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kunal shrotriy
हिंदी दिवस बदले संसार के पहरे पर है झूठ का पर्दा लहर रहा कही भाई भाई को मार रहा कही द्वेष पुत्र से झलक रहा. बदल रही हर शख़्स की नियत... बदल रहा ये जहान है धन माया के ज़ंज़ीरो से घिरा हुआ हर इंसान है धरती तो यहाँ हुई पापमयी बचा हुआ आसमान है पावन पुण्य धरा पर अब तो हर शख़्स बना हैवान है.. कुरीतियों मे समाज ढल रहा इनसे मानव कैसे छूटे प्राणघाती धन के लालच से मोह मनुज का कैसे छूटे.. कथनी करनी मे न अंतर हो सुविचार पले सबके मन मे अब राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत हो दायित्व बौध हो जन जन मे... उठो जागो लक्ष्य को साधो सार्थक जीवन को बनाना है एक्यबलं के साधन से विकसीत भारत को बनाना है है वक़्त आ चला उठने का कर्मठ भारत को बनाना है एक्यबलं के साधन से विकसित भारत को बनाना है... 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 #जयतु भारतं#
rahul choudhary
चाहे मौसम कोई भी आएगा ये समर्पण हमेशा-हमेशा रहेगा ©rahul choudhary जय भारतम् #chhathpuja
Arvind Dubey
काश ऐसा हो काश भारत फिर से अपनी प्राचीन शिक्षा पद्धति अपना ले। जयतु भारतं शिक्षा ही आधार है
संस्कृतसर्वत्र
होलिकापर्वण: शुभकामना:। शुभा होली ।शौभना होलिकामहोत्सव वर्णमयं वर्णोत्सव: रंगमयं भवतु। *अग्रिमशुभकाम* *शिवासारस्वत*
Jay Pandey
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
सुधानामा ~°°•☆•°°~ क्या लिखूं आपको मैं आप तो स्वयं ही अमृत हैं, ईश के हस्त-कमलों द्वारा सर्व गुणों से सृजित हैं। ☆•☆•☆ मन के भीतर जो भी बात हो सबके सम्मुख नि:संकोच ही रखतीं हैं, अनेक कलाओं, नए विचारों, प्रेरक-कथाओं एवं व्यंजनों को साझा करतीं हैं। हिंदी आपकी अति मंजुल मन का हर कोना हिंदीमय कर देती है, आपके मधुर स्वर का क्या कहना बस क्षण भर में अपनें रंगों में रंग लेती है। कभी एक बहन प्यारी-सी तो कभी माँ की छवि आप में दिखती है, देखिये "हृदय" छोटी-सी लेखनी "सुधा" दीदी को लिखने का प्रयास करती है। मईया-नंदिनी का अभिनंदन पुष्पहार एवं सुगंधित चंदन से, हर दिवस ही उत्सव हो जन्मोत्सव-सा ये प्रार्थना है रघुनंदन से। ☆•☆•☆ -रेखा "मंजुलाहृदय" आपको एवं आपकी आत्मजा को जन्मोत्सव की अनंत शुभकामनाएं सुधा दीदी जी! 🍸🍰🥂🎂🍹🍫🍾 ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #सुधानामा सुदिनम् सुदिना जन्मदिनं तव। भवतु मङ्गलं जन्मदिनम्।। चिरंजीव कुरु कीर्तिवर्धनम्। चिरंजीव कुरु पुण्यावर्धनम्।। विजयी भवतु सर्वत्र
Rajesh Raana
Poet Shivam Singh Sisodiya
#OpenPoetry अन्नदानं परं दानं विद्यादानं ततः परम् | अन्नेन क्षणिकाः यावज्जीवं च विद्यया || अर्थ- अन्न का दान श्रेष्ठ दान है किंतु विद्या का दान उससे भी बढ़कर है | अन्न के द्वारा थोड़े समय के लिये जीवन मिलता है जबकि विद्या (शिक्षा) जीवन भर साथ देती है | जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् 🚩 अन्नदानं परं दानं विद्यादानं ततः परम् | अन्नेन क्षणिकाः यावज्जीवं च विद्यया || अर्थ- अन्न का दान श्रेष्ठ दान है किंतु विद्या का दान उससे भी
Rajendra Kumar Bag
कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलो मुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदो जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भ