NojotoWODHindiquotestatic