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Veena Khandelwal

बालगीत

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बालगीत-चींटी
इट्टी-किट्टी, इट्टी-किट्टी 
देखो बच्चों तुम ये चींटी।
तुम भी छोटे,चींटी छोटी।
सीखो इनसे ,इट्टी किट्टी ।
 
भूख लगी है ,है कुछ खाना।
चींटी इधर,उधर है दाना।
जाना कैसे सोचे चींटी।
सूझा तब कुछ ,इट्टी किट्टी।

गिरती उठती आगे बढ़ती।
मेहनत से ये कभी ना डरती।
जाना सुरंग या पर्वत चोटी।
डरे ना चींटी, इट्टी किट्टी।

बात कहूं मैं तुमसे सच्ची
बस थोड़ी सी माथा पच्ची।
डाली चढ़ी पहुंची उस पार।
पाया दाना इट्टी-किट्टी।

हिम्मत  से तुम कभी ना डरना।
लक्ष्य  रखो फिर आगे बढ़ना।
पाकर रहना जैसे चींटी।
बनो मेहनती,इट्टी किट्टी।

चींटी ने ज्यों पाया खाना।
बच्चों तुमने भी ये जाना।
भरा पेट फिर चींटी का
वा वा चींटी ,इट्टी -किट्टी।

वीणा खंडेलवाल
तुमसर बालगीत

roshan

इन हिंदी

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आना है तॊ आ जाना है तो जा....
घुटने पे बैठके तुम्हे मनाना
मुझे शोभा देगा क्या?

पानी का नही नाम
साब्जी को नही दाम
बता गोल्डन नेकलेस तुम्हे दिलाऊ कैसे?
कुवा सुख गया है
नदी नाला रुख गया है
बता तेरे प्यार मे शलांग लगाऊ कैसे?

आना है तो आ जाना है तो जा....

बेजान सहै पत्थर पर
बिना कुछ चडाये
बता मान्नत मे तुझे उसीसे मांगु कैसे?
भावनिक  मै बहोत हू
दिल मे तुम्हेहीं रखता हू
पानी बचाते बचाते
बता आसू अंखोसे बहाऊ कैसे?

आना है तो आ जाना है तो जा.....
....रोशन देसाई....
12/02/20 इन हिंदी

Rajendrakumar Shelke

बालगीत #Comedy

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*पाऊस बोलून गेला..*


सो सो करीत
वारा *सुटला,*
लपाछपीचा खेळ
ढगात *रंगला.*

थुई थुई करत
पाऊस *पडला,*
हळूच माझ्या
कानात *बोलला.*

माझ्यात भिजूनी
कोरडा *राहिला,*
असा कसा रे
तू मला *घाबरला.?*

म्हातारी आजी
दळण *भरडते,*
गडगड करुनी
साऱ्यांना *घाबरवते.*

उरात माझ्या 
वीजच *भरली,*
ढगांच्या आडुन
खुदकन *हसली.*

 नाचत पळत
धावत *सुटलो,*
पाऊस बोलला
गोधडीत *शिरलो.*
--------------------
✍️ राजेंद्रकुमार शेळके.
  -- नारायणगाव, पुणे

©Rajendrakumar Shelke बालगीत

Rajendrakumar Shelke

बालगीत #Comedy

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*पाऊस बोलून गेला..*


सो सो करीत
वारा *सुटला,*
लपाछपीचा खेळ
ढगात *रंगला.*

थुई थुई करत
पाऊस *पडला,*
हळूच माझ्या
कानात *बोलला.*

माझ्यात भिजूनी
कोरडा *राहिला,*
असा कसा रे
तू मला *घाबरला.?*

म्हातारी आजी
दळण *भरडते,*
गडगड करुनी
साऱ्यांना *घाबरवते.*

उरात माझ्या 
वीजच *भरली,*
ढगांच्या आडुन
खुदकन *हसली.*

 नाचत पळत
धावत *सुटलो,*
पाऊस बोलला
गोधडीत *शिरलो.*
--------------------
✍️ राजेंद्रकुमार शेळके.
  -- नारायणगाव, पुणे

©Rajendrakumar Shelke
  बालगीत

Rajendrakumar Shelke

आंबा बालगीत #विनोदी

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*आंबा* (बालगीत)
---------------------

आंबा रे आंबा
काय तुझा *तोरा,*
पानांत खेळतो
नटखट *वारा,*

आंबट कैरीची
 करता *फोड,*
पिकलेला आंबा
भलताच *गोड*

 कैरीचे आम्ही 
केले *लोणचे,*
अधूनमधून ते
थोडे *चाखायचे.*

आंब्याचा रस
लई लई *भारी,*
खाऊया आपण
आमरस *पुरी.*
--------------------
*✍️ राजेंद्रकुमार शेळके.*
       -- नारायणगाव, पुणे.

©Rajendrakumar Shelke आंबा बालगीत

DN Tripathi Vayakul

mute video

skmajhi018

#सुविचार इन हिंदी #ज़िन्दगी

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mute video

Jamil Khan

बालगीत #OneSeason

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बालगीत-  बस्ता चाहिए

बस्ता चाहिए, बस्ता चाहिए
पापा मुझको बस्ता चाहिए
हम भी अब पढ़ाई करेंगे
पापा मुझको बस्ता चाहिए। 

रंग बिरंगी कलम पेंसिल
रंग बिरंगी कॉपी चाहिए
स्कूल की टेस्ट परीक्षा वाली
मैडम सर से टॉफी चाहिए
पापा जी मुझको ला दो ना
चप्पल जूता सस्ता चाहिए। 

बस्ता चाहिए, बस्ता चाहिए
पापा मुझको बस्ता चाहिए। 

आज से मैं स्कूल जाऊँगा
मन लगाकर ख़ूब पढ़ूँगा
पापा दादाजी के नाम को
सातो आसमां पे पहुँचाऊँगा
माँ के हाथों की भुजिया रोटी
टिफिन में सिर्फ नास्ता चाहिए। 

बस्ता चाहिए, बस्ता चाहिए
पापा मुझको बस्ता चाहिए। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित बालगीत। 
मो- 9065328412
पिन कोड- 847401

©Jamil Khan बालगीत

#OneSeason

Jamil Khan

बालगीत #Trees

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बालगीत-  नानी की पोटली

नानी तेरी पोटली को
नाती कालू ले गया
उसमें जो भी था बचा
उसे भालू खा गया। 

नानी माथा पीटने से
होगा अब कुछ नहीं
तेरा नाती पोटली लेके
खो गया वह कहीं
पुलिस को मिली ख़बर
उसे धर पकड़ लिया। 

नानी तेरी पोटली को
नाती कालू ले गया। 

पोटली की टेंशन में
नानी अब सोती नहीं
जहाँ पोटली रखी थी
नानी अब बैठी है वहीं
सिर्फ यही बोलती वह
मेरा सारा धन खो गया। 

नानी तेरी पोटली को
नाती कालू ले गया। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित बालगीत।

©Jamil Khan बालगीत

#Trees

Jamil Khan

बालगीत #Trees

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बालगीत- मात-पिता का दुलारा हूँ 

भोला भाला प्यारा हूँ
मात-पिता का दुलारा हूँ
घर में छोटे बड़ों की
आँखों का मैं तारा हूँ। 

खाता पीता रहता हूँ
दोस्तों के साथ खेलता हूँ
पिताजी की चॉकलेट को
मन भरके खूब खाता हूँ
अपने पिताजी के लिए
एक अनमोल सितारा हूँ।  

भोला भाला प्यारा हूँ
मात-पिता का दुलारा हूँ। 

दफ्तर से पिताजी आते हैं
हमें वो घुमाने ले जाते हैं
पिताजी बाजार में बहुत
सारी चॉकलेट दिलाते हैं
मैं अपने परिवार में सबकी
आँखों का ठंडक तारा हूँ। 

भोला भाला प्यारा हूँ
मात-पिता का दुलारा हूँ। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित अप्रकाशित बालगीत।

©Jamil Khan बालगीत

#Trees
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