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Sumit Rajput Sing
दोस्त ने हमेशा यही कहते थे भाई तुम दुबली देखते हो मैं भी हंसकर बोला अबे तुम्हें देखता तू हूं ना
Ak.writer_2.0
लोग मरते हैं खूबसूरत पर हम तो एक 43 किलो की दुबली पतली लड़की पर दिल हार बैठे..!! 😁 ©Ak.writer_2.0 लोग मरते हैं खूबसूरत पर हम तो एक 43 किलो की दुबली पतली लड़की पर दिल हार बैठे..!! #hunarbaaz divyesh mehta paritosh@run Ambika Jha Masoom vi
अबोध_मन//फरीदा
काल की गति न गई बुझानी, विश्रृंखल चित लिए राधारानी। आर्त्त, पीतमयी, तन्वंगी अजानी; प्रेमातिरेक अपूर्ण कहानी।। अबोध_मन//'फरीदा’ ©अवरुद्ध मन विश्रृंखल – बंधनहीन | तन्वंगी – दुबली पतली कमजोर आर्त्त– जिसे पीड़ा या कष्ट पहुँचाया गया या पहुँचा हो । अजानी – जिसे अच्छे बुरे की समझ न हो।
Himanshu kaushik
Avinash Jha
फ़िर वही स्वप्न आज फिर वही स्वप्न देखा था मृत एक शरीर बीच आंगन था. किसी ने अच्छा तो किसी ने बुरा बताया लाश पर खड़े सबने शोक ही जताया. इत्ते में एक बुज़ुर्ग की आवाज़ आई सब पर वो उठी थी झल्लाई. एक आवाज आई कानो में, रुदन भरी डूबी वेदना की चित्कार में. 【Please Read The whole Poem in Caption】 ©avinashjha आज फिर वही स्वप्न देखा था मृत एक शरीर बीच आंगन था जमा लोगो का हुजूम हो रहा पल भर को सन्नाटा था पसरा दुबली पतली छीन सी थी काया सोया था वो नीच
Pramod Kumar
सुसि ग़ाफ़िल
चित्त की चिट्ठियां प्रतिक्षा बूड़ी तो नहीं होती आखिरी जवान कब तक रहती है देखते हैं अंधेरे में रहस्यों की दुकान पर कब तक रहती है आंखों के बंद होते ही रहती है आं
N S Yadav GoldMine
राजा धृतराष्ट्र उस लोहमय भीमसेन को ही असली भीम समझा और उसे दोनों बॉंहो से दबाकर तोड़ डाला पढ़िए महाभारत !! 📔📔 महाभारत: स्त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-23 पाण्डवों का धृतराष्ट्र से मिलना, धृतराष्ट्र के द्वारा भीम की लोहमयी प्रतिमा का भडग्.होना और शोक करनेपर श्री कृष्ण का उन्हें समझाना.{Bolo Ji Radhey Radhey} 🌷वैशम्पायन उवाच वैशम्पायनजी कहते हैं-महाराज जनमेजय ! समस्त सेनाओंका संहार हो जानेपर धर्मराज युधिष्ठरने जब सुना कि हमारे बूढ़े ताऊ संग्राममें मरे हुए वीरोंका अन्तयेष्टिकर्म कराने के लिये हस्तिनापुर चल दियें हैं, तब वे स्वयं पुत्रशोक से आतुर हो पुत्रोंके ही शोकमें डूबकर चिन्तामग्न हुए राजा धृतराष्ट् के पास अपने सब भाइयोंके साथ गये। उस समय दशार्हकुलनन्दन वीर महात्मा श्रीकृष्ण, सात्यकि और युयुत्सु भी उनके पीछे-पीछे गये। 🌷अत्यन्त दु:खसे आतुर और शोकसे दुबली हुई द्रौपदीने भी वहॉं आयी हुई पत्र्चाल- महिलाओं के साथ उनका अनु-सरण किया। भरतश्रेष्ठ ! गड्गातटपर पहुँचकर युधिष्ठरने कुररीकी तरह आर्तस्वरसे विलाप करती हुई स्त्रियोंके कई दल देखे । वहॉं पाण्डवों के प्रिय और अप्रिय जनोंके लिय हाथ उठाकर आर्तस्वरसे रोती और करुण क्रनदन करती हुई सहस्त्रों महिलाओंने राज युधिष्ठिरको चारों ओरसे घेर लिया। 🌷वे बोलीं – अहो ! राजाकी वह धर्मज्ञता और दयालुता कहॉं चली गयी कि इन्होंने ताऊ, चाचा, भाई, गुरुपुत्रों ओर मित्रोंका भी वध कर डाला। महाबाहो ! द्रोणाचार्य, पितामह भीष्म और जयद्रथका भी वध करके आपके मनकी कैसी अवस्था हुई ? भरतवंशी नरेश ! अपने ताऊ, चाचा और भाइयोंको, दुर्जय वीर अभिमन्युको तथा द्रौपदीके सभी पुत्रोंकोन देखनेपर इस राज्यसे आपका क्या प्रयोजन है। 🌷धर्मराउज महाबाहु युघिष्ठर ने कुररी की भाँति क्रन्दन करती हुई स्त्रियोंके घेरेको लॉंघकर अपने ताऊ धृतराष्ट्रको प्रणाम किया। तत्पश्चात् सभी शुत्रुसूदन पाण्डवों ने धर्मानुसार ताऊ को प्रणाम करके अपने नाम बताये। पुत्रवध से पीडित हुए पिताने शोक से व्याकुल हो आने पुत्रोंका अन्त करने वाले पाण्डुपुत्र युघिष्ठिर को हृदय से लगाया; परंतु उस समय उनका मन प्रसन्न नहीं था। भरतनन्दन ! धर्मराज को हृदयसे लगाकर उन्हे सान्तवना दे धृतराष्ट्र भीम को इस प्रकार खोजने लगे, मानो आग बनकर उन्हें जला डालना चाहते हों। 🌷उस समय उनकें मनमें दुर्भावना जाग उठी थी । शोकरूपी वायुसे बढ़ी हुई उनकी क्रोधमयी अग्नि ऐसी दिखायी दे रही थी, मानो वह भीमसेनरूपी वनको जलाकर भस्म कर देना चाहती हो। भीमसेनके प्रति उनके सुगम अशुभ संकल्पको जानकर श्री-कृष्णने भीमसेनको झटका देकर हटा दिया और दोनों हाथों से उनकी लोहमयी मूर्ति धृतराष्ट्रके सामनेकर दी। महाज्ञानी और परम बुद्धिमान् भगवान् श्रीकृष्णको पहलेसे ही उनका अभिप्राय ज्ञात हो गया था, इसलिये उन्होंने वहॉं यह व्यवस्था कर ली थी। 🌷बलवान् राजा धृतराष्ट्र उस लोहमय भीमसेनको ही असली भीम समझा और उसे दोनों बॉंहोसे दबाकर तोड़ डाला। राजा धृतराष्ट्रमेंदस हजार हाथियोंका बल था तो भी भीमकी लोहमयी प्रतिमाको तोड़कर उनकी छाती व्यथित हो गयी और मुँहसे खून निकलने लगा । वे उसी अवस्थामें खूनसे भींगकर पृथ्वीपर गिर पडे़, मानो ऊपरकी डालीपर खिले हुए लाल फूलोंसे सुशोभित पारिजातका वृक्ष धराशायी हो गया हो। 🌷उस समय उनके विद्वान् सारथि गवल्यणपुत्र संजय-ने उन्हें पकड़कर उठाया और समझा-बुझाकर शान्त करते हुए कहा—आपको ऐसा नहीं करना चाहिये। जब रोषका आवेश दूर हो गया, तब वे महामना नरेश क्रोध छोड़कर शोकमें डूब गये और हा भीम ! हा भीम ! कहते हुए विलाप करने लगे। उन्हें भीमसेनके वधकी आशड्का से पीडित और क्रोध-शून्य हुआ जान पुरुषोंत्तम श्रीकृष्णने इस प्रकार कहा-महाराज धृतराष्ट्र ! आप शोक न करें। ये भीम आपके हाथसे नहीं मारे गये हैं। प्रभो ! यह तो लोहेकी एक प्रतिमा थी, जिसे आपने चूर-चूर कर डाला। ©N S Yadav GoldMine #BhaagChalo राजा धृतराष्ट्र उस लोहमय भीमसेन को ही असली भीम समझा और उसे दोनों बॉंहो से दबाकर तोड़ डाला पढ़िए महाभारत !! 📔📔 महाभारत: स्त्री
Eron (Neha Sharma)
वो अनजान लड़की वो अनजान लड़की आज कुछ काम से निकला था दिल्ली की बारिश थी जो कभी बूंद बनकर तो कभी झड़ी लगकर बरस रही थी। मैं वहीं मेट्रोस्टेशन पर पैदल चलने वाले
Krish Vj
कहानी :- विवाह एक सोदा? या किसी की भावनाओं और साथ ही जीवन का कत्ल...... @pic credit Google नित्या नींद मेें थी और उसके भाई ने आकर उसको जगा दिया, कहा दीदी आपकी शादी की बात चल रहीं है, नित्या शर्मा गई। र