चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता
सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता
भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी
धनुष भौंह, #Eyes#उपमा_अलंकार
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Nitin Kr Harit
वेदना
है भरी वेदना इस तन में, हे वेणु! तुम कैसे जानो?
मै विरह कलित हूँ सावन में, तुम राग अमंद मानस तानो।
तुम पवन मिले, धरती-अम्बर, तुम पूर्ण #yqdidi#yqhindi#yqquotes#NitinDilSe
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विवेक त्रिवेदी
चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता
सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता
भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी
धनुष भौंह,