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Mamta kumari
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार काल की तरह मुँह खोलें हैं ना जाने कौन बच्चा कब काल के मुँह समाए ये तो भोले है। अस्पताल में बच्चे का जान जाते देख माँए खून के आंसू रोए हैं ना जाने इसका समाधान कब होगा सरकार तो सोए हैं । हर दिन माँये का आँचल खाली होते देख नींद नही आया है रोते बिलखते बच्चों की आवाज सुन मुझे रोना आया है । काश मैं इन बच्चों के लिए कुछ कर पाती चिन्ता सताया है हे प्रभु करो चमत्कार बच्चों को लेकर माँए सपना संजोया हैं। मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ।
प्रकाश साळवी
कोरोना... कोरोना !! खेळलास डाव भले तू मोठा कोरोना समजू नकोस भारता छोटा कोरोना *** पाहिलीस का तू भारताची संस्क्रुती अजून नाही पाहिला तू वरवंटा कोरोना *** परतविलेत हल्ले पूर्वी प्लेग पटकीचे पाहिला नाहि वारसा तू भलामोठा कोरोना *** जरा समजून घ्यावे संकटाला लोकहो संसर्गामुळेच होतोस तू मोठा कोरोना *** आहे पूर्ण विश्वास आमच्या शक्तिवर परतून टाकू कुटील हल्ला तू खोटा कोरोना *** तू कुणीही असो जीवाणू वा विषाणू एव्हढेच सांगतो चीनचा तू कूलटा कोरोना *** शासनाचे जरा ऐका घरातच रहा तुम्ही काय करेल वाकडे तू ऊलटा कोरोना *** प्रकाश साळवी बदलापूर - ठाणे मोबाईल : 9158256054 कोरोना कोरोना
poetess poonam Udaichandra
#5LinePoetry थम गई मेरी कलम, कैसे व्यक्त करू मन के उदगार। कि उजड़ गए मेरे सामने ना जाने कितने घर परिवार।। © poetess poonam Udaichandra कोरोना, कोरोना #5LinePoetry
Aashiyana Stars Films Bihar Mumbai
karthikey poems
कुछ यूं बदला बदला सा है कुदरत का यह रंग जब से आया है .....यह कोरोना वीरान हुई सड़कें घरों में कैद हुआ आम जन मन...... डर डर के हर कोई बोला है हाय कोरोना तबाई कोरोना चैन नहीं है सांसों में भी वह भी बोले कोरोना कोरोना अब तो सिर्फ आजाद है वह पंछी..... जो प्रकृति से ना खेले बाकी बचा बेचारा मानव जो थाली - ताली से ही बोले घुटता है दम रोता है मन जिसको है कोरोना अगर रक्त में घुल गया तो विस्फोटक है कोरोना क्या करें जिद्दी बड़ा है जान लेकर ही मानता है यह कोरोना निगल रहा हैं जो जन-जन को विश्वव्यापी महामारी है यह कोरोना हाय कोरोना तबाही कोरोना
Navash2411
वर्ष का अंत हो रहा था, नववर्ष का आगमन, तभी वुहान में नोवल कोरोना रूपी राक्षस का जन्म हुआ दुनियाँ नववर्ष की तैयारी में मदमस्त हो रही थी। उसी समय भारत में CAA नामक भूत आया, कुछ मुसलमानों को नागरिकता जाने का डर सताया। कुछ विपक्षी नेताओं ने भी फुलसाया, बहकाया, चतुरों ने कुछ दलितों और बुद्धिजीवियों को भी साथ लगाया। गो CAA गो NRC का नारा लगाया, CAA में गलत क्या है ये पूछने पर संविधान खतरे में बताया, साथ ही शहर-शहर शाहीन बाग बैठाया। आरोप प्रत्यारोप के दौर शुरू होने लगे, बॉलीवुड वाले भी न जाने क्यों CAA पर रोने लगे। हिंदुस्तान में जब शाहीन बाग शाहीन बाग हो रहा था, दुनियाँ का अधिकांश हिस्सा कोरोना से रो रहा था। आफत के पैर कहाँ होते हैं, जैसे संस्कृति के विचरण के नहीं होते। दोनों को मानव ही यात्रा कराता है, जाने अनजाने सबको संकट में लाता है। कभी जिस देश की आलोचना कर रहा होता है, फिर वहीं लौट के आता है। यही तो बंधु नियतिवाद का तकाजा है, प्रकृति के आगे बेकार में जोर लगाता है। ◆जय माता दी◆ #कोरोना #कोरोना #शाहीनबाग #शाहीनबाग
madhukar mishra
*कोरोना पर शपथ* --------------------- बहुतों ने खोए हैं अपने बहुतों के टूटे हैं सपने आँखों से बहती है धारा मिलता नहीं है किनारा तो आओ एक शपथ लें जब भी निकले घर से चेहरे को अच्छे से ढक लें हाथों को साफ रखने साबुन सेनेटाइजर की मदद लें स्वस्थ जीवन शैली और घरेलू नुस्खे अपनाकर स्वयं को मजबूत करें ये सवाल है हम सबकी सुरक्षा का तो आओ थोड़ा सा डर लें थोड़ी सावधानी बरत लें दो गज की दूरी क्या प्यार पर है भारी तो क्यों ना समझ लें इसे हम अपनी जिम्मेदारी कोरोना से निर्णायक लड़ाई में हो सबकी भागीदारी ये छोटी सी कविता मेरी जनहित में जारी ©madhukar mishra कोरोना पर शपथ #कोरोना