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Kahani in hindi #Poetry

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Satish Tiwari

ek acchi ladki ki kahani #VantinesDay #कामुकता

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सवाल: मैं 28 साल का एक अविवाहित व्यक्ति हूं। मैं एक ऐसे परिवार से आता हूं, जहां हमारी निजी जिंदगी के फैसले हमारे माता-पिता ही लेते हैं। दरअसल, मेरे पैरेंट्स ने मेरी शादी एक 25 साल की महिला के साथ तय की है, जोकि मेरे पिता के मित्र की बेटी है। हमारा रिश्ता पक्का हो गया है और कुछ ही महीनों में शादी भी होने वाली है। मैं बहुत ही शर्मीला हूं। मेरे किसी भी लड़की के साथ संबंध नहीं रहे हैं। सच कहूं तो मैं अभी भी वर्जिन हूं। हालांकि, शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने वाले लोगों से मेरा कोई विरोध नहीं है। लेकिन अपनी निजी पसंद के तौर पर मैं ऐसी लड़की से शादी करना चाहता हूं, जो मेरी तरह वर्जिन हो।

चूंकि हमारा रिश्ता हमारे माता-पिता द्वारा तय किया गया है, इसलिए उस लड़की के बारे में मैं ज्यादा नहीं जानता हूं। हम फोन पर बात करते हैं। एक-दूसरे को रोमांटिक मैसेज भी करते हैं। लेकिन अलग-अलग शहरों में रहने की वजह से हम मिल नहीं पाते हैं। मेरी होने वाली पत्नी का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक है, जिसकी वजह से कोई भी उनसे पहली ही मुलाकात में प्रभावित हो सकता है।

मैंने भी उन्हें ऐसी ही पसंद किया था, लेकिन मेरे मन में अजीब सा डर है। यूं कहूं कि मुझे यह जानने की जिज्ञासा उठ रही है क्या मेरी पत्नी मेरी तरह ही अनुभवहीन यानी वर्जिन है। हालांकि, मैं भी उन्हें बताना चाहता हूं कि मेरे उनसे पहले किसी से कोई रिश्ता नहीं रहा है। लेकिन मुझे समझ नहीं आ कि यह सब किस तरह शुरू करना चाहिए? क्या मेरा अपनी होने वाली पत्नी की वर्जिनिटी के बारे में जानना सही रहेगा। (सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं, हम यूजर्स द्वारा शेयर की गई स्टोरी में उनकी पहचान गुप्त रखते हैं)

©Satish Tiwari ek acchi ladki ki kahani

#VantinesDay

Pawan Kumar

#Romanc pyar ki kahani koi acchi sieMusic #लव

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JAKMI SAYAR

kahani acchi aadat hai kya हाल-चाल #प्रेरक

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Pooja Singh

motivational story kahani in hindi #motivatation #कविता

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MDS Yadav

motivational story in hindi #short #kahani #शायरी

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Meghwans Saab

#MothersDay #Hindi kahani #Hindi kahani #Poetry

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ABK Delhi wala

Kahani # Hindi kahani #कविता

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ऐेैक लड़की कैसे सब के लिए बौझ बन जाती है 

         ( ऐैक उदास लड़की की कहानी)


मीना अपने माता पिता की बहुत लाडली थी। तीन बडे भाईयों की बहन थी। कोई भी चीज मांगने पर उसी वक्त सामने हाजिर हो जाती। पूरे घर में रौब था उसका। पूरे परिवार ओर नौकरों पर राजकुमारी की तरह हुक्म चलाती थी मीना
स्कूल में भी पूरा रौब था उसका। बडे घर की लाडली जो थी वह। ऐसे ही उसने कालेज में दाखिला लिया। उसके ठाठबाट, बडी गाड़ी में आना जाना, हर दिन नया फैशन देखकर हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था।

थोड़े ही दिनों में उसके बहुत से दोस्त बन गए। पूरे कालेज में उसकी अपनी ही एक पहचान थी। इन दिनों उसके घर एक रिश्ता आया। खानदानी लोग थे ओर पापा की पुरानी जान-पहचान थी उनके साथ। मीना के साथ कोई जबरदस्ती नहीं थी| पर मीना ने फिर भी हां कर दी, कयोंकि वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी।

वह जानती थी कि वह लोग उसका अच्छा ही सोचेंगे। लडके का नाम सूरज था। सूरज काफी पढा लिखा ओर समझदार लडका  था। ससुराल वाले भी बहुत अच्छे थे। ससुराल में मीना की जगह वैसी ही थी जैसी कि मायके में। कोई भी काम मीना की सलाह के बिना नहीं होता था। सबकी लाडली बहू बन गयी थी वह। फिर उसके घर एक बेटे का जन्म हुआ।

 समर मीना को जान से प्यारा था। पोता पाकर ससुराल वाले तो फूले नहीं समाते थे। मीना कभी कभी सोचती कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी है। उसका हर अपना उसे कितना प्यार करता है। चाहे जीवन में कैसा भी समय आये मेरे अपने हमेशा मेरे साथ हैं, मैं कभी अकेली नहीं हो सकती।

कितनी खुशकिस्मत हूँ मैं। पर शायद मीना की खुशियों को उसकी अपनी ही नजर लग गई थी। एक दिन वह मायके जाने की जिद्द कर बैठी। सूरज को बहुत काम था।लेकिन वह फिर भी उसे ले गया।

रास्ते में उनकी गाड़ी दूसरी गाड़ी से टकरा गई। मीना, सूरज ओर समर बहुत बुरी तरह से जख्मी हो गए। काफी दिनों के इलाज के बाद समर ओर सूरज तो ठीक हो गए लेकिन मीना पूरी तरह ठीक ना हो सकी। सर पर चोट लगने के कारण वह अपनी आंखों की रौशनी खो बैठी। अब मीना की किस्मत जैसे उलटे पांव चलने लगी।

मायके वाले कुछ दिनों तक उसे मिलने आते रहे फिर कभी कभार फोन ही करके पुछ लेते कि अब कैसी हो। धीरे धीरे ये सिलसिला भी कम हो गया। ससुराल वालों की सहानुभूति भी कम होने लगी। घर में किसी को पास बैठने के लिए कहती तो जवाब मिलता बहुत काम है अब तुम भी हाथ नहीं बंटा सकती।

सूरज भी चिडचिडा हो गया था। बस समर ही था उसके साथ जिसके साथ हंसते खेलते उसका वक्त गुजरता। एक दिन मीना के हाथ से कुछ सामान गिर गया जिसकी वजह से समर को हलकी सी चोट लग गई। मीना के सास ससुर ने सूरज को उससे अलग कर दिया कि कहीं उसके ना देखने की वजह से बच्चे का कोई नुकसान ना हो जाये।

मीना अंदर से टूट चुकी थी। एक दिन उसने सबके सामने मायके जाने की इच्छा रखी तो सूरज उसे तुरंत मायके छोड़ आया। जैसे कि वह भी यही चाहता था। लेकिन समर को उसके साथ नहीं भेजा गया। मीना कभी समर से दूर नहीं रही थी, पर अपनी कमी के कारण उसने ज्यादा बहस नहीं की।

मीना को लगा कि वह तीन चार दिन वहां रहेगी तो थोड़ा हवा पानी बदल जायेगा कयोंकि वह कितने दिनों से कहीं भी बाहर नहीं गयी थी। घर वाले भी इतने दिनों बाद उसे देखकर कितने खुश होंगे। मीना के घर पहुंचने पर सब लोग बहुत खुश हुए। खाने में सब कुछ मीना की पसंद का ही बना था।

उसने अपने मम्मी पापा ओर भाई भाभियों से दिल खोल कर बातें की। उनके छोटे छोटे बच्चे भी बूआ के साथ घुलमिल गए थे। रात को सोने के वक्त जब वह कपडे बदलने लगी तो उसे पता चला कि उसका बैग तो बहुत भरा हुआ था।

वह सब समझ गई। वह बहुत उदास हो गई। कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा, फिर जैसे सब बदलने लगा। सबका व्यवहार बदल रहा था। वह लोग जैसे थक चूके थे उससे। सब लोग घूमा फिरा कर पुछने लगे कि सूरज कब आ रहा है उसे ले जाने।

वह बहाना बना देती। जबकि वह जानती थी कि उस घर मे अब उसके लिए कोई जगह नहीं। मीना से चलते वक्त कुछ ना कुछ नुक्सान हो जाता। थोड़ी बहुत टोकाटाकी उसे सूनाई देती। वह टाल देती।

एक दिन उसके हाथ से लगकर एक कीमती फूलदान टूट गया। छोटी भाभी ने बहुत हंगामा मचाया। मीना के माता पिता रोज रोज के झमेलों से तंग आ गए थे। उन्होंने सूरज को खुद से फोन कर दिया। सूरज मीना को अपने घर ले गया। मीना को अपने परिवार वालों से ये उम्मीद ना थी जिस मीना के कहे बिना घर मे एक पत्ता भी नहीं हिलता था, उस घर के लिए वह अब बोझ बन चुकी थी।

सूरज के साथ ससुराल आते वक्त वह बहुत खुश थी। क्योंकि वह अपने घर जा रही थी अपने जिगर के टूकडे अपने बेटे समर के पास। पर यह खुशी भी कुछ पल की ही थी। सारा बन्दोबस्त पहले ही किया हुआ था। मीना को सीधे ऊपर वाले कमरे में पहुंचा दिया गया। समर से दूर रहने की सख्त चेतावनी दी गई।

एक कामवाली हैमा को उसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। जो उसके खाने पहनने जैसी जरूरतों का ध्यान रखती। मीना ज्यादातर चुप ही रहती। कभी-कभी कामवाली हैमा से थोडि बात चीत कर लेती। उसके जरिये समर का पता चल जाता। सबकी लाडली बेटी ओर बहू सबके लिए लाडली से बोझ बन चुकी थी।

©ABK Delhi wala Kahani # Hindi kahani

Rohit kumar

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