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एक इबादत
अब तो कुछ अपनी भी तबियत जुदा लगती है,सांस लेता हूँ तो जख्मो़ को हवा लगती है,कभी राजी़ तो कभी मुझसे ख़फा लगती है,जिन्दगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है...!! #मशहूर गज़लकार ,प्रसिद्ध शायर अताउल्लाह खान जी एक मशहूर शायरी...
एक इबादत
चश्म-ए-साकी से तलब कर के गुलाबी डोरे, दिल के जख्मों को कही बैठ के सी लेता हूं,सागीर मय तो बड़ी चीज़ है एक नयमत है,अश्क भी आँख में भर आए तो पी लेता हूं कुछ पंक्तियां खिदमत में है,उस्ताद अताउल्लाह खान जी के गज़ल से.... उम्मीद है पसंद अवश्य आयेंगी...!!
एक इबादत
मेरे महबूब ने मुस्कुराते हुए जब,नकाब अपने से सरका दिया,चौदहवी रात का चाँद शर्मा गया,जितने तारे थे सब टूट कर गिर पड़े,जिक्र जब छिड़ गया उनकी अंगड़ाई का,शाख से फुल यूँ टूट के गिर पड़े,जिक्र जब छिड़ गया उनकी अंगडा़ई का..... इन गज़ल की पंक्तियों को अताउल्लाह खान साहब ने अपनी आवाज में शोहरत फरमाया है,"छिड़ गया जिक्र जब उनकी अंगडा़ई का..."
GULAM MOHMAD
बीते पल वापस ला नहीं सकते, सूखे फूल वापस खिला नहीं सकते, कभी कभी लगता है आप हमें भूल गए, पर दिल कहता है कि आप हमें भुला नही सकते. 💔 😢 ©GULAM MOHMAD गजल गजल #NojotoTurns5
Da "Divya Tyagi"
Monika Tigraniya
प्यार के इस शहर की ऐसी रीत क्यों हर दफा क्यों मैं ही हारूँ हर दफा तेरी जीत क्यों स्वाति झा @गजल#गजल@dost