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Shravan Goud
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥'' अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥''🙏
krishna kant
हनुमान तुम बिन राम हैं अधूरे, करते तुम भक्तों के सपने पूरे मां अंजनि के तुम हो राजदुलारे राम-सीता को लगते सबसे प्यारे। ©krishna kant अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।। हनुमान तुम बिन रा
Shravan Goud
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, अनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, अनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि। 🙏
Vikas Sharma Shivaaya'
हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् नमामि.. अतुलितबलधामं- अतुलित (अतुल्य बल के धाम/स्वामी) अतुलित-अमित, असीम जिसका कोई थाह ना ले सके, जिसे तौला/मापा ना जा सके, जो बहुत अधिक हो, तूल और अंदाज़ से बाहु, (मजाज़न) बेमिसाल । बल-शक्ति पराक्रम; ताकत; सामर्थ्य; आदि। धाम- स्वामी, रहने का घर, मस्कन, मकान आदि। हेमशैलाभदेहं-स्वर्ण के पर्वत के समान कांतिमय और प्रकाशित तन को धारण करने वाले, सुमेरु पर्वत के समान। दनुजवनकृशानुं- दैत्य रूपी वन/जंगल को समाप्त करने के लिए अग्नि रूप में। कृशानु -अग्नि, आग। ज्ञानिनामग्रगण्यम्-ज्ञानीजनों में अग्रणी रहने वाले। सकलगुणनिधानं-सपूर्ण गुणों को धारण करने वाले, निधान -स्वामी, ख़ज़ाना, वो शख़्स जिस में कोई ख़ासीयत हो, जहाँ पर मूल्य वस्तुओं को रखा जाता है। वानराणामधीशं- वानरों के प्रमुख। धीश-स्वामी, राजा, नेता। रघुपतिप्रियभक्तं - रघुपति, श्री राम के प्रिय। वातजातं नमामि-वायु पुत्र को नमन। प्रेम निकेतन श्रीबनहि आई गोबर्धन धाम ! लहयो सरन चित चाहि के जुगल रस ललाम !! रसखान श्री कृष्ण के लीला धाम वृन्दावन आ गए और अपने ह्रदय एवं मानस में राधाकृष्ण को बसाकर उनके प्रेम आनंद में डूब गए ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम्
Vikas Sharma Shivaaya'
हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् नमामि.. अतुलितबलधामं- अतुलित (अतुल्य बल के धाम/स्वामी) अतुलित-अमित, असीम जिसका कोई थाह ना ले सके, जिसे तौला/मापा ना जा सके, जो बहुत अधिक हो, तूल और अंदाज़ से बाहु, (मजाज़न) बेमिसाल । बल-शक्ति पराक्रम; ताकत; सामर्थ्य; आदि। धाम- स्वामी, रहने का घर, मस्कन, मकान आदि। हेमशैलाभदेहं-स्वर्ण के पर्वत के समान कांतिमय और प्रकाशित तन को धारण करने वाले, सुमेरु पर्वत के समान। दनुजवनकृशानुं- दैत्य रूपी वन/जंगल को समाप्त करने के लिए अग्नि रूप में। कृशानु -अग्नि, आग। ज्ञानिनामग्रगण्यम्-ज्ञानीजनों में अग्रणी रहने वाले। सकलगुणनिधानं-सपूर्ण गुणों को धारण करने वाले, निधान -स्वामी, ख़ज़ाना, वो शख़्स जिस में कोई ख़ासीयत हो, जहाँ पर मूल्य वस्तुओं को रखा जाता है। वानराणामधीशं- वानरों के प्रमुख। धीश-स्वामी, राजा, नेता। रघुपतिप्रियभक्तं - रघुपति, श्री राम के प्रिय। वातजातं नमामि-वायु पुत्र को नमन। प्रेम निकेतन श्रीबनहि आई गोबर्धन धाम ! लहयो सरन चित चाहि के जुगल रस ललाम !! रसखान श्री कृष्ण के लीला धाम वृन्दावन आ गए और अपने ह्रदय एवं मानस में राधाकृष्ण को बसाकर उनके प्रेम आनंद में डूब गए ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम्
Pratibha Tiwari(smile)🙂
संकंट मोचन कहे जाने वाले हनुमान जी के ध्यान मात्र से ही भक्तों के सभी दुःख दूर हो जाते है | भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले हनुमान जी कल्य
Er.Shivampandit
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्। दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्। रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये ॥ ©Er.Shivam Tiwari #जय_हनुमान अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्। दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्। रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ मनोजवं