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Manmohan Dheer
इक़ उंस की ख़लिश है जो मेरी जुबां में मिलती है मैं जो कहता हूँ वो बस इतना कि तुमसे प्यार है ये तुम्हारे ज़ेहन का ख़लल है जो तुम्हें एतबार है . उंस : love प्रेम ख़लिश : चुभन pinch ज़ेहन : मन ख़लल : बाधा उंस
Amit Singhal "Aseemit"
यह तो तेरा उंस ही था जो मैं फिर जी गया, मैं तो हँसते हँसते ज़हर का प्याला पी गया। कितने ही ज़ख्म मिले थे ज़ालिम ज़माने से, उम्र भर का साथ मिला, तेरा उंस कमाने से। ©Amit Singhal "Aseemit" #उंस
Abeer Saifi
तल्ख़ लहजे से उंस यूँ ही नहीं साहब अपनों ने सिखाया है ये हुनर हमको तल्ख़ - कड़वा, उंस - मोहब्बत
Abeer Saifi
तल्ख़ लहजे से उंस यूँ ही नहीं साहब अपनों ने सिखाया है ये हुनर हमको तल्ख़ - कड़वा, उंस - मोहब्बत
शुभी
कुछ अनकहे, अनसुने से अल्फाज़ रह गए, दरमियां हमारे कुछ अब भी राज़ रह गए. ख़ामोशी में खोए सब जज़्बात रह गए, क़फ़स में क़ैद हमारे ये बाज़ रह गए. कू-ए-यार से लौटे हम शिकस्ता, कूचे में उनके मिरे सब ताज रह गए. तिरी चुप्पी उंस को फना कर गयी, कुछ बेबस लाचार से हम आज रह गए. सम्त-ए-सफ़र मिरा वाजिब ही रहा, जाने किस मोड़ शुभी तिरे हमराज़ रह गए. हुस्न-ए-मतला के साथ पहली ग़ज़ल. क़फ़स-cage कू-ए-यार- lover's street शिकस्ता- defeated उंस- love सम्त-ए-सफ़र-direction of journey वाजिब- c
kumaarkikalamse
हो ना जाना मेरी दस्तरस से दूर कभी, हुस्न के नशे में चूर होकर, तेरा चले जाना फना कर देगा उंस को, क्यों तू ये भूल जाती है! दस्तरस - Reach पहुंच उंस - Love. प्यार, इश्क़ #kumaarsthought #लव_इश्क़ #प्यार #
kumaarkikalamse
ना दिल तोड़ती, ना करती है झूठा वादा, ना दिल को मेरे दुखाती है, तुमसे अच्छी है ये तस्वीरें तुम्हारी, जो मुझे तन्हा देख गले लगाती है!! दर्द-ए-हिज़्र को ना समझे तो, एहसास-ए-कु़र्बत ही समझा ख़ुद को, आजमाने के लिए मेरे अहबा़ब, क्यों तू मुझे बेइंतहा सताती है! हो ना जाना मेरी दस्तरस से दूर कभी, हुस्न के नशे में चूर होकर, कि तेरा यूँ चले जाना फना कर देगा उंस को, क्यों तू ये भूल जाती है! उम्र गुजर गई, इश्क़ - ए - हकी़की़ आँखों में बसा एक ख्वाब रह गई, तुम रूठी तो मैंने मनाया हर बार, क्यों तू मेरे रूठने पर नहीं मनाती है! सो दफ़ा, कई मर्तबा, तेरा नाम लेकर गुजारी है विरह की रातें मैंने, करता है 'कुमार' उम्मीद-ए-वफ़ा तुझसे, तुझे बेवफ़ाई रास आती है! Repost #kumaarsthought #kumaaronlove #kumaarromance #mohabbat दर्द-ए-हिज़्र ~ Pain of separation /जुदाई का ग़म एहसास-ए-कु़र्बत ~ closelne
शुभी
मिरे जबीं पे तिरा चुंबन याद आता है, एहसास-ए-क़ुर्बत तिरी रुखसती के बाद आता है. ये मंज़र-ए-ज़वाल-ए-उंस है गज़ब ही तुर्फ़ा, ज़िक्र-ए-वफ़ा अब तिरे नाम के साथ आता है. बनती ग़ज़ल से मतला और एक शेर. कैसे किसी के जाने के बाद उसकी महत्वता का पता चलता है. जबीं- forehead एहसास-ए-क़ुर्बत- realization of closen
शुभी
मिरे जबीं पे तिरा चुंबन याद आता है, एहसास-ए-क़ुर्बत तिरी रुखसती के बाद आता है. ये मंज़र-ए-ज़वाल-ए-उंस है गज़ब ही तुर्फ़ा, ज़िक्र-ए-वफ़ा अब तिरे नाम के साथ आता है. कू-ए-यार में अंजाम मिरा बदहाल ही रहा, इमदाद के वास्ते अब ना कोई हाथ आता है. दर्द-ए-हिज्र-ए-अहबाब है ग़ालिबन तमाम, तहरीर-ए-इश्क़ अगला ना बाब आता है. तआ'क़ुब-ए-यार ने ख्वाहिशों को धूं किया, ना शानो-शौकत,रास ना ये ठाठ आता है. चराग़ जो दर को 'शुभी' अब रोशन ना करे, तीरगी का एहसास तिरे जाने के बाद आता है. Only when we lose someone we realize their worth. जबीं- forehead एहसास-ए-क़ुर्बत- realization of closeness मंज़र-ए-ज़वाल-ए-उंस- scene of
THE EVENT IN EVERY STREET (R K C)
मनवा रे ए ए ए मनवा रे ओ ओ ए ओ मेरे मनवा तू कँहा छोड़ आयी अपनी चंचलवा सुन रे। सुन रे सुन रे सुन रे बावरी कोई है जो सो गया , गहराई में खो गया तू आई न वो छोड़ गया, ©R K Choudhary(T.E.I.E.S) मनवा रे ए ए