Find the Latest Status about बसन्त from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बसन्त.
santosh tiwari
रंग बसंती संग उड़े, नई उमंग पतंग, माँ वाणी आशीष दो, चढ़े ज्ञान का रंग। @तिवारी #बसन्तपंचमी
अमित चौबे AnMoL
कोमलांग जो हृदय,स्वभाव वासयुक्त हो। रश्मियां विराजमान,रीझती विभावरी।। तृण धारित धरित्री,अंबर केसरी धरें। लज्जित है मृदा कलरव है माधुरी।। माँ शारदेय श्वेत शुभ श्वेतार्क उर। चंद्रहास मीनाक्षी,प्रकृति भव सांवरी।। हे!माधुकर नयनी,कृपाक्षी कृपा अनमोल। मीनाक्षी दो मधुरता,हरो विकल कावरी।। ऋतिका जी की कविता का बड़ा भाग इसमे समाहित है #बसन्त_पंचमी #बसन्त #सरस्वती #माँ #सरल_छलिया
REETA LAKRA
ऋतुराज न ग्रीष्म वर्षा शरद न शिशिर और न हेमंत, करने शीत का अंत आ रहा है वसन्त। भारत की छह ऋतुओं में से एक, आकर अपना सौंदर्य देती है फेंक। सर्दी हो जाती है कम, मौसम हो जाता सुहावन। हर पेड़ पर नये पत्ते लगते, आम तो सीधे बौराने लगते। अलसी सरसों के खेत पीली चादर लेते ओढ़, ऋतुराज लाता फलराज, करता रंगों से सराबोर। बसन्त पंचमी मनती, महाशिवरात्रि मनती, राख बुधवार से उपवास परहेज़ की शुरूआत होती और मनती है रंग पंचमी, धुलेंडी। बसन्त के प्रादुर्भाव पर क्या-क्या असर होता है देखो.. धरा पर इसके अवतरण पर कहाँ-कहाँ असर होता है देखो.. हवा सनसनाती, प्रकृति झूमती, वृक्ष नव पल्लव का पालना लगाते, रंग बिरंगे फूलों के परिधान बनाते। बयार अपनी ठंडक का त्याग करती, कोयल फिर अपना राग सुनाती, जन वासन्ती पोशाक धारते, वादन - गायन - नर्तन में विभोरते। पुष्पों की आकर्षक छटा गमों को देती है घटा। ठंड की न रहती कंपकंपी, न होता गर्मी का पसीना, दिवस अपनी लम्बाई बढ़ाता, दिवाकर अपना ताप बढ़ाता। जमी झीलें पिघलने लगतीं, बहतीं धरा को भिगोने लगतीं। प्राकृतिक सौंदर्य में योगदान देती, रंग बिरंगी तितलियाँ मंडरातीं। नभ का नीलापन अलसाता जीवन आंगन में उल्लास छलकता। हो गया बसन्त से अनुराग अनायास, चलूँ मैं बैठूँ उसके पास, राजाधिराज ऋतुराज बसन्त कहीं न जाए भाग - कहीं न जाए भाग।। ४३/३६५@२०२१ मधु ऋतु भी कहलाता है यह बसन्त। कई परिवर्तन होते हैं। सबके लिए अनन्त आनन्द लेकर आ रहा है बसन्त। #बसन्तमधुऋतु G yreeta-lakra-9mba
Kumar Manoj Naveen
**** बसन्त चितचोर ****** माघवा महिनवा में दिन सुसूमाए, ठीक भोरहरिया तन सिहरावे, कुहूके कोयलिया भोरे-भोर, ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। मनवा में उठेला हिलोर, ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। पीयर-पियर तेलहन के फूलवा फुलाईल, पीपरा आ निमीया में टूसा बा आईल, सुनर लउके चारो-ओर, ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। आम मोजराईल, महुआ कोचियाईल, बगिया में फुलवा खूबे कोढियाईल, भईल प्रकृति के रुपवा बेजोड़ , ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। बगयिचा में नाचे खूबे मोर, ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। ****नवीन कुमार पाठक **** ©Kumar Manoj बसन्त
Suman Rakesh Shah
सच कहूँ तो मैं कुछ भी नही एक अनजाना राग हूँ जिसे तुम गुनगुना लो तो एक प्यारी मुस्कान हुँ मैं सचमुच में मैं कुछ नही एक पतझड़ का पत्ता हूँ जिसे तुम प्यार से सहला दो तो बसंत की बहार हूँ मैं सचमुच में मैं कुछ नही सुखी बंजर जमीन हूँ जिस पर प्यार तुम अपना ज़रा बरसा दो तो लहराता गुलिस्तां हूँ मैं सचमुच में मैं कुछ नही... #yqbaba #yqdidi #yqchallenge #yqquotes #बसन्त_पञ्चमी