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कमलेश मिश्र
"हे रणछोड़" माधव,मुरलीधर,माखनचोर कृष्ण-कन्हैया,चतुर,चितचोर ऐसी भावन छटा तुम्हारी जैसे ब्रह्म मुहूर्त का भोर रासरचैया,राधावल्लभ एकानेक!,गोपियां चहुंओर लीलाधर,यशोदानंदन महारास में भावविभोर तुम्हीं हो चक्र सुदर्शन धारी वाक्पटुता पर मैं बलिहारी तुम्हारी महिमा अपरंपार तुम्हीं हो गोवर्धन गिरिधारी हे रणछोड़,द्वारिकाधीश मैं बारंबार नवाऊँ शीश करो सकल जगत कल्याण हे भक्तवत्सल जगदीश तुम्हारी सभी चराचर माया मोरमुकुट अतिशय मनभाया ऐसी कर दो दशा-दिशा प्रभु लगे लोक हित नश्वर काया। ©कमलेश मिश्र रणछोड़ कृष्णा 😍😍😍
प्रणव एहसास
मेरे उस कुनबे में कई जमीदार रहते है, वहां नही है एक टुकड़ा जमी, मंदिर के लिए , जहां कई धर्मराज रहते है। "प्रणव एहसास" ©प्रणव एहसास #मंदिर
Rajnish Shrivastava
महादेव के मंदिर में आज अनायास चला आया । देखकर उनका विराट रूप मन अत्यधिक हर्षाया । ©Rajnish Shrivastava #मंदिर
Ganesh Kumar Verma
सुन लो मन की आवाजों को……. मंदिर-मस्जिद क्यों दौड़ रहे, खोलो मन के दरवाजों को, बाहर इतना क्यों शोर करो, सुन लो मन की आवाजों को। बैठा है ईश्वर क्या मंदिर में? या चर्च में, या गुरुद्वारे में ? जीवनदाता जो जग का है, क्यों रहे वो किसी के सहारे में। नर- नर में है, चराचर में है, अम्बर में है और भुतालों में, क्या कैद है वो किसी मानव निर्मित दरवाजे और तालों में? नही मिलेगा वो मंदिर-मस्जिद और किसी गिरजाघर में, वो खुश ना हो पाखण्डों में , ना हीं विविध आडम्बर में। यदि उससे लगन लगानी हो, उससे गर आँख मिलानी हो , तो सुन लेना किसी लाचार ,और बेबस के फरियादों को । मंदिर-मस्जिद क्यों दौड़ रहे, खोलो मन के दरवाजों को । बाहर इतना क्यों शोर करो, सुन लो मन की आवाजों को। सारी ध्वनियां बंद करो, बस बजने दो मन की साजों को , मानव इतना क्यों शोर करो,बस सुन लो मन की आवाजों को। गणेश वर्मा ……. …..मन की कलम से ………………. ©Ganesh Kumar Verma #मंदिर
Aditya Kumar Bharti
सम्मान हमेशा करोना सावधान हम मंदिर बना रहे हैं। हमें अस्पताल की क्या जरूरत हम तुम्हें श्रीराम से डरा रहे हैं।। ©Aditya Kumar Bharti #मंदिर