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Ankit Rai
कहते तोह है कि कोशिश करने वालो की हार नही होती ।। पर सच यह भी है कि सफलता से पूर्व कई कोशिशें नाकाम होती है ।। और ,, और इन नाकामियो से ऐ - "जंगी " तेरी फिदरत बदनाम होती है ।। #NojotoQuote बदनाम " जंगी"
SURAJ आफताबी
कहो तो उलझे बिखरे गेसूओं को ऊँगलियों की कंघी दे दूँ अविजित तुम्हारे नैनों को परिस्थिति कोई जंगी दे दूँ बड़ी उदास - उदास नजर होती है इन होठों की ललाई कहो तो इनसे दूर इनके आलिंगन को बिछड़े संगी दे दूँ!! कह दो तो पुच्छल तारे जैसी भृकुटियों को कार्य कोई अनुषंगी दे दूँ तुम्हारी असंख्य तस्वीरों में से तस्वीर कोई दिल पर टंगी दे दूँ बड़ी अशांति मचा रखी है कुछ दिनों से आँखों की स्याह धार ने कहो तो थोड़ी खलबली को इन्हें भी कोई मरीचि भंगी दे दूँ!! बड़ी पुरानी हुई नथ को सितारा कोई सतरंगी दे दूँ बिंदिया-टिकिया सब व्यर्थ बाते कहो तो आफताबी कलंगी दे दूँ बड़ी उदास - उदास नजर होती है इन होठों की ललाई कहो तो इनसे दूर इनके आलिंगन को बिछड़े संगी दे दूँ!! कहो तो दे दें..? जंगी- युद्ध वाली ललाई- लाली भृकुटी- eyebrow अनुषंगी- कार्य जिसका कोई परिणाम निकले मरीचि- किरण,ray भंगी- भंग करने वाली
Vishal Kumar
जंगी दिमाग पर उसने ताला जड़ दिया है पार्थ, इसलिए हमने दिल का दरवाज़ा खोल दिया ।। ~ विशाल कुमार जंगी दिमाग पर उसने ताला जड़ दिया है पार्थ, इसलिए हमने दिल का दरवाज़ा खोल दिया ।। ~ विशाल कुमार #art #artist #poetry #story #novel #shaay
Shree
बना नमक का सौदागर , कभी दिन ढले आता है कभी सारी रात जगाता है, यह नमक का सौदागर, तकिए में मुंह दबा कर सिसक-कर फफक-फफक, ना जात इसकी है कोई, ना जाने जनाना या मर्दाना, ना पर्याय इसका कोई, सीमा के पीछे झूठा महकमा, खंजर धोखे सा जंगी-नुकीला, बरबस आहें जोड़े रखता, कभी आंखों के पीछे बहता, कालकूट से बहुत जहरीला, मन अंतर कर सब खोखला डस लेता कोई बन संपोला, कांटों सा कभी कांपे कण-कण, भालों सा कभी बांटे अंतर्मन। फितरत ऐसी दोहरी इसकी, पनपे पनौती बनकर सबकी, टटोलते जेब को, कभी जमीं को, सहलाते टूटा दिल रफ्ता रफ्ता! हां दबे पांव आता है ये "____'' और भीषण तबाही पिरो जाता!! #कौन ? बना नमक का सौदागर , कभी दिन ढले आता है कभी सारी रात जगाता है, यह नमक का सौदागर,
rajesh pol
मी कावळा ज्याच्या कर्कश आवाजाने जन्मभर त्रास होतो ज्याच्या काळ्या रंगाचा तुम्हाला जन्मभर विटाळ होतो पण विसरता, तुम्ही जिवंत असेपर्यं
रजनीश "स्वच्छंद"
फक्कड़।। मैं एक फक्कड़ अदाकार हूँ, बात छुपा नहीं पाता हूँ। कभी पुष्प तो कभी खार हूँ, जात छुपा नहीं पाता हूँ। तू डाल डाल, मैं पात पात, कैसे बने फिर बोलो बात। लोग कहें ये ज़ुबां है काली, मिथ्या अभिनन्दन हुआ नहीं। एक जगह बतलाओ मुझको, जहां ये क्रंदन हुआ नहीं। कलम मेरी पहचान रही, हमसाया हमसंगी है। स्वर विरोध के फूटे इससे, विद्रोही बड़ी ये जंगी है। किस ख़ातिर तेरा सम्मान करूँ, जो ये दरबार सजाया है। किस डर मैं कर लूं वंदन, अपना घरबार जलाया है। है तेरा क्या जो दान करे, सब मिट्टी में मिल जाना है। तुम कांटे जितने बोओगे, ये पुष्प वहीं खिल जाना है। आदि अनन्त से मुक्त रहा, मैं मोक्षधाम का वासी हूँ। धनातुर हो हवन ये कैसे, मैं कलम लिया सन्यासी हूँ। न वानप्रस्थ न चौदह बरस, यहीं मैं लंका जलाऊंगा। शब्दों की रणभेरी बना, युद्ध का डंका बजाऊंगा। रक्तपुरित ये आँख लिए, मैं लाल जहां कर जाऊंगा। ढली सुबह की लाली जब जब, मैं पुनः लौट कर आऊंगा। दे अमरत्व का वर शब्दों को, निर्मित लौह-स्तंभ करूंगा। ले प्रेरणा दिनकर से फिर, मैं शब्दों में दम्भ भरूंगा। वज्रित होगा हर एक प्रहार, जरा की संधि खण्डित होगी। फिर गांधारी का होगा श्रृंगार, ना बन अंधी दण्डित होगी। एकलव्य अंगूठा नहीं कटेगा, कवच कर्ण का रक्षित होगा। ब्रह्मास्त्र चलेगा कोई नहीं, न गर्भ शिशु से वंचित होगा। रौशनी की चकाचौंध में, रात छुपा नहीं पाता हूँ। मैं एक फक्कड़ अदाकार हूँ, बात छुपा नहीं पाता हूँ। ©रजनीश "स्वछंद" फक्कड़।। मैं एक फक्कड़ अदाकार हूँ, बात छुपा नहीं पाता हूँ। कभी पुष्प तो कभी खार हूँ, जात छुपा नहीं पाता हूँ। तू डाल डाल, मैं पात पात,
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Unconditiona L💓ve😉
ध्या तुझे अंतर्मन में, आँखों में आँशु भर आते हैं.. तुझ बिन अधूरे थे मीरा मेरे_❤ और अब भी अधूरे ही रह जाते हैं_!! {❤मोहन की मीरा ❤ तेरी धुन में प्रेम धुन "अनुशीर्षक "में } #मोहन_की_मीरा-2. 🌀 Hello..!!MYTHHII.!!!❤❤😊😊 I Hope, and Pray to Mahadev, that all of you yq family and all of your family should be comp
sandy
गीता आणि जयेश दोघेही समवयस्क,सक्खे शेजारी आणि दोघांची मैत्री अगदी लहानपणापासूनच,म्हणजे कोणीही त्यांच्या मैत्रीकडे पाहून लोकांना त्यांच्या मै