Find the Latest Status about पैतृक संपत्ति का बंटवारा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पैतृक संपत्ति का बंटवारा.
ranjit Kumar rathour
ये एक इत्तेफाक था कि मैं अपने गांव में था भागवत कथा चल रहा था स्वभाव के विपरीत मैं वहा था आदतन सुनता नही मैं लेकिन गांव है मेरा प्रवाचक ने शुरू किया भाई से भाई के बटवारा हो लेकिन संपत्ति का नही सवाल था आखिर किसका? जवाब प्रवाचक का आया बिपत्ति का बटवारा हो पता नही क्यो लगा कि मैं गलत नही हूँ जब कि मैं उस वक्त तनाव में था फिर मैं बीच मे ही चला गया मजबूत और मजबूत होकर पास ही अपने स्कूल मैदान जहा से मैने ककहरा सीखा था नमन किया उस मंदिर को यही से हर संस्कार सीखे थे मैं भाई से मिलने आया था उसकी तबियत ठीक नही थी शायद किसी के लिए ये गलत था मैं असमंजस में था लेकिन संतुष्ट हो गया आज मेरा कथा पंडाल आना सार्थक हो गया लगा आना चाहिए कभी कभी ऐसी जगह शान्ति औऱ हल दोनों मिल जाते है ©ranjit Kumar rathour विपत्ति का बटवारा #संपत्ति का नही
Vickram
चलो आज अपने गमो का भी बंटवारा कर लें । रखना याद की सबके हिस्से में ये बराबर आए । हो सके किसी कमजोर को थोड़ा कम ही देना । ले लेना उस्से दुआएं जो आग चल के काम आए । किसी वजह से हार गए तो रब सम्हाल लेना। पता है तुम्हें मेरी जुबां से सदा तेरा ही नाम आए। में निकला हुं अकेला कोई साथी भी नहीं है मेरे। मुझे इस सफर में मालिक बस तेरी याद आए। कोई भी नहीं है तेरे अलाबा संग तेरे मेरा विश्वास ,,,काम आए।,,, ©Vickram बंटवारा गमों का ############
Nimisha Mishra HI
मेरा इश्क़ भी बंट गया कई हिस्सों में ये मैंने कभी सोचा ही नही था लेकिन फिर भी तुम मेरे हिस्से का इश्क़ बचा कर रखना , मैं तुम्हारे हिस्से की जिन्दगी लेकर आऊँगी ।।। 😊😊 ©MishraNimisha® इश्क का बंटवारा #Time
Jiyalal Meena ( Official )
Binu Nehra
दिल तो क्या? इनके तो घर तक भी , बंटे हैं हिस्से हिस्से!! ©Binu Nehra #dilkibaat #दिलों का बंटवारा#najoto
Vikram Singh
वो अब घर जोड़ने की बात करते है जो खुद घर छोड़ कर आए हुए है वो कैसे देश से इधर से उधर जा सकते हैं हुआ था कुछ वर्षों पहले इक हादसा समझकर उसे भूलकर आए हुए हैं हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जो एक हैं उनके दिल में अब धर्म से दीवारें खींचने का हौसला कैसे हो सकता हैं कुछ चंद कागजों से अब इनके जलील होने का फैसला कैसे हो सकता है इतने बड़े देश में पगडेंदी से भी चोटी सोच रखने वाला रखवाला कैसे हो सकता हैं खून का कतरा बहाया जिसने इस देश की जमीन के लिए ये देश अब उनके लिए पराया कैसे हो सकता हैं अरे उनको क्या पता जिसने बिन धर्म जाति पूछे खून से सींचा इस देश की नीव को उनके घर और वो खुद आज रोड पे आए हुए है वो कैसे देश से इधर से उधर जा सकते है जो हुआ था कुछ वर्षों पहले इक हादसा समझकर उसे भूलकर आए हुए हैं लोगो का बटवारा