Find the Latest Status about शिदोरी नाटक from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, शिदोरी नाटक.
Nikhil Thok
🙄अनुभव शिकवतात प्रत्येक क्षणाला पण नशिबाचे चक्र काही केल्या थांबत नाही आयुष्य जगताना तुम्ही कितीही प्रेम करा पण त्याचं मोल सहजासहजी कोणाला कळत नाही...🤗 अनुभवाची शिदोरी ☺️
Priya Tambde
" शिदोरी" लेखणीची.... तू दिलेली लेखणीची शिदोरी मला जन्मभर पुरणार हाय..., सोबतीला कोणी असो वा नसो पण ती माझी कधी साथ सोडणार नाय ....!! वाटल कधी रडाव तर अश्रू पुसायला तिचंच असणं माझ्या आयुष्यात मला पुरेसं हाय.... मनाचा भार हलका करायला तिच्याशिवाय मला कोणी एवढं जवळचं नाय.....!!! सगळ्यात जवळची सोबतीन माझ्या जन्म देणारी ती माझी माय....., पण "लेखणीची शिदोरी " म्हणजे माझ्या आयुष्यात तू दिलेली दुसरी मला जणू दुधावरची साय..., जणू दुधावरची साय.....!! ✍️Piu कवयित्री- प्रिया तांबडे ता. मुरुड-अलिबाग , जि. रायगड ©Priya Tambde लेखणीची शिदोरी # mayur dada
Vrishali G
जीवनाच्या नाटकात सहभाग सगळ्यांचा असतो पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक
Arora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक
अज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..
Babli BhatiBaisla
झूठे और ओछे मक्कार महात्मा को कोई नहीं पूछता काले पड़ गए मैले मनको को कोई नहीं पूजता आर्यो की धरती पर शास्त्रों का ऊंचा स्थान है भारत मां के शास्त्रियों की विश्व में अलग पहचान है लाल बहादुर शास्त्री हो या धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों ने साबित कर दिखाया गरीबी नहीं पिछाड़ती महानता में पिछड़ जाते हैं धनाढ्य भी नीयत से बहुत मूर्ख लगते हैं भूख हड़ताल का नाटक करते हष्ट-पुष्ट काटा है लम्बा सफ़र आंखें मूंद कर अनपढ बहुत थे पढ़ कर समझ गए सभी जयचंद और शकुनि कौन थे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla नाटक