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वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। स॒वि॒ता ते॒ शरी॑राणि मा॒तुरु॒पस्थ॒ऽआ व॑पतु। तस्मै॑ पृथिवि॒ शं भ॑व ॥ पद पाठ स॒वि॒ता। ते॒। शरी॑राणि। मा॒तुः। उ॒पस्थ॒ इत्यु॒प॑ऽस्थे॑। आ। व॒प॒तु॒ ॥ तस्मै॑। पृ॒थि॒वि॒। शम्। भ॒व॒ ॥ हे कन्याओ ! तुमको उचित है कि विवाह के पश्चात् भी माता और पिता में प्रीति न छोड़ो, क्योंकि उन्हीं दोनों से तुम्हारे शरीर उत्पन्न हुए और पाले गये हैं इससे ॥ O girlo! It is appropriate that after marriage, do not leave love in mother and father, because you born from them and raised by them ( यजुर्वेद ३५.५ ) #यजुर्वेद #वेद #कन्या #विवाह #मातृप्रेम #पितृप्रेम
Shravan Goud
चाहे कितनी भी भाषाएं सीख लो समझ में तो मातृभाषा में ही आयेगा। मातृप्रेम ही मातृभाषा
pooja d
तूच माझी कविता तूच माझी चारोळी, शब्द ही तूच अर्थ ही तूच, माझा सूर्योदय ही तूच सूर्यास्त ही तूच, माझी भावना ही तूच अन, मनोकामना ही तूच, माझ्या दिशा ही तूच आणि विश्व ही तूच, या वेड्या "राणू" च एकमात्र प्रेम ही तूच............ #प्रेम #माझंप्रेम #मराठीकविता
जिंदगी का जादू
छाया से दूर हुआ तो आंचल का मूल्य मैं जाना जब तपी ये दिल की धरती बादल का मूल्य मैं जाना वो छाया वो बदली बस एक जगह मिलती है सब मिलता दूर शहर में बस मां ही नहीं मिलती है पावस रजनी में जुगनू भट्ट के जैसे जंगल में पूछे राम जी वोन से कैसे हैं सब महल में वन में ना कोई दुख है पुण्य ज्योति जलती है देव मुनि सब मिलते बस मां ही नहीं मिलती है @गौतम माँ पर कविता