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Kh_Nazim
_भक्ति..._ झंडे से झंडा देखा, झंडे से झंडे तक की देश भक्ति। कुछ दिन रहे गए झंडे में, तो झंडा लगाया, फिर दिखाई देश भक्ति। गिरा कुछ अंश झंडे का जमी पे, तो उठाया नहीं,की भूल गए देश भक्ति "झंडे से झंडा देखा, झंडे से झंडे तक की देश भक्ति" कहने को परवाह बहुत करते है, कोई खड़ा न हो कूट देते है"उसी झंडे से। झंडे से झंडा देखा, झंडे से झंडे तक की देश भक्ति कुछ तत्व राष्ट्र-प्रेम दिखा रहे है इसकदर , अपनों में फ़ुटडाल कर अपनों को लड़ा रहे है इसकदर। मैं झंडे का विरोधी, मैं कुछ दिनों का विरोधी हु। न मैं दंगाई न असमाजिक हूं मैं उस देश का वासी हूं जहाँ सदियों से बुद्धविवेकगाँधीआजाद हूं..….। _भक्ति..._ झंडे से झंडा देखा, झंडे से झंडे तक की देश भक्ति। कुछ दिन रहे गए झंडे में, तो झंडा लगाया, फिर दिखाई देश भक्ति। गिरा कुछ अंश झंडे क
Santosh Patwa
Parasram Arora
ये स्वप्न ज़ो मैं देख रहा हूंआज कदाचित भूमिका बन कर आया है उन अंदखे संभावित सपनो की ज़ो मुझे आने वाली अगली रातो मे देखने है l जबकि यथार्थ मुझे कुछ ही दूरी पर दिखाई दिया था ज़ो विध्वंस क़े कगार पर खड़ा होकर मुझे अंगूठा दिखा कर मेरी प्रवचनाओं का परिहास. कर सकता है l शायद मुझे भिक्षापात्र लेकर सत्य की भीख माँगने हेतु हर उस चौखट पर जाना पड़ेगा जिन्होंने सत्य क़े झंडे अपने अपने आँगन मे गाड़ रखे हैँ ©Parasram Arora सत्य क़े झंडे......
Agraj
Archana pandey
तेज धर अखण्ड हिन्द भाव हो उच्चण्ड दूर देश में धरा के झण्डे गाड़ दे.... हे कवि! अमंद; हो हवा में एक सुगन्ध वीर भूमि की छठा सवत्र वारदे..अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey झंडे गाड़ दे... #Independence
Kishan Raut
सुसि ग़ाफ़िल
हर युग में उठाए मसीहाओं ने धर्म के झंडे, आज तक प्रेम का झंडा किसी की छत पर नहीं मिला! हर युग में उठाए मसीहाओं ने धर्म के झंडे, आज तक प्रेम का झंडा किसी की छत पर नहीं मिला!
Mission for Passion to change to INDIA
मराठी कविता : झाडे लावा ... झाडे लावा ... लेखक संतोष राठौर रजिस्टर क्रमांक 32895 झाडे लावा .... झाडे लावा .... मित्रता चा हात घेऊन निसर्ग कळे जावा विष पेऊन अमॄत देतात पत्थर खाऊन फळ देतात कधी यांचा सारखे व्हावा झाडे लावा .... झाडे लावा .... मित्रता चा हात घेऊन निसर्ग कळे जावा उन्हात सावली देता उन अंगावर घेता तुम्ही सावलीत झोपून रहावा झाडे लावा .... झाडे लावा .... मित्रता चा हात घेऊन निसर्ग कळे जावा औषध पाऊस देता लिह वाचायला कागद देता दुसर्यान साठी स्वतः राख हून पहावा झाडे लावा .... झाडे लावा .... मित्रता चा हात घेऊन निसर्ग कळे जावा - संतोष ©Mission for Passion to change to INDIA झाडे लावा...झाडे... - संतोष
Mission for Passion to change to INDIA
मराठी कविता : झाडे लावा ... झाडे लावा ... लेखक संतोष राठौर रजिस्टर क्रमांक 32895 झाडे लावा .... झाडे लावा .... मित्रता चा हात घेऊन निसर्ग कळे जावा विष पेऊन अमॄत देतात पत्थर खाऊन फळ देतात कधी यांचा सारखे व्हावा झाडे लावा .... झाडे लावा .... मित्रता चा हात घेऊन निसर्ग कळे जावा उन्हात सावली देता उन अंगावर घेता तुम्ही सावलीत झोपून रहावा झाडे लावा .... झाडे लावा .... मित्रता चा हात घेऊन निसर्ग कळे जावा औषध पाऊस देता लिह वाचायला कागद देता दुसर्यान साठी स्वतः राख हून पहावा झाडे लावा .... झाडे लावा .... मित्रता चा हात घेऊन निसर्ग कळे जावा - संतोष ©Mission for Passion to change to INDIA झाडे लावा...झाडे... - संतोष
Deepak Chauhan