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Abhishek Pandey
सांवले के बात मत कर ग़ालिब दूध से ज्यादा मैंने चाय के दीवाने देखा है #NojotoQuote सांवले
Andaz Kuch Nya sa
मत जाओ मेरे सांवले रंग पर बहुत से दिन मैंने अंधेरे में गुजारे हैं लोग दिन में भी उजाला करते हैं हमने सुबह से रात और रात से सुबह वक़्त छिपे लम्हे भी अंधेरे में गुजारे हैं हाँ मत जाओ मेरे सांवले रंग पर बहुत से दिन मैंने अंधेरे में गुजारे हैं निकलती हूँ में जाती हूँ कही राह है कोई और मंजिल पाती हूँ कही मत जाओ मेरे सांवले रंग पर बहुत से दिन मैंने अंधेरे में गुजारे हैं जल जल कर राख हुयी हूँ में ऎसे ही नहीं सावले रंग में खाक हुयी हूँ में मत जाओ मेरे सांवले रंग पर बहुत से दिन मैंने अंधेरे में गुजारे हैं लोग हंसते हैं जमाने से मुझ पर अब तो वो हंसी भी मेरे कानो में चुभती है वो वही खड़े हैं मेरी तरक्की भी उनकी आँखों में चुभती है मत जाओ मेरे सांवले रंग पर बहुत से दिन मैंने अंधेरे में गुजारे हैं माँ से पूछा है मैंने मेंरे सावले रंग का कारण बता दो रोज गोरो की महफ़िल मे शर्मिन्दा होती हूँ आज इस राज से पर्दा उठा दो मेरी माँ भी बड़ी भोली है मुझे सीने से लगा लेती है मेरी आँखों के बहते झरने में एक तस्वीर बना देती है कोई जाकर पूछ लो मेरी माँ से मेरे सांवले रंग का राज वो तो मुझे श्री कृष्ण कि कहानी सुना देती है मत जाओ मेरे सांवले रंग पर बहुत से दिन मैंने अंधेरे में गुजारे हैं मन नहीं मानता थोड़ा विचलित सा हो जाता है पिता के पास जाती हूँ मन थोड़ा सा घबराता है सवाल जरूरी है इस लिये पूछती हूँ जवाब नहीं मिलता फ़िर हर बार कि तरह टूटती हूँ मत जाओ मेरे सांवले रंग पर बहुत से दिन मैंने अंधेरे में गुजारे हैं हर रात सोती हूँ सपनो में जान भरती हूँ पंख नहीं हैं फ़िर भी उड़ान भरती हूँ हिम्मत नहीं है फ़िर भी लोगो का मजाक बनती हूँ लोग सीरत से ज्यादा मेरी सूरत देखते हैं मैं मन ही मन उन पर हसती हूँ मत जाओ मेरे सांवले रंग पर बहुत से दिन मैंने अंधेरे में गुजारे हैं अनिता सांवले....
Shivam Aryan Katiyar
आज का ज्ञान सांवले रंग पर मत जा गालिब मैने दुध से ज्यादा चाय के दिवाने देखे है सांवले रंग पे
अल्पेश सोलकर
शब्द सांडले..मी वेचले मी रचले.. वाक्यात बंद झाले.. चारोळी मध्ये सक्तीने बसवले.. जे मोकाट गेले ..ते कवितेमध्ये सापडले.. शब्द सांडले..मी वेचले मी रचले.. वाक्यात बंद झाले.. चारोळी मध्ये सक्तीने बसवले.. जे मोकाट गेले ..ते कवितेमध्ये सापडले.. © अल्पेश सोलकर #शब्द
Vasundhara Jadhav
तुझ्या मोकळ्या केसांचं गच्च आभाळ दाटलं काठ काजळी गहिरे त्यात तुफान उठलं श्वास थांबती मंदसा झुले मनाचा हिंदोळा वारा खट्याळ धुंदसा घन मनाचा सावळा चाल सावळ्या मनाची फेर धरती भोवती लडीवाळ बट तुझी अशी अधीर सोबती मुग्ध रेशीमस्पर्श रोमरोमात फुलती आडखळणारे ओठ श्वास निशब्द गुंफती शब्द मौनाचे लाजरे रान पिसाट गाठलं तुझ्यामाझ्यातल्या वेळी दुर चांदणं सांडलं वसु ©Vasundhara Jadhav # दूर चांदण सांडलं#वसु#