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AK__Alfaaz..

#दिल_में_तड़पती_एक_आह.., " मकाँ "... सिर्फ चहारदीवारीयों से बनी एक इमारत जहाँ जब खुशियाँ आती हैं तब ही वो एक " घर " बनता है.., #yqdidi yq #yqbaba #yqhindi #yqquotes #yqlove #yqthoughts #yqdiary

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एक अरसे से वीरानियाँ हैं घर में मेरे..,
खुशियों ने बरसों पहले साँसें ली थीं मकाँ में मेरे.., #दिल_में_तड़पती_एक_आह..,

" मकाँ "... सिर्फ चहारदीवारीयों से बनी एक इमारत जहाँ जब खुशियाँ आती हैं तब ही वो एक  " घर " बनता है..,

#yqdidi #yq

abhishek manoguru

चाहता है मनोगुरु भी , बहिन को पढ़ाना चहारदीवारी से बाहर , बहिन को घुमाना अपनी ही तरह , उसे दुनिया दिखाना सानिया , सिंधू , किरण बेदी और गीता , #Poetry #nojotopoetry #nojotohindi #justiceforasifa #आसिफा #asifarapecase

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चाहता है मनोगुरु भी , बहिन को पढ़ाना
चहारदीवारी से बाहर , बहिन को घुमाना
अपनी ही तरह , उसे दुनिया दिखाना
सानिया , सिंधू , किरण बेदी और गीता ,बबिता बनाना
कल्पना चावला की तरह , चाँद पर पहुंचाना
हाँ सपना है मेरा , उसे जाने जमाना
पर..
कल वो बोली कि - "भैया मैं बड़ी हो रही हूँ"
मासूम हूँ मायूस और सहमी खड़ी रो रही हूँ
डर है उसे भी बेहद , अब तुमसे...
क्यूँकि
चाहता है भैया , जिस बहिन को पढ़ाना
गर हो सके तो उसको यूँ , नोंच मत खाना...
चाहता ये भाई उस बहिन को हंसाना
पर डर है कि कहीं , बन जाये ना निशाना


मनोगुरु चाहता है मनोगुरु भी , बहिन को पढ़ाना
चहारदीवारी से बाहर , बहिन को घुमाना
अपनी ही तरह , उसे दुनिया दिखाना
सानिया , सिंधू , किरण बेदी और गीता ,

Dipti Joshi

मैं अपराधी हूँ क्योंकि लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथाएं कहती हूँ कड़वा सत्य नहीं मानती सदियों से चले आ रहे ढ़कोसले मैं अपराधी हूँ क्योंकि, #lovequotes #Shayari #poems #wordsmith #nojotoquotes #hindipoems

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मैं अपराधी हूँ 
क्योंकि 
लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथाएं 
कहती हूँ कड़वा सत्य
नहीं मानती सदियों से चले आ रहे ढ़कोसले 
मैं अपराधी हूँ
क्योंकि, 
रहती हूँ गुम अपनी दुनिया की चहारदीवारी में 
नहीं बिखैर सकती झूठी मुस्कान 
किसी दिखावे के त्यौहार में 
मै अपराधी हूँ 
क्योंकि,
चंचल मन हूँ तो गुनगुना लेती हूँ पपीहों संग
उगा लेती हूँ उम्मीदों का नया उपवन 
पर नहीं लेती सहारा किसी स्वार्थी पुरूष का
मैं अपराधी हूँ 
क्योंकि, 
स्वयं की खोज में मुझे त्यागना पड़ा घर 
समेटकर एक गठरी में सारी इच्छाएं 
मैने चुन लिया करना एक और अपराध।
©दिप्ती जोशी मैं अपराधी हूँ 
क्योंकि 
लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथाएं 
कहती हूँ कड़वा सत्य
नहीं मानती सदियों से चले आ रहे ढ़कोसले 
मैं अपराधी हूँ
क्योंकि,

Manya Parmar

कमाल ही है हम, है ना? औरतें घर के काम कर करके थक जाती है अपना जीवन चहारदीवारी में गुजर लेती है सुबह शाम काम ही काम, उसको कामों से प्यार नहीं #Feminism #Shayari #Feminist #घरेलूहिंसा #3M #manyaparmar #ManyaPoetry #Manyaquotes #MissionMaanyMaang #markmywords

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abhishek manoguru

चहारदीवारी को बिना लांघे , किताबों से दूरी बनाकर , खुद को एक दायरे में समेटकर , गुण और विचारों से मेल खाते चंद लोगों से मिलकर , कुछ नया सीखन #God #story #Thoughts #Reality #spiritual #Knowledge #kahani #gyan #IndiaFightsCorona

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#IndiaFightsCorona चहारदीवारी को बिना लांघे , किताबों से दूरी बनाकर , खुद को एक दायरे में समेटकर , गुण और विचारों से मेल खाते चंद लोगों से मिलकर , कुछ नया सीखने-जानने के अनुभव की लालसा खत्म कर , एक निश्चित दिनचर्या में स्वयं को पिरोकर , पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर रूढ़ियों में बांधकर भी यदि आप खुद को सूक्ष्म मुद्दों पर बहस के योग्य समझते हैं , देश दुनिया वेद पुराण धर्म धार्मिक-ग्रन्थों पर शास्त्रार्थ , तर्क-कुतर्क भी कर लेते हैं और आपको सर्वज्ञता का अनुभव हो रहा है तो ,

निश्चित ही कलयुग में ईश्वर ने अवतार ले लिया है और वो आप ही हैं क्योंकि ये आत्मज्ञान नहीं तो क्या जो आपको बिना मेहनत मिल गया है , एक कमरे के अंदर ही  पीपल के पेड़ की छाँव में बिना बैठे 😂

© मनोगुरु

©abhishek manoguru चहारदीवारी को बिना लांघे , किताबों से दूरी बनाकर , खुद को एक दायरे में समेटकर , गुण और विचारों से मेल खाते चंद लोगों से मिलकर , कुछ नया सीखन

i am Voiceofdehati

#संस्कार #संस्कृति और #समाज सार्वजनिक जीवन में मर्यादा नितांत आवश्यक है । जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है, #सनातनधर्म #yqlifelessons

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अगर आप अपने संस्कार और संस्कृति को नहीं अपना सकते तो,
आप एक अच्छे समाज की कल्पना करना भी छोड़ दीजिए। #संस्कार #संस्कृति और #समाज

सार्वजनिक जीवन में मर्यादा नितांत आवश्यक है । जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है,

i am Voiceofdehati

#मर्यादा संस्कार #आधुनिकता और हम👇👇 सार्वजनिक जीवन में मर्यादा नितांत आवश्यक है । जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार #yqdidi #नग्नता #सँस्कार #सनातनी_हिन्दू #yqsnatni

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मर्यादा , संस्कार , आधुनिकता
और हम
 #मर्यादा संस्कार #आधुनिकता और #हम👇👇

सार्वजनिक जीवन में मर्यादा नितांत आवश्यक है । जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार

एक अजनबी

#हमने_इश्क_किया #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻 बहुत_मेहनत_लगी_है। हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते ह

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Dipti Joshi

चाहे कितनी भी बेखौफ हो रूह आखिर इक रोज सहम ही जाती है, शमशान बनते मुल्क को देख थोड़ा तो कांप ही जाती है इक लाइलाज रोग को खुद के जिस्म से #Hindi #Shayari #kavita #MyPoetry

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey} सुंदर कांड :- चार सौ योजन अलंघनीय समुद्र को लाँघ कर महाबली हनुमान जी त्रिकूट नामक पर्वत के शिखर पर स्वस्थ भाव से खड़े #alone #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
सुंदर कांड :- चार सौ योजन अलंघनीय समुद्र को लाँघ कर महाबली हनुमान जी त्रिकूट नामक पर्वत के शिखर पर स्वस्थ भाव से खड़े हो गये। कपिश्रेष्ठ ने वहाँ सरल (चीड़), कनेर, खिले हुए खजूर, प्रियाल (चिरौंजी), मुचुलिन्द (जम्बीरी नीबू), कुटज, केतक (केवड़े), सुगन्धपूर्ण प्रियंगु (पिप्पली), नीप (कदम्ब या अशोक), छितवन, असन, कोविदार तथा खिले हुए करवीर भी देखे। फूलों के भार से लदे हुए तथा मुकुलित (अधखिले), बहुत से वृक्ष भी उन्हें दृष्टिगोचर हुए जिनकी डालियाँ झूम रही थीं और जिन पर नाना प्रकार के पक्षी कलरव कर रहे थे। 

 हनुमान जी धीरे धीरे अद्भुत शोभा से सम्पन्न रावणपालित लंकापुरी के पास पहुँचे। उन्होंने देखा, लंका के चारों ओर कमलों से सुशोभित जलपूरित खाई खुदी हुई है। वह महापुरी सोने की चहारदीवारी से घिरी हुई हैं। श्वेत रंग की ऊँची ऊँची सड़कें उस पुरी को सब ओर से घेरे हुए थीं। सैकड़ों गगनचुम्बी अट्टालिकाएँ ध्वजा-पताका फहराती हुई उस नगरी की शोभा बढ़ा रही हैं। 

 उस पुरी के उत्तर द्वार पर पहुँच कर वानरवीर हुनमान जी चिन्ता में पड़ गये। लंकापुरी भयानक राक्षसों से उसी प्रकार भरी हुई थी जैसे कि पाताल की भोगवतीपुरी नागों से भरी रहती है। हाथों में शूल और पट्टिश लिये बड़ी बड़ी दाढ़ों वाले बहुत से शूरवीर घोर राक्षस लंकापुरी की रक्षा कर रहे थे। नगर की इस भारी सुरक्षा, उसके चारों ओर समुद्र की खाई और रावण जैसे भयंकर शत्रु को देखकर हनुमान जी विचार करने लगे कि यदि वानर वहाँ तक आ जायें तो भी वे व्यर्थ ही सिद्ध होंगे क्योंकि युद्ध द्वारा देवता भी लंका पर विजय नहीं पा सकते। रावणपालित इस दुर्गम और विषम (संकटपूर्ण) लंका में महाबाहु रामचन्द्र आ भी जायें तो क्या कर पायेंगे? राक्षसों पर साम, दान और भेद की नीति का प्रयोग असम्भव दृष्टिगत हो रहा है। यहाँ तो केवल चार वेगशाली वानरों अर्थात् बालिपुत्र अंगद, नील, मेरी और बुद्धिमान राजा सुग्रीव की ही पहुँच हो सकती है। अच्छा पहले यह तो पता लगाऊँ कि विदेहकुमारी सीता जीवित भी है या नहीं? जनककिशोरी का दर्शन करने के पश्चात् ही मैँ इस विषय में कोई विचार करूँगा। 

 उन्होंने सोचा कि मैं इस रूप से राक्षसों की इस नगरी में प्रवेश नहीं कर सकता क्योंकि बहुत से क्रूर और बलवान राक्षस इसकी रक्षा कर रहे हैं। जानकी की खोज करते समय मुझे स्वयं को इन महातेजस्वी, महापराक्रमी और बलवान राक्षसों से गुप्त रखना होगा। अतः मुझे रात्रि के समय ही नगर में प्रवेश करना चाहिये और सीता का अन्वेषण का यह समयोचित कार्य करने के लिये ऐसे रूप का आश्रय लेना चाहिये जो आँख से देखा न जा सके, मात्र कार्य से ही यह अनुमान हो कि कोई आया था। 

 देवताओं और असुरों के लिये भी दुर्जय लंकापुरी को देखकर हनुमान जी बारम्बार लम्बी साँस खींचते हुये विचार करने लगे कि किस उपाय से काम लूँ जिसमें दुरात्मा राक्षसराज रावण की दृष्टि से ओझल रहकर मैं मिथिलेशनन्दिनी जनककिशोरी सीता का दर्शन प्राप्त कर सकूँ। अविवेकपूर्ण कार्य करनेवाले दूत के कारण बने बनाये काम भी बिगड़ जाते हैं। यदि राक्षसों ने मुझे देख लिया तो रावण का अनर्थ चाहने वाले श्री राम का यह कार्य सफल न हो सकेगा। अतः अपने कार्य की सिद्धि के लिये रात में अपने इसी रूप में छोटा सा शरीर धारण करके लंका में प्रवेश करूँगा और घरों में घुसकर जानकी जी की खोज करूँगा। 

 ऐसा निश्चय करके वीर वानर हनुमान सूर्यास्त की प्रतीक्षा करने लगे। सूर्यास्त हो जाने पर रात के समय उन्होंने अपने शरीर को छोटा बना लिया और उछलकर उस रमणीय लंकापुरी में प्रवेश कर गये।

©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey}
सुंदर कांड :- चार सौ योजन अलंघनीय समुद्र को लाँघ कर महाबली हनुमान जी त्रिकूट नामक पर्वत के शिखर पर स्वस्थ भाव से खड़े
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