Find the Latest Status about क़यामत का पर्यायवाची from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, क़यामत का पर्यायवाची.
RjSunitkumar
मेरे कुछ सवाल थे तुमसे कयामत के वक़्त पूछूंगा तुमसे मेरे कुछ सवाल थे तुमसे कयामत के वक़्त पूछूंगा तुमसे क्यूंकि उससे पहले तुम्हारी और मेरी बात हो सके उसके लायक नहीं हो तुम। क़यामत का वक़्त।
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Rinku Yadav
अपनी क्रोध की आंधी सम्हाल कर रखो ,जो कयामते महाकाल नहीं बनसक्ती, क्यू दिखा रहे हो बेमतलब खौफ अपना,जो महाकाल के आगे एक पल भी नहीं टिक सकती, इस बीराने में खड़े महाकाल को देखते हो ,तुम चाहते हुए भी एक तिल भी नहीं हिला पा रहे हों, फिर क्यों मचा रहे इतना भूचाल,जो कायमते महाकाल नहीं बंन सकती। कृष्ण यादव # क़यामत
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
जिसके नसीब मॆं हिज्र नहीं उसकी क़यामत होगी... जिंदग़ी नहीं रहेगी जब मौत से शरारत होगी..। तेरी दुनियां मॆं हमे कोई इंसाफ़ तो नहीं मिला... देखना किसी दिन हमारी भी ऎसी अदालत होगी..। तुम कितने लोग हो ये किसी सच का पैमाना नहीं... अक्सर जिसकी नज़रे झुकी थी वो शराफ़त होगी..। तेरी जो मर्ज़ी है वो तो मुझसे नहीं हो सकता... अगर जिंदा रहां तो देखना और बग़ावत होगी..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 क़यामत
एस पी "हुड्डन"
अजब गुजरती है सीने में; जब उम्मीदें टूट जाती है, ख़िलाफ़ वक़्त में किस्मत की; निगाहें चूक जाती है। यूं तो लहरों से टक्करा कर; मांझी नाव पार लगाए, मगर! क़यामत के दौर में कश्तियां; साहिल पे डूब जाती है। ✍️"हुड्डन"🙏 #क़यामत
Ujjawal Kumar
क़यामत पर लिखीं हैं शायरियां शायरों ने। आशिकों ने मग़र, क़यामत तक जीना सीखा है। शायरी ज़िंदा रहे क़यामत तक, इसीलिए तो शायरों ने, आशिकों का हाल-ए-जिगर लिखा है। ©Ujjawal Kumar क़यामत
ehsanphilosopher
कयामत के आसार अब नजर आने लगे हैं। यहां अब लोग लोगों को चबाने लगे हैं।। मिला हर शख्स आदमी ही नहीं। यहां हर सच्चाई मेमिया ने लगी हैं।। वहां तुम देख लो हर शख्स नंगा सा खड़ा है। चलाना बस तो अब जिस्म को आजमाने लगे हैं।। करवटों में भी सपने खौफ के आने लगे हैं। जनाजा किसका है कंधा देने दीवानी लगे हैं।। सभो ने पाल रखी है जवानी की उम्मीदें। तुम कह दूं कि अब बुढ़ापा आने लगा है।। भला यह शोर कैसा है मटमैला सा। हुनरबाज भी अब झूठ आजमाने लगे हैं।। क़यामत
D.P. Singh
कुदरत के इशारों को , अगर जो आज ना समझा, ना कल भी लिख के ये देगी , क़यामत यूं ही आती है ।। **साभार पटना विभीषिका ** क़यामत
ehsanphilosopher
ऐ खुदा तू क़यामत कब लाएगा। लोगों को दुनिया में कब तक आजमाएंगा। लम्हों की ये जुर्रत, सदियों की हिफाजत, तुझे किस से मुहब्बत कब बतलाएगा। क़यामत