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Sk. Raja

इस महाशिवरात्रि के पूजन विधि #महाशिवरात्रि #महादेव #pujanbidhi #Raja_shayari_status #Sk_Raja

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इस महा शिवरात्रि महाशिवरात्रि पर जीवन में प्रेम और आनंद के लिए आजमाएं यह उपाय

इस वर्ष 11 मार्च को दिन में 2 बजकर 40 मिनट से चतुर्दशी तिथि लगेगी जो मध्यरात्रि में भी रहेगी और 12 तारीख को दिन में 3 बजकर 3 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसलिए 12 तारीख को उदय कालीन चतुर्थी होने पर भी 11 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।

©Sk. Raja इस महाशिवरात्रि के पूजन विधि
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N S Yadav GoldMine

नवरात्रि में आसानी से हर दिन कैसे करें पूजा? {Bolo Ji Radhey Radhey} नवरात्रि के समय पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है, लोग माता की आराधना में ल #alone #पौराणिककथा

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नवरात्रि में आसानी से हर दिन कैसे करें पूजा? {Bolo Ji Radhey Radhey}
नवरात्रि के समय पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है, लोग माता की आराधना में लीन हो जाते हैं और देवी जी सभी भक्तों पर अपनी असीम कृपा बरसाती हैं। इस दौरान कई लोग विधिवत रूप से माता की रोज़ पूजा करते हैं, कलश की स्थापना करते हैं, अखंड ज्योत जलाते हैं, हवन करते हैं और कन्या पूजन भी करते हैं।

परंतु कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो माता के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए पूजा तो करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास समय की काफी कमी होती है। ऐसे लोगों में विद्यार्थी, नौकरी पेशा, व्यापारी और कई अन्य लोग शामिल हैं। इसके अलावा कुछ लोग शारीरिक समस्याओं या किसी बीमारी के कारण भी विधि-विधान से पूजा करने में असमर्थ होते हैं।
आज हम ऐसे सभी लोगों की नवरात्रि को अधिक शुभ बनाने के लिए यह खास जानकारी लेकर आए हैं।

सबसे पहले हम लोग इस आसान पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की बात कर लेते हैं-

पूजा के लिए ज़रूरी सामग्री-

एक चौकी, लाल कपड़ा, अक्षत, माता जी की प्रतिमा या चित्र, गणेश जी की प्रतिमा या चित्र, पीतल या तांबे का कलश/लोटा, सिक्का, पुष्प, लाल चुनरी, मौली, मिट्टी का बड़ा दीपक, लौंग, इलायची, ऋतु फल, बताशे या मिश्री और कपूर।

यह सभी सामग्री पूजा से कुछ दिन पहले एकत्रित कर लें। नवरात्रि के प्रथम दिन आप प्रातःकाल उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद ही पूजन विधि का प्रारंभ करें, चलिए अब हम लोग आसान पूजन विधि को विस्तारपूर्वक जान लेते हैं-

इस प्रकार करें आसानी से पूजा-

सबसे पहले पूजन स्थल पर चौकी लगा लें और इसपर लाल रंग का कपड़ा बिछा लें।
अब इस चौकी पर कुछ अक्षत यानी बिना टूटे चावल रखें और इसपर देवी दुर्गा जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

नोट: आप बिना अक्षत के भी देवी जी की प्रतिमा की स्थापना कर सकते हैं और अगर आप चौकी भी नहीं लगा सकते हैं तो घर के मंदिर को ही शुद्ध और स्वच्छ करके वहां पर देवी जी का पूजन करें।

एक लोटे या कलश में शुद्ध जल भर लें।
इसके अंदर एक सिक्का डालें।
अब इसके ऊपर चावल से भरी एक प्लेट रख दें।
इस कलश को माता की प्रतिमा के बाएं ओर 9 दिनों के लिए रख दें। इसे आपको रोज़ स्थापित नहीं करना है।
इसके पश्चात् आप पूजन स्थल पर गणपति जी की प्रतिमा को विराजमान करें, अगर आपके पास प्रतिमा नहीं है तो सुपारी के रूप में भी बप्पा जी को विराजमान कर सकते हैं।
भगवान गणेश और देवी दुर्गा जी पर पुष्प से शुद्ध जल का छिड़काव करें।
अगर आप अखंड ज्योत नहीं जला पा रहे हैं तो आप केवल घी का दीपक जला लें।
दीप प्रज्वलित करने के बाद गणेश जी, माता रानी, कलश और दीपक को हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं।
भगवान गणेश और देवी जी को वस्त्र स्वरूप कलावा या मौली अर्पित करें, साथ ही फूल भी अर्पित करें।
वैसे तो माता दुर्गा को श्रृंगार की सामग्री भी चढ़ाई जाती है, लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है तो आप एक लाल चुनरी या लाल वस्त्र अवश्य माता को चढ़ाएं।
भोग में बताशे, मिश्री, और फल अर्पित कर सकते हैं।
हवन के स्थान पर आप एक मिट्टी के पात्र या बड़े दीपक में कपूर जला लें और इसमें लौंग का 1 जोड़ा ज़रूर रख दें। कुछ लोग लौंग के दो जोड़े भी अग्नि में डालते हैं।
यह हवन माता को दिखाएं और पूरे घर में भी दिखाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह 9 दिनों तक रोज़ जलाएं।
आरती से पहले आप भगवान गणेश और माँ दुर्गा को समर्पित काफी आसान लेकिन प्रभावी मंत्रों का जाप कर सकते हैं-

‘वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देवसर्वकार्येषु सर्वदा॥’

‘या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ .
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥’

अंत में भगवान जी से अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा ज़रूर मांगे।

इस प्रकार आपकी पूजा संपन्न हो जाएगी, आप इस प्रकार 9 दिनों तक माता की पूजा अर्चना आसानी से कर सकते हैं। हर रोज़ आप चौकी को साफ अवश्य करें और पूजा से पहले वहां गंगाजल का छिड़काव करें।

चलिए अब जान लेते हैं कि अगर आप विधि-विधान से कन्या पूजन नहीं कर सकते हैं तो आपको क्या करना चाहिए-

आप विधिवत कन्या पूजन की जगह छोटी कन्याओं को घर पर बुलाकर फल, दक्षिणा, माता को चढ़ाया गया प्रसाद, मिठाई, या दही-जलेबी खिला सकते हैं। आपको जितनी कन्याएं मिलें, उनको अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा दें।
आपको बता दें, कन्यापूजन के बिना भी आप यह पूजा कर सकते हैं।

दोस्तों, पूजा में सबसे महत्वपूर्ण देवी जी के प्रति आपकी सच्ची आस्था होती है। अगर आप सच्चे मन से ध्यान लगाकर देवी जी की आराधना करते हैं, तो उनकी कृपा आपको निश्चित् रूप से मिलती है।

* दुर्गा माता जी की आरती *
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी।

॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रबदन नीको॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

केहरि वाहन राजत,
खड़ग खप्पर धारी,
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

शुंभ-निशुंभ विडारे,
महिषासुर घाती,
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे,
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी,
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

चौंसठ योगिनी गावत,
नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता,
सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी,
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती,
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

©N S Yadav GoldMine नवरात्रि में आसानी से हर दिन कैसे करें पूजा? {Bolo Ji Radhey Radhey}
नवरात्रि के समय पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है, लोग माता की आराधना में ल

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हिंदू पंचांग के मुताबिक, सर्व पितृ अमावस्या आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. सर्व पितृ अमावस्या तिथि:- उदयातिथि #astrologynormal

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©KP EDUCATION HD हिंदू पंचांग के मुताबिक, सर्व पितृ अमावस्या आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. 

सर्व पितृ अमावस्या तिथि:-
उदयातिथि

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जिसमें हरे कपड़े, हरी चूड़ियां और मेहंदी सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है. सुहागिन महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार कर तैयार होती हैं और माता पार्वती का #न्यूज़

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#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि पुराण में 12 हजार श्लोक, 383 अध्याय उपलब्ध हैं। स्वयं भगवान अग्नि ने महर्षि वशिष्ठ जी को यह पुराण सुनाया था। इसलिये इस पुराण का नाम अग्नि पुराण प्रसिद्ध है। विषयगत एवं लोकोपयोगी अनेकों विद्याओं का समावेश अग्नि पुराण में है।

आग्नेये हि पुराणेस्मिन् सर्वा विद्याः प्रदर्शिताः     (अग्नि पुराण)

पद्म पुराण में पुराणों को भगवान बिष्णु का मूर्त रूप बताया गया है। उनके विभिन्न अंग ही पुराण कहे गये हैं। इस दष्ष्टि से अग्नि पुराण को श्री हरि का बाँया चरण कहा गया है।

अग्नि पुराण में अनेकों विद्याओं का समन्वय है जिसके अन्तर्गत दीक्षा विधि, सन्ध्या पूजन विधि, भगवान कष्ष्ण के वंश का वर्णन, प्राण-प्रतिष्ठा विधि, वास्तु पूजा विधि, सम्वत् सरों के नाम, सष्ष्टि वर्णन, अभिषेक विधि, देवालय निर्माण फल, दीपदान व्रत, तिथि व्रत, वार व्रत, दिवस व्रत, मास व्रत, दान महात्म्य, राजधर्म, विविध स्वप्न, शकुन-अपशकुन, स्त्री-पुरूष के शुभाशुभ लक्षण, उत्पात शान्त विधि, रत्न परीक्षा, लिंग का लक्षण, नागों का लक्षण, सर्पदंश की चिकित्सा, गया यात्रा विधि, श्राद्ध कल्प, तत्व दीक्षा, देवता स्थापन विधि, मन्वन्तरों का परिगणन, बलि वैश्वदेव, ग्रह यंत्र, त्र्लोक्य मोहनमंत्र, स्वर्ग-नरक वर्णन, सिद्धि मंत्र, व्याकरण, छन्द शास्त्र, काव्य लक्षण, नाट्यशास्त्र, अलंकार, शब्दकोष, योगांग, भगवद्गीता, रामायण, रूद्र शान्ति, रस, मत्स्य, कूर्म अवतारों की बहुत सी कथायें और विद्याओं से परिपूर्ण इस पुराण का भारतीय संस्कष्त साहित्य में बहुत बड़ा महत्व है।

अग्नि पुराण का फल:-अग्नि पुराण को साक्षात् अग्नि देवता ने अपने मुख से कहा हे। इस पुराण के श्रवण करने से मनुष्य अनेकों विद्याओं का स्वामी बन जाता है। जो ब्रह्मस्वरूप अग्नि पुराण का श्रवण करते हैं, उन्हें भूत-प्रेत, पिशाच आदि का भय नहीं सताता। इस पुराण के श्रवण करने से ब्राह्मण ब्रह्मवेत्ता, क्षत्रिय राजसत्ता का स्वामी, वैश्य धन का स्वामी, शूद्र निरोगी हो जाता है तथा उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं जिस घर में अग्नि पुराण की पुस्तक भी हो, वहाँ विघ्न बाधा, अनर्थ, अपशकुन, चोरी आदि का बिल्कुल भी भय नहीं रहता। इसलिये अग्नि पुराण की कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिये।

अग्नि पुराण करवाने का मुहुर्त:-अग्नि पुराण कथा करवाने के लिये सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मणों से उत्तम मुहुर्त निकलवाना चाहिये। अग्नि पुराण के लिये श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास विशेष शुभ हैं। लेकिन विद्वानों के अनुसार जिस दिन अग्नि पुराण कथा प्रारम्भ कर दें, वही शुभ मुहुर्त है।

अग्नि पुराण करने के नियम:-अग्नि पुराण का वक्ता विद्वान ब्राह्मण होना चाहिये। उसे शास्त्रों एवं वेदों का सम्यक् ज्ञान होना चाहिये। अग्नि पुराण में सभी ब्राह्मण सदाचारी हों और सुन्दर आचरण वाले हों। वो सन्ध्या बन्धन एवं प्रतिदिन गायत्री जाप करते हों। ब्राह्मण एवं यजमान दोनों ही सात दिनों तक उपवास रखें। केवल एक समय ही भोजन करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिये। स्वास्थ्य ठीक न हो तो भोजन कर सकते हैं।

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अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प

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इस एकादशी का व्रत करने से होता है पापों का प्रायश्चित, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत पूजा विधि हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो #समाज

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हरे कृष्णा

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