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    PopularLatestVideo
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Anamika

    किसी उलझन से शुब्ध हूं आज,
मन की व्यथा, सुलझाऊं कैसे...
 जिन हृदय में,सच्चाई बसे,
झूठ  वो फिर अपनाऊं  कैसे....
   ##Open collab##
  @@शुब्ध  मन@@

##open collab## @@शुब्ध मन@@

0 Love

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Author kunal

किसलय तुम्हारी पाणि प्रिय 
लुब्ध हो जाता हूं 
जब जब  महसूस करता हूं ख्वाबों में
स्पर्श प्रिय । #पागल_आशिक 
#साहित्य_प्रेम 
#मेरे_जज्बात008 
#प्रेमी_मन 
अपनी प्रेयसी के लिए 
#yqdidi 
#yqbaba 
#kunu
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Bazirao Ashish

तन 
संन्यासी!
मन
संन्यासी!
धन
संन्यासी!
लक्ष्य
संन्यासी!
भविष्य 
संन्यासी!
संन्यासेन
लब्धे
मोक्ष:!
●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish तन 
संन्यासी!
मन
संन्यासी!
धन
संन्यासी!
लक्ष्य
संन्यासी!

तन संन्यासी! मन संन्यासी! धन संन्यासी! लक्ष्य संन्यासी! #ज़िन्दगी

10 Love

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vishnu prabhakar singh

Hello Mamma!
यूँ प्यार से उठाना
यूँ लोरी से सुलाना
बहलाना, फुसलाना
गुस्सा हो जाना
गोद उठाना
मेरे लिये सब कर जाना
तुम और तुम्हारी ममता
है बड़ा खजाना। श्रेष्ठ लब्ध है।
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
#विप्रणु #माँ #yqdidi #love

श्रेष्ठ लब्ध है। मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। #विप्रणु #माँ #yqdidi love

0 Love

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VYRaMa

मैं अल से लब्ध हूं,
पर
किस्मत से निशब्द हूं

शायद 
मैं प्रारब्ध हूं...! 
By -VY "RaMa"

#अल - कला , लब्ध - प्राप्त , प्रारब्ध - पुराने जन्म का फल

©VYRaMa By -VY "RaMa"

#अल - #कला , #लब्ध - #प्राप्त , #प्रारब्ध - #पुराने #जन्म #का #फल



#paper
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SURAJ आफताबी

गर   कभी   श्वाँसों   की   गति   मेरी   अवरुद्ध  होगी
देह  मेरी  जर्जर  व  काशीवास  की ओर लुब्ध  होगी
तुम  सारे  आबंध  खोल, सारे  उपालंभ  समय  के  पीछे  छोड़
गोद में रख सर मेरा अंतिम बार फिरसे मस्तक सहलाओगी ना
मैं  रोक  लूँगा  नजरों को तेरे रस्ते में मगर बताओ आओगी ना

जब    सूरज   की    किरणें   मेरे   प्राणों   से   क्षुब्ध  होगी
मृगांक की ज्योत्सना भी मेरी विदाई पर अत्यंत मुग्ध होगी
मेरे सारे प्रणय आँसूओं में भर, स्वयं के प्रण सारे मोम-से पिघला कर
गीत  वही  पुराना अपने होंठों से गा अंतिम बार फिरसे सुलाओगी ना
मैं  रोक  लूँगा  मँद  साँसों  को तेरे सदके में मगर बताओ आओगी ना

अंत में जब अक्रिय देह पंडित-पुरोहितों के मंत्रों से शुद्ध होगी
पंचतत्व  होंगे  माटी  में  विलीन  और  आत्मा स्वयं बुद्ध होगी
तुम  तोड़  अपना मौन  इक अंतिम बार फिरसे "आफताब" बुलाओगी ना
मैं मुस्काते हुये तुम्हारे स्पर्श से हो जाऊँगा विदा मगर बताओ आओगी ना बताओ आओगी ना

कविता..🙏🙏

काशीवास- मृत्यु
लुब्ध- आसक्त, आकर्षित या मोहित
आबंध - गाँठ 
उपालंभ- गिले-शिकवे

बताओ आओगी ना कविता..🙏🙏 काशीवास- मृत्यु लुब्ध- आसक्त, आकर्षित या मोहित आबंध - गाँठ उपालंभ- गिले-शिकवे #Zindagi #Deepthoughts #yqdidi #yqhindi #कविताएँज़िंदारहतीहैं #surajaaftabi

0 Love

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उदय खितौलिया

निःस्वास हैं मेरे भाव, किन्तु तुम कर लेना जीवन्त!
या अश्कों से तर्पण देकर, तुम मुझे भूलाती रहना!!
छः मास छुब्ध कर दें जब, तुमको बीते साथ हमारे!
पावन प्रतीक परिणय उतार, खुदको समझाती रहना!!



मैं अनुत्तरित ही कटघरे में मिलूंगा तुमको...............
तुम निर्भय होकर नित्य प्रिय, आरोप बिछाती रहना!! निःस्वास हैं मेरे भाव, किन्तु तुम कर लेना जीवन्त!
या अश्कों से तर्पण देकर, तुम मुझे भूलाती रहना!!
छः मास छुब्ध कर दें जब, तुमको बीते साथ हमा

निःस्वास हैं मेरे भाव, किन्तु तुम कर लेना जीवन्त! या अश्कों से तर्पण देकर, तुम मुझे भूलाती रहना!! छः मास छुब्ध कर दें जब, तुमको बीते साथ हमा

4 Love

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समीक्षा "एक प्रारम्भ"

"सोनिया कालरा"
सो - सोम-सुधा- सम सरस  सलोनी
             सुन्दर सहृद स्वभाव सरल,
नि - निश्छल-नृपा,  निरन्तर नवरित
            नैसर्गिक नित,निलय नवल,
या - यामिनि-योषित,यौवित-यद्वित
                यवन्ति युग-युग यद्वरल,
का - काकधेनुका    कुबेर     कन्या
        कमला कुसुमित कुंज  कमल,
ल -  लय-लिपिबद्ध लब्ध-प्रतिष्ठित
         ललित  ललाजू लवित लवल,
रा -  राज-स्वर्णिता     रत्न-गर्भिता
              रूप-रेखिका रजत रवल... "सोनिया कालरा"
सो - सोम-सुधा- सम सरस  सलोनी
             सुन्दर सहृद स्वभाव सरल,
नि - निश्छल-नृपा,  निरन्तर नवरित
            नैसर्गिक नित,न

"सोनिया कालरा" सो - सोम-सुधा- सम सरस सलोनी सुन्दर सहृद स्वभाव सरल, नि - निश्छल-नृपा, निरन्तर नवरित नैसर्गिक नित,न #कविता

5 Love

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Er.Shivampandit

लक्ष्मण की उर्मिला होना... #लक्ष्मण_की_उर्मिला_होना
आसान नहीं है
प्रेम में पगे खतों की प्रतीक्षा भी न करना
आसान नहीं है
प्रेम में विलग हो, प्रेम में व्याकुल रहना
आसान

लक्ष्मण_की_उर्मिला_होना आसान नहीं है प्रेम में पगे खतों की प्रतीक्षा भी न करना आसान नहीं है प्रेम में विलग हो, प्रेम में व्याकुल रहना आसान

80 Love

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रजनीश "स्वच्छंद"

ज्ञान कुंड।।

सर्वविदित ये ज्ञान कुंड स्वतः क्षय होता रहा,
स्वर्णयुगी ये काल-खंड अवशेषमय होता रहा।

आरोह और अवरोह में,
सार्थक ध्वनि कहीं मन्द थी।
कपट-क्लेश विकृत समर में,
रोध-इंद्रियां बड़ी चंद थीं।
स्फटिक धाग पिरो पिरो,
मंत्रोच्चरित बल भी मूक था।
अवधारणा प्रतिकूल थी,
पथद्रष्टा ठिठक दो टूक था।
अर्जुन सहज सखा कृष्ण भी,
अश्व-टाप सार धूमिल रहा।
अपभ्रंश शब्द कर्ण-पट पड़े,
आशय अनर्थ कुटिल रहा।
अर्थ भी बहुरुपिया हो स्वांगमय होता रहा।
सर्वविदित ये ज्ञान कुंड स्वतः क्षय होता रहा।

अवलोकन आलोक बिन,
सामर्थ्य शब्द उधेड़ता।
कर्म-शिल्पी कृतान्ध बन,
कुविचार लब्ध उकेरता।
जो दिग्भ्रमित वाहित हुआ,
पथ ज्ञान कब वो वाचता।
व्याधी-युक्त उपचार ले,
किस मुख मनुज को जांचता।
किस विधा परिवेश क्या,
किस शोध जीव विहित हुआ।
निःपुष्प तरु तोयहीन जलधर,
अन्तर्मन सजीव निहित हुआ।
बंशी-धुन की छांव में विलाप लय होता रहा।
सर्वविदित ये ज्ञान कुंड स्वतः क्षय होता रहा।

विषपान कर ले कंठ नील,
नव-युग अन्वेषित हो रहा।
कण कण धरा पुनीत धाम,
दण्ड-दोष उल्लेखित हो रहा।
देखो दमकती चल पड़ी,
झुर्रियों में खिल रहा तारुण्य है।
पत्तियों की झुरमुटों से,
धरा से मिल रहा आरुण्य है।
तम भेदती ये अरुणिमा,
स्वागत गान में सृष्टि लगी।
मानव हृदय के कपाट खोल,
ये नव-सृजित दृष्टि जगी।
दृष्टिपात से अंकुरित शीतल मलय होता रहा।
सर्वविदित ये ज्ञान कुंड स्वतः क्षय होता रहा।।

©रजनीश "स्वछंद" ज्ञान कुंड।।

सर्वविदित ये ज्ञान कुंड स्वतः क्षय होता रहा,
स्वर्णयुगी ये काल-खंड अवशेषमय होता रहा।

आरोह और अवरोह में,
सार्थक ध्वनि कहीं मन्

ज्ञान कुंड।। सर्वविदित ये ज्ञान कुंड स्वतः क्षय होता रहा, स्वर्णयुगी ये काल-खंड अवशेषमय होता रहा। आरोह और अवरोह में, सार्थक ध्वनि कहीं मन् #Poetry #kavita

3 Love

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AB

   जंगली
   गुलाब
   महबूब
   मेरा
   सर से
   लेकर
   पाँव
   तक
   महकता
   है
   कसम से
   बेहद,.
    
            .,. लाजवाब  प्रिय श्री, ( श्रीमयी - जंगली गुलाब ),.

   क्या ही कहूँ,. जंगली गुलाब हो कुदरत -ए -हक  बेहद खूबसूरत पाक रूह पाक़ीज़ा ख्याल हो, सच कहूँ तो तुम

प्रिय श्री, ( श्रीमयी - जंगली गुलाब ),. क्या ही कहूँ,. जंगली गुलाब हो कुदरत -ए -हक बेहद खूबसूरत पाक रूह पाक़ीज़ा ख्याल हो, सच कहूँ तो तुम

0 Love

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Rajesh Verma

पूज्य गुरुदेव का सपना हो रहा साकार,अंजनशलाका महोत्सव
By राजेश वर्मा
मंगलवार 03 मई 2022
राजगढ़ ---- गुरु नवरत्न की जन्मभूमि पर राजगढ़ संघ शिरोम

पूज्य गुरुदेव का सपना हो रहा साकार,अंजनशलाका महोत्सव By राजेश वर्मा मंगलवार 03 मई 2022 राजगढ़ ---- गुरु नवरत्न की जन्मभूमि पर राजगढ़ संघ शिरोम #समाज

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