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Poet Shivam Singh Sisodiya
राम-रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने।’’ (पद्मपुराण) पार्वती जी से भगवान शिव कहते हैं प्रभु श्री राम का नाम
Vikas Sharma Shivaaya'
गायत्री माता को सभी वेदों की जननी कहा गया है- ऐसी मान्यता है कि चारों वेदों का सार गायत्री मंत्र ही है... गायत्री माता से ही वेदों का जन्म हुआ है, इसलिए गायत्री माता को वेदमाता भी कहते हैं-इनकी अराधना स्वयं भगवान शिव, श्रीहरि विष्णु और ब्रह्मा करते हैं, इसलिए गायत्री माता को देव माता भी कहा जाता है..., धार्मिक कार्यों में पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए पत्नी का साथ होना नितांत जरूरी होता है, परन्तु उस समय ब्रह्मा जी के साथ उनकी पत्नी सावित्री मौजूद नहीं थीं- तब उन्होंने देवी गायत्री से विवाह कर लिया- पद्मपुराण के सृष्टिखंड में गायत्री को ब्रह्मा की शक्ति बताने के साथ-साथ पत्नी भी कहा गया है..., इनका वाहन हंस है तथा इनकी कुमारी अवस्था है- इनका यही स्वरूप ब्रह्मशक्ति गायत्री के नाम से प्रसिद्ध है- इसका वर्णन ऋग्वेद में प्राप्त होता है ... इनका वाहन वृषभ है तथा शरीर का वर्ण शुक्ल है... गायत्री मंत्र की रचना विश्वामित्र ने की थी...मां गायत्री को पंचमुखों वाली भी बताया गया है जिसका अर्थ है कि यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड- जल, वायु, पृथ्वी, तेज और आकाश के पांच तत्वों से बना है..., विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 383 से 394 नाम 383 गुहः अपनी माया से स्वरुप को ढक लेने वाले 384 व्यवसायः ज्ञानमात्रस्वरूप 385 व्यवस्थानः जिनमे सबकी व्यवस्था है 386 संस्थानः परम सत्ता 387 स्थानदः ध्रुवादिकों को उनके कर्मों के अनुसार स्थान देते हैं 388 ध्रुवः अविनाशी 389 परर्धिः जिनकी विभूति श्रेष्ठ है 390 परमस्पष्टः परम और स्पष्ट हैं 391 तुष्टः परमानन्दस्वरूप 392 पुष्टः सर्वत्र परिपूर्ण 393 शुभेक्षणः जिनका दर्शन सर्वदा शुभ है 394 रामः अपनी इच्छा से रमणीय शरीर धारण करने वाले 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' गायत्री माता को सभी वेदों की जननी कहा गया है- ऐसी मान्यता है कि चारों वेदों का सार गायत्री मंत्र ही है... गायत्री माता से ही वेदों का जन्म ह