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Mokshada mishra
mohabbat ki ahat ko aur ishq ki likhawat ko badal pana aasan nahi hai ae dost ज़रा सी समझ की फेर में अर्थ का अनर्थ कर देती हैं । कलम with mishraji ©Mokshada mishra अर्थ का अनर्थ #Morning
paritosh@run
Good Morning घूँट-घूँट, धीरे-धीरे चाय पीने का मज़ा कुछ और ही है... उनकी यादों के साथ कुछ वक्त मैं ऐसे भी बिताता हूँ... घूँट-घूँट किसी चाय...
Diwan G
एक घूँट काफी नहीं है, तुझे भुलाने के लिए। रोज बोतल चाहिए, खुद को सुलाने के लिए। ©Diwan G #घूँट
RP Dhiman
वैसे तो मै हर-रोज देखता हूं चाँद को पर घूँघट के चाँद को देखे जमाना हो गया घूँघट का चाँद
Sumit Kumar
मैं डयरी पेन लेकर बैठा सोचा अपने जज़्बात लिख दूं फिर एक दम से ख्याल आया क्यों ना अपना पहला प्यार "चाय"लिख दूँ.. खुद के जज़्बात और चाय का घूँट
Maneesh Ji
इश्क़ से नशीला कोई नशा ही नहीं घूंट घूंट पीते हैं कतरा कतरा मरते हैं #NojotoQuote इश्क़ से नशीला... कोई नशा ही नहीं... घूंट घूंट पीते हैं... कतरा कतरा मरते हैं #इश्क़... #नशा... #घूँट... #कतरा
Eron (Neha Sharma)
कड़वा सच ●●●●● मत बन कठोर की कोमल न बन पाएगा। मारकर इंसानियत तू धरा पर न रह पाएगा। बिना नाखून और पैने दांत लिए ऐ मानव तू जानवर से भी बदतर कहलायेगा। बस एक भूल से तू पापी की श्रेणी में आएगा उठाएगा खुद को तू नीचे गिरा पायेगा। इंसान होकर ऐ मानव तू कभी, इंसान कभी भी नही कहलायेगा। कान खोलकर सुन ले अधम पापी मानव, जो किया है तूने इस जन्म में। तू यहीं भोगकर जाएगा। इसलिये कदम बढ़ा सोच समझकर। मनहूस कोई और नही तू खुद के लिये कहलायेगा। - नेहा शर्मा #NojotoQuote कड़वा घूंट सच का।
संजय कुमार सन्जू
"दो घूंट" अद्भूत सहास जगाया हे मानव खुद को ही बहकाने का खुशी मना रहा है या गम छूपा रहा जमाने का रईस इतना हो गया या कारोबार बढ़ा रहा महकाने का समझ नही आता हे मानव राज़ दो घूंट लगाने का॥ रूठ गया है क्या दिल तेरा जो करता कोशिश मनाने का भूल गया है सब कुछ या स्वांग रचा रहा भूलाने का चर्चित हो गया हे मानव पाथिक राज घराने का॥ शौक इतना हो गया है या आदि हो गया है पिने का भूल गया जो अपनापन या भूला रहस्य जिने का पूछ ला अब तू हे मानव हाल ए दर्द सिने का॥ खूब ढूढां है ये साथी खुशियो को मनाने का खूब ढूढां है तुने सहभागी गमो को भूलाने का गवां दिया तुने हे मानव अद्भूत प्रेम ज़माने का॥ ............संजय कुमार "संजू" दो घूँट
Pushpendra Pankaj
जीवन मे कितनी ही बार सब्र के कङवे घूँटो को पिया है, बार बार बताकर आपका जायका क्यों खराब करूँ। ©Pushpendra Pankaj कङवे घूँट
Anup kumar Gopal
घूँघट का पट खोल तेरा पिया आया है। जिया में तड़प है, पिया प्यास बुझाने आया है। ©Anup kumar Gopal घूँघट का पट #Identity