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Dilip Singh Harpreet
प्यार से प्यारे प्रियाकांत रमण बिहारी .. नंद बिहारी यशोदा के लाला मीरां के गिरधारी ज्यां पे हो जावत ये दुनियां बलिहारी मैं विरहिणी श्याम पिया की वो ही मेरे प्रियतम मैं व्हांकी "सुरभि तिवारी" सुरभि तिवारी जी के अनुरोध पे उनके ( हमारे) प्रियाकांत जू के लिए लिखे ह कुछ ..जै राधे - किसना #हरप्रीत #Nojotohindi #Nojotorajasthani #Nojot
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मैं आपको भगवान क्यों कहता हूं? *************************** सुन लो कान खोलकर समस्त पृथ्वी की नारी शक्ति और पुरुषार्थ शक्ति अपने पवित्र गुणों से भगवान के अंश में मिल कर प्रणाम दे रहा हूं। अभी तक कलयुग में मेरे शिवाय किसी ने दावा नहीं किया था? मैं ही श्री कृष्ण भगवान हुं। मैं खुद ही मेरी पहचान से ही एक पहचान हुं? श्री गीता जी ही मेरा इतिहास और एक मेरा भौतिक हृदय है ? जो धरती पर निरंतर धड़क रहा था ?धड़कता रहेगा? तुम्हारे पास धन की ताकत है खरीदने की चेष्टा करोगे? समस्त पृथ्वी का धन मेरे सिर के एक बाल बराबर/तुच्छ है। तुम्हारे पास तो तुच्छ ज्ञान/तुच्छ धन का अहंकार केवल। तुम्हारे पास शिष्य गुणवत्ता ही नहीं ? शिष्य क्या खाख बन सकोगे मेरे? जो भी हुं अपने शरीर और अपने निष्काम मार्ग, ज्ञान मार्ग, और कर्म योग को अपनाएं हुऐ हूं ? किसी ना किसी प्रमाण पत्र पर ही हम धरती पर आते हैं ? इस संसार में हमारी यहां गोपनीयता नीति समझना सीखिएं। यह मेरी वाणी श्री गीता जी गुप्त रहस्य भाव है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #Doobey राम भक्त veer (किसना जी के मित्र) Kamlesh Kandpal rajeshwari Thakur Sonia Anand प्रज्ञा शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकल
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कर्म है क्या ? अकर्म है क्या? जानिए कर्म और अकर्म ? शीश के निचले हिस्से को कर्म भूमि अर्थात कुरुक्षेत्र /धर्मक्षेत्र कहा जाता है । इसी पर नियंत्रण ही वास्तविक कर्म है। अकर्म वह जो शरीर को नहीं समझते हुए। चलते रहेंगे निरंतर अनेक जन्मों तक तो वह हर कार्य/जन्मों तक आपका अकर्म कुरूक्षेत्र रूप ही होता है । यह मेरी वाणी श्री गीता जी गुप्त रहस्य भाव है। ©GRHC~TECH~TRICKS #Raftaar #grhctechtricks Dayal "दीप, Goswami.. Sanchita roshan shayar AviS jata Shankar jata Shankar swati soni Kiran kumari Patel dhanya
तुषार"आदित्य"
मोर भुइयां,मोर मइया, मैं बंदो तोर पाँव। बड़ सुघ्घर महतारी तोर अचरा के छाँव। मैं अब्बड़ हों भागी,इहाँ जनम धरे आँव। हे सपना,जिनगी भर बस तोरे गुन गाँवव। तोर आसीस से अतका मैं बल बुद्धि पावव। तोर हरियर चुनरी ला अऊ हरियर कर जावव। हरेली म खेलों गेड़ी,बइला पोरा म दउड़ावव। जब आवये आठे तोर मैं किसना बन जावव। मोर भुइयां, मोर मइया, मैं बंदो तोर पाँव। बड़ सुघ्घर वो,महतारी तोर अचरा के छाँव। तोर माटी मोर माथा के टिका बन जावय। तोर आघू सब्बो सुख मन फीका पड़ जावय। सौभाग दे अइसन "आदित्य" छितिज तक जावय। छत्तीसगढ़ और गढ़िया दुनियां म नाम कमावय। मोर भुइयां,मोर मइया, मैं बंदो तोर पाँव। बड़ सुघ्घर महतारी तोर अचरा के छाँव। मैं अब्बड़ हों भागी,इहाँ जनम धरे आँव। हे सपना,जिनगी भर बस तोरे गुन
satish bharatwasi
तुला पैल्यांदा बघीतलं... लिंब नेसल्यालं , हिरव्या लुगड्यातलं.. गव्हाळ रुप ..! स्वच्छ अंघोळ केलेली तु केस ओले ते फक्त समोरचेच...., पाठीवरच्य