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vishnu prabhakar singh
अकूत मौज नहीं है कथित सजगता ने उसे खा लिया है निवाला नहीं है मौज दायरा विहिन है मौज आचरण तारत्मयता जिसे भ्रष्ट करती हो वो मौज नहीं है ! शून्य के साथ है मौज ऊँचाई की पराकाष्ठा है मौज यह युग नहीं है इस दिवा का अर्थ आधार भी खो चुका है मौज तृष्णा बन कर रह गया बेचारा अंश चाहिये तो मृत्यू होगी अनेक डर है मौज नहीं है ! निभाया नहीं जा सकता मौज अभ्यास से प्रभाव विहिन हो जाता मौज मौज नहीं तो मौज की संभावना भर मस्ती नहीं है मौज निर्वाण के समकक्ष वाला स्वर्ण-स्तम्भ छटकता य़ायावरी ब्रह्म से घिरा पदम् विभूषण है मौज अलंकार नहीं है मौज नहीं है अभी चरम पर गया हुआ है ! मौज प्रेम है अखंडता है,जीवंत है,कगार है लक्ष्य है चाहत,संतुष्टी नहीं है मौज विकास है मौज करूणा है मौज अहिंसा है मौज कविता है मौज अद्भूत सरिता है मौज आज सामुहिकता खास है मौज सबका साथ सबका विकास है मौज !! विप्रणु #फक्कड़ संहिता
maharishi originals
मुलाकात अब उसी चौराहे पर होगी मुझसे पीछा छुड़ाने को जहाँ तूने टोने-टोटके किये थे ©maharishi originals टोने टोटके #lost
Ek villain
हमें और खासकर मुस्लिम समाज को यह सवाल पूछना होगा कि ऐसे ही जब जरूरी है या पढ़ाई ऐसे सवाल ही हमें यह समझाने में मदद करेगा कि कर्नाटक का मामला असल में मुस्लिम महिलाओं के हक का नहीं बल्कि उसकी आड़ में उन्हें पर्दे पर रखना और अपनी राजनीतिक रोटी सेकने का है बेहतर हो कि आज हम महात्मा गांधी के इस कथन का समर्थन करें कि मुस्लिम महिलाओं को परदे की गुलामी से बचाना चाहिए अगर आधी आबादी एक खराब प्रथा की वजह से पिंकू बन रही रहती है तो हम कभी भी स्वतंत्र महान होने की आकांक्षा कैसे कर सकते हैं माइंड इज विद गांधी निर्मल कुमार घोष नाटक में उड़ती जिले में उपजे विवाद से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चर्चा का रूप ले लिया है इसके पक्ष विपक्ष में कई तरह के तर्क रखे जा रहे हैं जॉब की तैयारी करने वालों की ओर से यह कहा गया है जा रहा है कि हिजाब बुर्खा आदि पहनना मुस्लिम महिला का मौलिक अधिकार है और विश्वविद्यालय में स्कूल यूनिफार्म पहन ने को कहना मुस्लिम महिला पर अत्याचार है एक पार्टी तो नारा देकर हद कर दी कि हिजाब नहीं तो पढ़ाई नहीं महाराष्ट्र में ऐसे पोस्ट नजर आए जिनमें लिखा था कि पहले आप फिर किताब इस सारे विवाद में हम भूल गए कि इसका मूल्य क्या है महिलाओं को अपनी पहचान छुपाने चाहिए और इसके लिए हिजाब बुर्का पहनना चाहिए इस तरह का सोचा कि किस प्रकार से महिलाओं के हित में है वास्तव में इस महत्वपूर्ण प्रशन पर गहन विचार होना चाहिए था लेकिन हमारे तबके ने अपनी विचारधारा को धता बताकर हिजाब को पसंद के अधिकार से जोड़ दिया है उन्होंने ऐसे करते समय इस पर भी ध्यान नहीं दिया कि आपकी चॉइस का मसला बनकर वह अपनी विचारधारा के उलट जाकर मुस्लिम समाज को गुमराह कर रहे ©Ek villain #समान नागरिक संहिता के लिए सही समय #bestfriends
Hasanand Chhatwani
आज के रावण को कल के रावण से मर्यादा सीखनी चाहिए
Ek villain
उधर पानी समान नागरिक संहिता भाजपा की पुरानी मांग रही है इसके नेता देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए अभियान चला रहे हैं इसकी कड़ी में अब पुष्कर सिंह धामी का नाम भी जुड़ गया जो दूसरी बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने पिछले दिनों अपनी पहली कैबिनेट बैठक में धामी ने समान नागरिक संहिता में निर्णय लिया और एक कमेंट बनाने का फैसला किया विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें इस लागू करने का वादा किया था कि प्रकार उत्तराखंड के संबंध में दोनों रास्ता दिखाया जाए संविधान अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि राज्य भारत के समस्त क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेगा यह अनुच्छेद राज्य के नीति निर्देशक तत्व भाग में है जो संविधान में सलाह के रूप में दर्ज है यानी यह अधिकारी नहीं है समान नागरिक संहिता से जुड़ी कुछ बातें संविधान की समवर्ती सूची में दी गई सूची में दर्ज और दोनों कानून बना सकते हैं मुस्लिम पर्सनल लोन एप्लीकेशन कोई भी दर्ज है ©Ek villain #समान नागरिक संहिता के लिए सही समय #Love
Neetu Arora
आज के युग में सभी रावण हैं रावण ने कर सीता हरन सुरक्षित रखा फिर भी उसका तन राक्षसों के मधय रहकर राम में रमा रहा उसका मन तभी तो सीता मां कहलाती पावन है। आज के युग में सभी रावण हैं। आज जन्म लेते ही सीता रावण के चंगुल में फस जाती है कभी निर्भया कभी मनीषा बन जीभ देह से कट जाती है चंचलता बरसती थी मुख पे जिसके खून के छींटों से धुल जाती है कहते हो पशु नहीं हम श्रेष्ठ जन है आज के युग में सभी रावण हैं। सुन! तेरी जीभ तो साबुत है फिर क्यों आवाज़ नहीं उठाते हो सुन! कमर भी बिल्कुल सीधी है फिर उठ क्यों नहीं पाते हो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा खूब लगाते हो फिर ए रावण बेटी को जिंदा क्यों जलाते हो जलते बदन से जला दो दुनिया कुटुंब नहीं ये भूमि रण है। आज के युग में सभी रावण है ©Neetu Arora आज के रावण #Stoprape