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ashi
जरूरत तब तक अंधी रहती हैं जब तक कि उसे होश न आ जाये आजादी जरूरत की चेतना होती हैं। -कार्ल मार्क्स #कार्ल मार्क्स
देवेंद्र धर
कम मार्क्स और ज़िन्दगी देवेंद्र धर "देवा" मत डर ऐसे एग्ज़ाम के मार्क्स से , ये एग्जाम आखरी बार नही है आएंगे ज़िन्दगी में अनेकों कठिनाई , ये रिज़ल्ट पहली बार नही है माँ-बाप से मिली है ये ज़िन्दगी , ज़रा सोचना उनके बारे भी ऐ दोस्त मत कर ख़त्म इस ज़िन्दगी को , इसपर तेरा कोई अधिकार नही है मैट्रिक तो है पहली लड़ाई , लड़ाईयाँ कई तेरी अभी बाकी है इण्टर हो गया ट्रेलर फ़िल्म का , पूरी फिल्म तेरी अभी बाकी है मैट्रिक इण्टर तो है सीढ़ी पहली , लक्ष्य साधना तेरा अभी बाकी है इसके मार्क्स से घबराओगे तुम ? पूरी ज़िंदगी तेरी अभी बाकी है फैसला लो तुम ज़िन्दगी का , तु ज़िन्दगी का कोई सरकार नही है मत कर ख़त्म इस ज़िन्दगी को , इसपर तेरा कोई अधिकार नही है मैट्रिक के मार्कशीट की वैल्यू , आज देवा तुम्हे बताएगा मार्कशीट का काला सच , इसका सच्चा रूप तुम्हे दिखायेगा अपना मार्कशीट दिखाओगे , भले ही तुम जिस दफ़्तर में मार्क्स उन्हें दिखेगी नही , डेट ऑफ बर्थ ही उन्हें दिख पाएगा पूरी ज़िंदगी ये मार्कशीट , डेट ऑफ बर्थ चेक में ही काम आएगा कम मार्क्स के आने से , जो ज़िन्दगी ख़त्म कर लेता है असल मे वो तो कायर है , ज़िन्दगी से जो डर जाता है दोस्त और टीचर कहेंगे क्या , घर में कैसे मुँह दिखा पाएगा इन चन्द सवालों से परेशान , बेचारा ज़िन्दगी से खेल जाता है अपने लक्ष्य को छोड़ अधूरा , माँ-बाप को तनहा कर जाता है फेल हुए तो क्या हुआ , अगले एग्जाम में कल तुम पास हो जाओगे ज़िन्दगी गई तो क्या , माँ-बाप को वो खुशी के पल लौटा पाओगे? फिरसे कहता हूँ चोट है ज़िन्दगी का , ईश्वर का कोई वार नही मत कर ख़त्म इस ज़िन्दगी को , इसपर तेरा कोई अधिकार नही मत कर ख़त्म इस ज़िन्दगी को , इसपर तेरा कोई अधिकार नही #NojotoQuote कम मार्क्स
@अलोक सिंह आर्य !!
काश़ दिसंबर में भी किसी राज्य में चुनाव होता, तो कोरोना का इतना कहर न होता, इस दुसरे लोकडाऊन करने से पहले ये नेता डरते। #लोकडाऊन #मार्क्स #कोरोना
Rakesh Kumar Dogra
हम केन्द्र में है दिल्ली-वासी कोई बतलाएगा कि "हमें कौन सी सरकार चलाती है" चलाना=बनाना
Sanjeev gupta
ना जाने वो कौनसा पल था दस्तक हुई उनकी इस विरान दिल में महक गई सांसें बहक गया मन चांदनी बिखर गई सारी महफिल में रेशम से बाल उस पर सुर्ख गाल गोता लगा रहे थे देखते ही देखते उनकी नशीली नैनों की झील में नर्म गुलाबी होठों का कंवल सा खिल जाना उस पर उनके चमकते दांतों का बतियाना गजब ढा गया अनजान बन जिंदगी में आना नशा उनको कहें या कहें शराब को दोनों का ही काम अपना महबूब बनाना महबूब बनाना