Nojoto: Largest Storytelling Platform

New रस्त्याची दुर्दशा Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about रस्त्याची दुर्दशा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, रस्त्याची दुर्दशा.

    PopularLatestVideo

@MK Pejval Mpbs

# दुर्वा क्या है..? # दुर्गा अष्टमी..?

read more
mute video

vishal raghuvanshi

दुर्दशा

read more
जब देखी ना गई उसकी दुर्दशा तो 
ये निष्कर्ष निकाल पाया
अपनों को त्याग कर वो  विरोधियों 
को साथ ले आया 

           ~विशाल दुर्दशा

Adv. Anjali Singh

# दुर्दशा#

read more
भगवान द्वारा की गई रचना में से नारी जो कि सर्वश्रेष्ठ कृतियों में से एक है जिससे पूरी दुनिया आबाद है फिर इस दुनिया में नारी की दुर्दशा क्यों  # दुर्दशा#

राजकारण

Solapur | नवदांपत्य उतरले रस्त्यावर #मराठीविचार

read more
mute video

एस.टी. धम्मदिक्षीत

सत्याची पाऊलवाट...

read more
,सत्याची  पाऊलवाट!!!

भेदारली गेलीयेत मनं
विचार क्षमता शुन्य झालीये
भार ठेऊनी दगडी पाषानावर
नेहमी दोष देती माणसं नशीबावर..!!

पिढीजात अठराविश्वे दारिद्र्य
कर्माविना हटेल तरी कसे
कौल लावून पाषाण दगडाला
तो स्वताच नशीब अजमावत असे..!!

द्वेष ,अंहकार ,मी पणा
जणु त्याच्या पाचवीलाच पुजलेला
माणसावाणी माणूस पाहतो मी
दगडांसमोर नतमस्तक झालेला..!!

येईल त्या संकटावर मात करून
भेदत जाईल जेंव्हा तो दुःखाला
तेंव्हाच त्याला दिसू लागेल अन्
स्पर्श करेल तो सुंदर यशाला..!!

का म्हणून षंडासारखं 
दगडांसमोर हात जोडायचं
करावचं वाटला नमस्कार तर
जन्मदात्या समोर दंडवत घालायचं..!!

क्षणभर दुखासाठी स्वताच्या 
आयुष्याचा शेवट का म्हणून करायचं
मिळेल तेथून ही मार्ग माणसाला फक्त विवेक जागा करून सत्याची पाऊलवाट चालायचं..!

©®आयु.एस.टी.धम्मदिक्षीत.
        ९६११२५३४४१. सत्याची पाऊलवाट...

Lalit Tiwari

चमन की दुर्दशा

read more
फूल फूलते आज चमन मैं,

                 जिसको सींचा कुर्बानी नेॽ

लहू दिया था किसने इसको ॽ
             
                     किसने दिया हवा और पानीॽ

     किसने छाया बन सहलाया ॽ

                   किसने कांटों से तड़पाया ॽ

किसने छांटा इसके कद को ॽ

                  किसने बांटा आज इसी को ॽ

मज़हब की गाली देकर के,

                  आज खड़ा रोता इसका तन,

अपने कटते भागों पर,

                        अरे मत काटो,अरे मत बांटो,

मेरे लाल बिछुड़ जाएंगे,

                      लहू गिराकर हमें संवारा,

हम क्या उन्हें भूल पाएंगे ॽ

                 गहरी थकन लड़ाई से 

जो सोए हैं चिर निद्रा में,

                  जागते होते आज वही जो,

तो क्या। मेरा हाल ये होता,

                     न ही पाक अलग हो पाता,

न तिब्बत का हाल ये होता,

                       काबुल भी सीमान्तर होता ,

चीन भी अपनी हद में रहता,

           लेकिन ओछी राजनीति ने,

  बंटवारे का बीज उगाया,

ईर्ष्या और और द्वेष में भरकर,

भाई भाई का लहू बहाया,

बंटवारे का दंश अभी तक,

निकला नहीं शियाओं से,

अलगाववाद, आतंकवाद

और नफरत मिली दुआओं से,

जो नफरत के व्यवसायी थे

वो देश के पहरेदार बने,

नारदान में बहने वाले

कंगूरे की ईंट बने,

राष्ट्र नमन करता है उसको

जो एक सूत्र में बांध सके

पिता वही होता है काबिल

जो आचरणों में ढाल सके। ।

वन्दे मातरम् चमन की दुर्दशा

Devnarayan Meena

पहाड़ों की दुर्दशा #न्यूज़

read more
mute video

Avinash atal

भारती की दुर्दशा

read more
हम रहें ना रहें


रहे वतन ये मेरा 

ऐ वतन तेरी बुलंदियों पर

मिट जाए तन ये मेरा 

इन जात-पात के झगड़ों ने 

किया बेड़ा गर्क तेरा

इन धर्म के दंगों ने 
।
किया धूमिल आंचल तेरा 


तेरी सुनहली धरती पे 

अब आग उपज रही है 

नेताओं के करतूतों से 


अग्नि बरस रही है 

देख के  तेरी दुर्दशा 

दुःखी है मन ये मेरा

तेरी बुलंदियों पे 
मिट जाए तन ये मेरा 
फिर से जनों माँ भारती 
क़ोई किशन कन्हैया
जो रख ले लाज़ तेरी 
मेरी सुनो ओ मैया
हो रहा है चीर हरण 
तेरी द्रौपदी का 
बने हैं मुक् दर्शक 
मेंरे देश के ये नेता
सत्ता के मद् मे उनकी 
मती गई है मारी 
कर दे उद्धार उनकी 
मेरी सुनो ओ मैया 
तेरी बुलंदियों पे 
मिट जाए तन ये मेरा!

तेरी बुलंदियों पेमि भारती की दुर्दशा

Ajay Pandey

दुर्दशा के नजारे दिखाकर #Shayari

read more
मुझे दुर्दशा के नज़ारे दिखाकर ...आज वो
 मुझसे मेरी नजर उतारने को कह रही थी ।।। दुर्दशा के नजारे दिखाकर

Saurabh Baurai

दुर्दशा इस जग की । #कविता

read more
ढल रही है यह धरा
घनघोर तम की छाव से।
ओझल सि लिपटी कोई बेड़ी
जकड़े मनुज को पाव से।।

सत्य अब जख्मी सा होकर
कैद होने है लगा।
चंद सिक्कों की लालसा में
डकैत अब होने लगा।।

मच रहा है शोर हर क्षण 
झूठ की हर जीत का।
उल्लास में है हर प्राणी
इस अनोखी रीत का।।

गिर रहा है श्वेत पंछी 
धूर्त रण की बाह से।
बह रही है रुधिर तटिनी
असुर युग के प्रभाव से।।

हो रहा नरसंहार हरदिन
मौनता और धीर से ।
अंजान होकर जन है सोया
विवश बंध जंजीर से ।। दुर्दशा इस जग की ।
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile