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शान-ए-शब
ये कैसी "वबा" फैली है फ़िज़ा में, ये कैसा मौसम आया है ! "इंसानियत" अब मर चुकी है लोगों में, जिसने ना जाने कितने दिलों को दुखाया है !! ©शान-ए-शब ये कैसा मौसम आया है 🙂.... #Nojoto #shayeri
Sonu Goyal
कुछ चाँद से हम भी अकेले थे जाने किस रात में निकले थे तुम बनकर आए चंद सितारे मेरे आसमान में फिर हम कैसे अकेले थे जाने कैसा मौसम था जाने कैसी रात थी कुछ बौछारों वाली तो कुछ हल्की बरसात थी दूर कहीं पर कुछ दुःख के ढेरे थे वहीं किसी कोने में चल रहे खुश के मेले थे अपने अस्तित्व को मिटाकर तुमने साथ निभाया मेरा थाम कर मेरे ढलते उजाले को साथी बताया मेरा क्या कम था क्या गम था अब मुझको कुछ भी याद नहीं तेरे होने से चमक रही हुं अब तेरे सिवा कोई साथ नहीं ©Sonu Goyal #sa_thi_ya कुछ चाँद से हम भी अकेले थे जाने किस रात में निकले थे तुम बनकर आए चंद सितारे मेरे आसमान में फिर हम कैसे अकेले थे जाने कैसा मौसम
Shivam Veer
ये कैसा मौसम है, बदलता क्यों नही और ये बेकार दिन, ढलता क्यों नही ये बाग भी तो फीके से लग रहे हैं , क्या अब ये भी गुलजार नही होता और ये फूल, न खिलते न महकते हैं किसने कहा की वक्त बेकार नहीं होता इतनी बेरुखी, इसी वक्त से मिले मुझको फिर भी सब्र की नकल , यार नही होता जब से बैठा हूं , तब से ये बादल है यहां कब गिरेगी बूंदे, इतना इंतजार नहीं होता आज वो नहीं, तो इन सब ने रंग बदला है आज वो होती, तो कोई बीमार नही होता हां, इस बाग की सबसे खूबसूरत फूल है वो अच्छा, तो इसलिए अब ये गुलजार नही होता उसे बताऊं भी कैसे अब ये बात मैं की मैने झूठ बोला था की मुझे प्यार नही होता ©Shivam Veer ये कैसा मौसम है, बदलता क्यों नही और ये बेकार दिन, ढलता क्यों नही ये बाग भी तो फीके से लग रहे हैं , क्या अब ये भी गुलजार नही होता और ये फूल
Tera Sukhi
दायरा दर दायरा घट रहा है मुझ में से मैं निकल रहा हूँ आग लगी है आज मेरे खुद के घर में तो मैं जल रहा हूँ जाने कितनों के घर जला आया हूँ जां अब कंहा जाऊं खुद से छुपकर जाने किन रस्तों पर मैं अब चल रहा हूँ FULL READ IN CAPTION 👇👇👇👇 * दायरा दर दायरा * दायरा दर दायरा घट रहा है मुझ में से मैं निकल रहा हूँ आग लगी है आज मेरे खुद के घर में तो मैं जल रहा हूँ जाने कितनों के
PS T
कई बार कोशिश की है अवश्य जीत लेंगे मन को इस बार हर बार पराजय हुई है। प्रिय लेखको, नमस्ते। आइये आज फिर हाइकु लिखते हैं। कल हम ने उर्दू में जिस छन्द विधान पर हाइकु लिखे जाते हैं उस के बारे में बताया। निम्लिखि
PS T
बड़ी चुनौती दे दी आज दीदी ने कैसे लिखूंगा हर बार ही मैंने कोशिश की है मिली जीत भी इस बार भी मैं मैदान में आऊँ और जीत जाऊँ कठिन तो है मजा भी उसी में है करके दिखाऊँ प्रिय लेखको, नमस्ते। आइये आज फिर हाइकु लिखते हैं। कल हम ने उर्दू में जिस छन्द विधान पर हाइकु लिखे जाते हैं उस के बारे में बताया। निम्लिखि
Neha Pathak
अाओगे जब तुम आे सांजना अंगना फूल खिलेंगे बरसेगा सावन...🌷🌷बरसेगा सावन झूम झूम के🌸🌸दो दिल ऐसे मिलेंगे🌻🌻 मौसम सुहाना साथ तुम्हारा फिर कैसा गम डर कैसा जमाना
Nasin Nishant
मौसम है दिल्लगी का तो दर्द कैसा ? दिया है घाँव जब अपनों ने तो हर्ज़ कैसा ? बेखुदी में उनकी हम यहाँ पागल हुए बैठे हैं मुझ दीवाने को उसने पागल बना ही दिया जब तो कर्ज़ कैसा ? मौसम है दिल्लगी का दर्द कैसा ....? #ThankYouForMakingMeSo