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New शालेय व्यवस्थापन पदविका अभ्यासक्रम Quotes, Status, Photo, Video

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sachin subhashrao Tambakhe

शालेय जीवनात चांगल्या सवयी

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viraj gosavi

शालेय विद्यार्थीना वह्या वाटप #मराठीविचार

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ashok polake

upsc पेक्षा अवघड अभ्यासक्रम नाद करायचा नाय #शिक्षण

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Mrunali Parkar

माझ्या शालेय जीवनातील # मी केलेली पहिली कविता ♥️

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अरे  पाखरा.. अरे  पाखरा.. घेऊनी गगनी  मला  उडणा.. पहाते  तुला ज्यावेळी  नभी  मी.. विसरुनी  जाते पायातळीची  भूमी  ही.. वाटते  बसुनी  तुझ्या पंखावरती..पहावी  वसुंधरा  उंच  झोकावुनी.. मुग्ध हासुनी  म्हणावे  त्या  आकाशाला ये  एकदा  आमुच्या  धरणीवरी.. पाहुणचार  घ्यावया  तुझ्या  सातही  रंगांसहि ♥️🌈 माझ्या शालेय जीवनातील # मी  केलेली  पहिली  कविता ♥️

DEV FAIZABADI

उडा दे शाले को #just

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कोई मुक्के से ना मारे इस दिलवाले को। 
बारूद बम का जमाना है उडा दे शाले को। 
देव फैजाबादी 
###Just for fun # # # 
😱 😱 😱 उडा दे शाले को

Mr.HypErrr

शाले मुझे जलाते है😹

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 शाले मुझे जलाते है😹

शुमेर‌शुमेर शुमेरराम

पिरिका #कॉमेडी

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सतीश तिवारी 'सरस'

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Author Harsh Ranjan

व्यवस्था

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दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था

Author Harsh Ranjan

व्यवस्था

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दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
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