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atrisheartfeelings
जब जीते जी वो अपनो को नज़र अंदाज़ करेंगे तो आखिरी इच्छा का भी शायद अपमान ही करेंगे अंतिम ईक्षा #atrisheartfeelings #ananttripathi #YourQuoteAndMine Collaborating with Neetu Sharma
SURAJ आफताबी
काठ सा था दिल राख को इक अदद शरर की दूरी थी सिर्फ़ इक ईक्षा ने ही ज्वाला को अंजाम दिया आलिंगन को कहाँ इसकी मँजूरी थी ! जिस पनघट के थे वो सिलसिले वहीं सिंदूरी वस्त्रों में लिपट आती इक रोशनी कपूरी थी सब पणिहारियों में सिर्फ़ उसी ने मुझे नया आयाम दिया वरन्, कहाँ औरों में वो सुगंध कस्तूरी थी !! ईक्षा- नजर #yqdidi #yqbaba #yqhindi #love #lovequotes #poetry #life #surajaaftabi
Abhishek
ढ़ेर तो मैं उसकी काली बिंदी पे ही हो गया था आज तो वो झुमकें भी पहन रखी हैं। ~ आखिरी ईक्षा, साथ दो कप चाय पी लेना। ❤️ ★ you can collab if you want #abhi_musings #yqbaba #yqhindi #her_hnsm #wildwhispers #love
gudiya
जब ज़िन्दगी दुख देती है न तब आस पास सभी लोग बहरे हो जाते हैं, वक़्त बदलेगा लोग आपको सुनने को आतूर रहेंगे, तब तक आपकी बोलने की ईक्षा समाप्त हो चुकी होगी । क्युकी जीवन और दुखों के प्रती अपका नज़रिया बदल चुका होगा। ©gudiya जब ज़िन्दगी दुख देती है न तब आस पास सभी लोग बहरे हो जाते हैं, वक़्त बदलेगा लोग आपको सुनने को आतूर रहेंगे, तब तक आपकी बोलने की ईक्षा समाप्त हो
Suman meaun
अपने मकान में किरायेदार रहना, कोई लाड दे या फटकार दे, पर बचपन से समझदार रहना। अपने मकान में किरायेदार रहना, कोई लाड दे या फटकार दे, पर बचपन से समझदार रहना। जिन्दगी सिखाती है, बिखरना और खुद को समेटना, जो सोचा भी ना हो,
रजनीश "स्वच्छंद"
फिर एक राम बनाते हैं।। चलो रावण जलाते हैं, तन और मन जलाते हैं। जलाकर आज रावण को, फिर एक राम बनाते हैं।। न कोई छद्म भिक्षा हो,
Nisheeth pandey
यकीनन तुम चाँद हो पर, मैं पेड़ का पत्ता हूँ जो तुम्हारी चांदनी लपेट कर सोना चाहता हूं , अनन्त दूरियों के बाबजूद तुम्हारे संग मुस्कुराना चाहता हूं । मैं किसी कवि या शायर की लिखीं स्वप्न लोक का पन्ना हूँ जिसके निष्पंद पन्नो में तुम शब्दों में उतर जाना और पन्नो को जीवंत करना या फिर जैसे निशीथ पहर में करता हूँ छत के दीवारों पर अड़ कर टक टकी लगाए रहता हूं आसमान में और मेरी आँखे टिमटिमाते तारों को देख दूरियां भूल लम्बे करते हैं हथेली जिन्हे बढ़ा कर कुझ तारों को अपनी हथेली में चुराने की कौतूहल उमडती है हमेशा हमेशा के लिए... चाँद का आशमां से मेरे छत पे आना चमकती हँसी से मुझे पुकारना मेरी एहसास तुम्हें फोटो फ्रेम में कैद कर आसमान की सामने वाली दीवार में टांग दिया हो और मेरी टकटकी वाली इंतेज़ार का खत्म होना तुम्हें एकटक देखते देखते मेरी आँखें दरिया में तैरने लगे ईक्षाओं का चिड़ियों सा चहकना धरती की खुरदुरी ज़मीन में खुंद को गाड़ लूं आशाएं के पटल पे किसी दिन उसी जगह एक फूल खिलेगा और उसकी भीनी भीनी सुगंध संग समाँ कर उड़कर बादलों के चादर में लिपट कर तुम्हारे करीब पहुंचकर तुम्हे अपनी बाँहों में भर लूँगा और तुम आश्चर्य चकित हो कर पहले की ही भांति लिपट जाना और अनंत काल तक लिपटे रहना । 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey #Merekhayaal यकीनन तुम चाँद हो पर, मैं पेड़ का पत्ता हूँ जो तुम्हारी चांदनी लपेट कर सोना चाहता हूं ,
chandan
आज मत पढ़िए कहानी सही नहीं है , मैंने कई बार सोचा लिख कर फेसबुक पर पोस्ट कर दूँलेकिन वो फेसबुक चलाती है या नहीं मुझे नहीं पता उस समय मैं तीन वर्ग में पढता था मेरी एक मौसी
Mohan Somalkar
रक्षाबंधन भावबंधाचे धागे जुळती ह्दयी कधी ना ते तुटण्यासाठी म्हणुनच तर बहिणीला जन्म देतो देव प्रित अनमोल देऊन भावाच्या पाठी ही नाळ प्रेमाची रेशमी धाग्याने देव जुळवून ठेवत असतो गाठी कधी ना विसर पडावा ह्या नात्याचा रक्षाबंधन हा सण येई त्यासाठी.! नाते असे अनमोल चिरकाल टिकणारे सदा भाऊरायाचे स्मरण बहिणीच्या ओठी म्हणूनच तर भरलेल्या त्या सभेत मुरारी धावत आला होता द्रौपदी साठी.! युगेयुगे हा नात्यांचा डोलारा चालत आहे उभी एक प्रेमळ बहिण भावाच्या पाठी संत ज्ञानेश्वर माऊलीची होती मुक्ताई क्रिष्णाची होती माझ्या क्रिष्णाई...! असे भावाबहिणीचे नाते रेशमी धाग्याने गुंफले जाते जखम श्रीकृष्णाच्या करांगळीला सुदर्शनचक्राने होते धावुन येई द्रौपदी पदराची चिंधी बोटाला माधवच्या ©Mohan Somalkar # रक्षा