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Kuldeep Pandey

रविवार व्रत कथा #बात #nojotovideo

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Chhotelal

श्री दुर्गा नवरात्र व्रत कथा #पौराणिककथा

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Chhotelal

श्री दुर्गा नवरात्र व्रत कथा #पौराणिककथा

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हमारी प्यार की कहनी

करवा चौथ व्रत कथा #Moon #विचार

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करवा चौथ व्रत का दीन
सभी  लड़की को ध्यान से
खाना खिलाऐ ,
काहे की सर दर्द का बहाना
बना कर करवा चौथ का व्रत
रखती हैं,

©हमारी प्यार की कहनी करवा चौथ व्रत कथा 
#Moon

Chhotelal

श्री दुर्गा नवरात्र व्रत कथा #पौराणिककथा

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divya Sharma

भगवान विष्णु की व्रत कथा 🙏🙏 #ज़िन्दगी

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Aparna Sachan

हरियाली तीज व्रत कथा -part-1 #कहानी #story #Love

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@nil J@in R@J

जय माता दी मां शैलपुत्री प्रथम व्रत की कथा

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#जय मां शैलपुत्री🚩 
मां शैलपुत्री - पहले नवरात्र की व्रत कथा
एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे  देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा।

अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा- प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किए हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। कोई सूचना तक नहीं भेजी है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहाँ जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।'

शंकरजी के इस उपदेश से सती का प्रबोध नहीं हुआ। पिता का यज्ञ देखने, वहाँ जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहाँ जाने की अनुमति दे दी।

सती ने पिता के घर पहुँचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बातचीत नहीं कर रहा है। सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे।

परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत क्लेश पहुँचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहाँ चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा भगवान शंकरजी की बात न मान, यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है।

वे अपने पति भगवान शंकर के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस दारुण-दुःखद घटना को सुनकर शंकरजी ने क्रुद्ध होअपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया।

सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे 'शैलपुत्री' नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था #NojotoQuote जय माता दी मां शैलपुत्री प्रथम व्रत की कथा

CK JOHNY

आशा मनसा

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मुँह में रहे न दाँत 
पेट में  रही न आँत
मन सदा है भ्रांत।
इच्छाएं हुई न शांत।
मिटे मन के कल्मष 
कोई बताये मुझे
जा बसुँ किस प्रांत। 
सतगुरू नगरी जा प्यारे। 
सतगुर चरणों में मन टिकांत। 


 आशा मनसा

Deepali Singh

मोर की मनसा

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मोर की मनसा
आसमान से गिरा जो हीरा
मिट्टी की मिट गयी सब पीड़ा
उड़ते सोन्हे खुशबु का सवेरा
रग-रग में जैसे डाले रहा डेरा
चिड़ियों की वो डाली वो बसेरा
हिलते-डुलते पत्तों का हिलोरा
सुनहरे पंखों की वो नीली छाया
बूंदों ने मन उसके ठाठ जमाया
अपने अंगड़ाई में नभ को समाये
झट उठ घुम घुमकर आगे आये
गाढ़े काले रंग में गुम झूमे नाचे
बादलों से करे बयाँ हाल वो ऐसे
मायूस सा सोया रहा आस में तेरे
खोया सा रहता पर अपने समेटे
बिन तेरे तड़प रहा बिन थिरके
पग भी अब थक गए रुके- रुके
क्या भाता नहीं तुझे मेरा नृत्य ये
नाराज़ हूँ तुझसे मैं भी कब से
एक तो आया है इतनी देर से
और ऐसे बरसा भी ना वर्षों से।

©Deepali Singh मोर की मनसा
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