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Satya Mitra Singh

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार

जय हनुमान जी की जय
सत्यमित्र
19-4-19 बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार

जय हनुमान जी के जय

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार जय हनुमान जी के जय

4 Love

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Mr Dangi

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करैं हनुमान।।
 
आप सभी को हनुमान जन्मोत्सव के पावन पर्व पर हार्दिक बधाई एवं मंगलमय शुभकामनाएँ।
🙏जय बजरंगबली। 🙏
💐🏹⛳ बुद्धि हिन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहे, हरहु कलेश विकार।।🏹🇮🇳⛳

बुद्धि हिन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहे, हरहु कलेश विकार।।🏹🇮🇳⛳

9 Love

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Edm Crazy Boy

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

©Edm Crazy Boy #nightsky श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

#nightsky श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।  बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। #Motivational

9 Love

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encourage.to_live

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि ब

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि ब #Motivational #हनुमान_जयंती

65 Views

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Sethi Ji

सावन का सोमवार आया , जैसे रुत की बहार आई 

मेरे शिव शंकर की कृपा दृष्टि अपने साथ लाई

मेरे भोले नाथ है इतने प्यारे , हर कोई बन जाता है उनका भक्त

ऐसी अपार शक्ति को रोज़ करता हूँ नमन मैं शत् शत् 🙏🙏🙏🙏 श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

#Shiva 👏👏👏👏

#शिव #पूजा #मंगल #विचार #संगीत

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ #Shiva 👏👏👏👏 #शिव #पूजा #मंगल #विचार #संगीत #Trending #कविता #nojotohindi

125 Love

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Poet Shivam Singh Sisodiya

जय जय जय हरि रामा, मन वच बुद्धि अगम |
वेदविदित जनरक्षक कहते निगमागम ||१||

सुनिहैं गावैं ध्यावैं गुण सज्जन संगम |
दरश देहु नारायण काटहु मोरे भ्रम ||२||

रावणारि खरहंता भूमिभार खंडन |
लेप विचित्र सुंदर श्रीखंड मुख मंडन ||३||

करो कृपा अवलोकन हे पंकज लोचन |
रूप अनूप तिहारो मदन को मद मोचन ||४||

विधि शिव नित ही ध्यावैं गावैं आठहुँ याम |
ध्वनि नभ मंडल विचरैे जय जय जय हरि राम ||५|| जय जय जय हरि रामा, मन वच बुद्धि अगम |
वेदविदित जनरक्षक कहते निगमागम ||१||

सुनिहैं गावैं ध्यावैं गुण सज्जन संगम |
दरश देहु नारायण काटहु मोरे

जय जय जय हरि रामा, मन वच बुद्धि अगम | वेदविदित जनरक्षक कहते निगमागम ||१|| सुनिहैं गावैं ध्यावैं गुण सज्जन संगम | दरश देहु नारायण काटहु मोरे

5 Love

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श्री सबरी भजन मंडल

राम बिनु तन को ताप न जाई।
जल में अगन रही अधिकाई॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम जलनिधि मैं जलकर मीना।
जल में रहहि जलहि बिनु जीना॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम पिंजरा मैं सुवना तोरा।
दरसन देहु भाग बड़ मोरा॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम सद्गुरु मैं प्रीतम चेला।
कहै कबीर राम रमूं अकेला॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

©श्री सबरी भजन मंडल 🙏🌹राम बिनु तन को ताप न जाई।
जल में अगन रही अधिकाई॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम जलनिधि मैं जलकर मीना।
जल में रहहि जलहि बिनु जीना॥
राम बिनु

🙏🌹राम बिनु तन को ताप न जाई। जल में अगन रही अधिकाई॥ राम बिनु तन को ताप न जाई॥ तुम जलनिधि मैं जलकर मीना। जल में रहहि जलहि बिनु जीना॥ राम बिनु #Ram_Navmi

13 Love

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Monika jayesh Shah

ॐ श्री हनुमते नम:।। ॐ हं हनुमते नम:।। 
श्री राम दूताय नम:।।
 ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः।।
***********************************
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
**********************************
  हनुमान बिन राम अधूरा!
   राम भक्त हैं..हनुमान!
   वीरों का वीर बलवान!
   पवन पुत्र हैं.. हनुमान!
   अंजनी माता का दुलारा!
  सीता‌ लक्ष्मण का प्यारा!
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

©Monika Shah ॐ श्री हनुमते नम:।। ॐ हं हनुमते नम:।। श्री राम दूताय नम:।। ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः।।
*******************************************

ॐ श्री हनुमते नम:।। ॐ हं हनुमते नम:।। श्री राम दूताय नम:।। ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः।। ******************************************* #कविता #hanumanjayanti

6 Love

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श्री सबरी भजन मंडल

🌻🌻भई परापति मानुख देहुरिया🌹गोबिंद मिलण की इह तेरी वरीआ🌻🌻🌻कौन जानता है कि ये grace marks ।।रियायत।।ही हो उसकी कृपा से ही मिले हो इतने अच्छे करम भी न किए हो हमनें।लेकिन परमात्मा ने बोला chance ।।मौका।।दो।कौन जाने हमें अपने करमो से मिली है तो हमें इसका फायदा उठाना है।उसकी कृपा से मिली है दया से भी हम उसकी दया के पात्र बने होगे तभी तो दया उसने की होगी।वो भी उसकी दया का ही फल होगा कि उसकी दया के पात्र बने।तो भी हमें इस मानुष देह का मानुष शरीर का फायदा उठाना है🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌻🌻🌻🌻

©श्री सबरी भजन मंडल 🌻भई परापति मानुख देहुरिया🌹गोबिंद मिलण की इह तेरी वरीआ🌻कौन जानता है कि ये grace marks ।।रियायत।।ही हो उसकी कृपा से ही मिले हो इतने अच्छे करम

🌻भई परापति मानुख देहुरिया🌹गोबिंद मिलण की इह तेरी वरीआ🌻कौन जानता है कि ये grace marks ।।रियायत।।ही हो उसकी कृपा से ही मिले हो इतने अच्छे करम #zindagikerang

15 Love

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विक्रम मिश्र "अनगढ़"

#अनगढ़_दोहावली 

मेला जीवन का अजब,  अज़बहि  इसका खेल ।
बने   तमाशा   मोल  लें,  आग  नून   अरु  तेल ।।

रक्त बना जब स्वेद कण, लवण हुआ मधु भाव ।

#अनगढ़_दोहावली मेला जीवन का अजब, अज़बहि इसका खेल । बने तमाशा मोल लें, आग नून अरु तेल ।। रक्त बना जब स्वेद कण, लवण हुआ मधु भाव ।

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Vikas Sharma Shivaaya'

श्री हनुमान चालीसा 
 श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।
 **** 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।
अर्थ- हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए।
**** 
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥1॥
 अर्थ- श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।
 **** 
राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥
अर्थ- हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं हैं।
 **** 
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥
अर्थ- हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले  हैं। आप खराब बुद्धि को दूर करते  हैं, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक  हैं।
 **** 
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥
अर्थ- आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।
 **** 
हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥
अर्थ- आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
 **** 
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥
अर्थ- शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।
 
**** 
विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥
अर्थ- आप प्रकान्ड विद्या निधान  हैं, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते  हैं।
 
**** 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥
अर्थ- आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते  हैं। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते  हैं।
 
**** 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥
अर्थ- आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।
 
**** 
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥
अर्थ- आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्‍देश्यों को सफल कराया।
 
**** 
लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥
अर्थ- आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
 
**** 
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥
अर्थ- श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।
 
**** 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥
अर्थ- श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।
 
**** 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,  नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥
अर्थ-  श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते हैं।
 
**** 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥
अर्थ- यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।
 
**** 
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥
अर्थ- आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।
 
**** 
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥
अर्थ- आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।
 
**** 
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥
अर्थ- जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।
 
**** 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥
अर्थ- आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
 
**** 
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥
अर्थ- संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।
 
**** 
राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥21॥
अर्थ- श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले हैं, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।
 
**** 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥
अर्थ- जो भी आपकी शरण में आते हैं, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक हैं, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।
 
**** 
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥
अर्थ- आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते हैं।
 
**** 
भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥
अर्थ- जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।
 
**** 
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥
अर्थ- वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है।
 
**** 
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥
अर्थ- हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते हैं।
 
**** 
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥
अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ हैं, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।
 
**** 
और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥
अर्थ- जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।
 
**** 
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥
अर्थ- चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
 
**** 
साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥
अर्थ- हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।
 
**** 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥31॥
अर्थ- आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते
है।
 
1.) अणिमा- जिससे साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
2.) महिमा- जिसमें योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
3.) गरिमा- जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
4.) लघिमा- जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
5.) प्राप्ति- जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
6.) प्राकाम्य- जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है।
7.) ईशित्व- जिससे सब पर शासन का सामर्थ्य हो जाता है।
8.) वशित्व- जिससे दूसरों को वश में किया जाता है।
 
**** 
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥
अर्थ- आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते हैं, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।
**** 
तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥
अर्थ- आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते हैं और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते हैं।
**** 
अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥
अर्थ- अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते हैं और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।
**** 
और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥
अर्थ- हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।
**** 
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥
अर्थ- हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती हैं।
**** 
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥
अर्थ- हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।
**** 
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥
अर्थ- जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।
**** 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥
अर्थ- भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी हैं, जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
**** 
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥40॥
अर्थ- हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।
**** 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप॥
अर्थ- हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' श्री हनुमान चालीसा 
 श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलो

श्री हनुमान चालीसा श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि। अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलो #समाज

10 Love

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Diamond city

 कवीर --सुन्दर देही देखकर उपजत है अनुराग ! चाम न होत देह पर जीवित खाते काग !!

कवीर --सुन्दर देही देखकर उपजत है अनुराग ! चाम न होत देह पर जीवित खाते काग !! #nojotophoto

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Nir@j

हम पर अपनी कृपा
 बनाए रखना माँ❤️
🙏🙏🙏🙏 #माँदुर्गा #जयमातादी 
ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ।1)
जय त्वं देवी चामुण्डे ज

#माँदुर्गा #जयमातादी ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ।1) जय त्वं देवी चामुण्डे ज #nirajnandini

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Divyanshu Pathak

ॐ जयंति मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। अर्गला स्तोत्रम

ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी..... ।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।। 1।।

जय त्वं देवी चामुण्ड

अर्गला स्तोत्रम ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी..... । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।। 1।। जय त्वं देवी चामुण्ड #yqbaba #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण

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jaydip baraiya 777

#जमाना देखु

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Akhilesh Kumar

मैं 
तुम 
से.... हम 
बस 
इतना ही है 
.... प्रेम 
अखिलेश

©Akhilesh Kumar देह से देह तक

देह से देह तक #कविता

8 Love

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Dr. Devashish Acharya

___________________________

🙊  चुनावी   हँसिकाएँ - २०१९  🙊
____________________________  

( २ )

कुर्सी के चक्कर में 
लग गई देखो होड़  |
कौन जोर से चिल्लाएगा 
चौकिदार है चोर  ||

👮 😴 👮

 ( ३ )

" चोर " वाले  बयान पर 
रा.ग.  ने  जताया  खेद  ,
ताव-ताव  में  इज्जत  का
हो  गया  मटियामेट  ||
__________________________

🦉 ' देबु ' 🦉' देबु '

🦉' देबु '

3 Love

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Alok Vishwakarma "आर्ष"

तन सुंदरता एक तत्व है,
मन भी सुंदर होना होगा
हँसना गर उन्मुक्त गगन में, भूतल गिर कर रोना होगा
अर्ध ऊर्ध्व के प्लावन में, जीवन फलदायी होता है
मनुष्य दाम कितना ही भर ले,
सिधर प्राण सब खोता है
शाश्वत सुख है भारत का, जो तन सौंदर्य न सीमित है
मन वच कर्मण एक बनाये, पीयूष धार से सींचित है
वन्दन प्रेम तपस विभ हित,
पृथ गगन अगिन वय पानी बन
चंचल मन धृत जिवन समर में, ब्रह्मविद्या तर ज्ञानी बन "देह और देही"
एक अनूठी कविता...

#alokstates #essentiallydeep #spirituality #enlightenment #oneness_of_souls #yqbaba #yqdidi #कविता

"देह और देही" एक अनूठी कविता... #alokstates #essentiallydeep #Spirituality #enlightenment #oneness_of_souls #yqbaba #yqdidi #कविता

0 Love

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पँखुड़ी

#देह
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पूर्वार्थ

देह अति आवश्यक है 
किंतु यह गंतव्य नहीं 
माध्यम है

दुख होता है जब हम 
दैहिक विलासिता अर्जित कर , भोग कर स्वयं पर इठलाते हैं

हमें लगता है हमनें उसे अर्जित किया, भोगा! 
सत्य ये है की विलासिता ने हमें अर्जित कर लिया,
 बिना कोई मोल चुकाये, हमें अपना दास बनाया

हमें तप योग्य नहीं रहने दिया
हमसे सहनशीलता छीन ली
प्रतिक्षा का गुण गौण कर दिया

जब हम दो कदम नंगे पाँव नहीं चल पाते
चप्पल हंसती है हमपर

जब हम एक घंटे की भूख नहीं सह पाते, तो देह 
अपनी गिरती संभावनाओं पर रोती है

जब हमें गौ माता के गोबर से अपनी मौलिकता 
का एहसास होने के बजाए, बदबू आती है, तो धरती हमें 
अपनी गोद में पालती नहीं है, बल्कि हमारा बोझ सहन करती है

मनुष्य असीम संभावनाओं का स्वामी है, लेकिन एक 
ऐसा स्वामी जिसे अपनी ही निधि का पता नहीं या पड़ी नहीं

कामनाएं, वासनाएं, इक्षाएं, विलासिता ये सब जीवन 
के महत्वपूर्ण अंग हैं किंतु जीवन नहीं? 

जीवन एक वृहद संकल्पना है। 

जब हमारे जीवन का लक्ष्य देह को सुख के साधन 
उपलब्ध कराना बन जाता है, तो हमें नश्वर सुख की 
अनुभूति तो अवश्य हो सकती है, किंतु इसमें शाश्वत 
मन का हर्ष, आत्मा की तृप्तता संभव नहीं।

©purvarth #देह
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Marutishankar Udasi

हटती नही नजरे जो तुम्हे एक बार मै देखु 
कहता है दिल बस हर घडी हर पल तुझे यार मै देखु

©Marutishankar Udasi यार मै देखु

यार मै देखु #विचार

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Manoj Srivastava

एक नदी सी बहती थी उसके देह के अंदर।
मैं भी आकुल था, उससे मिलने को समंदर।
     #देह
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राघव_रमण (R.J)..

नजरि के जोर चलल नजरि चोराऊ नै
देखु देखु अहां सजनी नजरि मिलाऊ कनै ।।

छिटकैत इजोरिया मे चमकैत छी अहां
देखु देखु अहां सजनी शरमाऊं कनै।।

फुजल केश अहां के लागय कजरल बदरी 
देखु देखु अहां सजनी मिझराऊं कनै।।

ठोरक लाली लागैये फूल गुलाब सनक
देखु देखु अहां सजनी गमकाऊ कनै।।

यौवन मे छलकैत अछि मधुशाला के पेय 
देखु देखु अहां सजनी पियाऊं कनै।।

प्रेमक बाट धेने राघव देखु घुमि रहल
देखु देखु अहां सजनी हिया लगाऊं कनै ।।

                                     ©राघव रमण
                                                 23/11/19 नजरि के जोर चलल नजरि चोराऊ नै
देखु देखु अहां सजनी नजरि मिलाऊ कनै ।।

छिटकैत इजोरिया मे चमकैत छी अहां
देखु देखु अहां सजनी शरमाऊं कनै।।

फुजल

नजरि के जोर चलल नजरि चोराऊ नै देखु देखु अहां सजनी नजरि मिलाऊ कनै ।। छिटकैत इजोरिया मे चमकैत छी अहां देखु देखु अहां सजनी शरमाऊं कनै।। फुजल #कविता

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Pardeeppathak Mohan

ये ज़माना देखु

ये ज़माना देखु #Shayari

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Dhananjay(dhanuj) Sankpal

_#कवी'धनूज.
देह माझा
रक्ताने न्हाला
पात्रात वेलियारच्या
निशब्द निजला
खेळ करमणूकीचा, 
बुद्धीजीवी मानव प्रजातीचा
माझ्या मरणाने संपला
का..? कशासाठी..?
असंख्य विचांरानी तडफडला
देह माझा
रक्ताने न्हाला
भूकेल बाळ पोटीशी
मस्तकी चित्कार झाला
आई..आई..ची हाक पोटी
हाकेचा अंत झाला
मानवतेचा पोशाख लेऊनी
देह राक्षसी वाढला
रक्त मांस लुटण्यास गिधाडे
मानवरूपी जन्मला
दयेचा पाझरपाट
रक्ताने घेतला
निर्दयी मानवतेचा चेहरा
बघ कसा उजागर झाला
बघ कसा उजागर झाला
देह माझा
रक्ताने न्हाला...
देह माझा
रक्ताने न्हाला

-लेखक'कवी- (धनंजय संकपाळ)
#धनूज | रंग मनाचे. देह माझा

देह माझा #धनूज

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Kamal bhansali

शीर्षक : देह-मंत्र
देह से मुक्त होती जिंदगी की वासनायें
कह रही साथ कुछ भी तुम्हारे न जाये 
तुम कह रहे जिसे अपना यहीं रह जाये
आत्मिक-कर्म ही आगे नया स्थान पाये ।।

साँसों से जुड़े प्राणों के तार जब टूट जाये
बंधन मोह के सब इस जहाँ में  रह जाये
क्षल-कपट की जिंदगी खुद से ही शरमाये
देह की हसरतें आत्मा को मलिन कर जाये ।।

सोच यही सही जीवन धवल ही रह जाये
संयम के फूल आत्मा के गुलशन को सजाये
देह की सुंदरता कभी कांटो सी न हो जाये
अँहकार की धुंध में गलत कर्म नजर न आये ।।

रैन बसेरा है ये जग क्योंकि जीवन एक यात्रा है 
मंजिल-राही बनकर चलना, ये एक ही सूत्र है
आत्मा ही लिफाफा है शरीर तो सिर्फ एक पत्र है
पता कहाँ का होगा ? जानने का कर्म ही मंत्र है ।।
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali #देह-मंत्र

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Hp फलसूंड

जितनी दफा देखु तुजे....!

जितनी दफा देखु तुजे....!

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Inder Dhaliwal

आईना  देखूं जब आईना तो मेरे गुनाह मुझको नजर आते हैं।                                                                                                                                                                                                                                                  हो जाते हैं माफ वो जो अपने मुर्शिद के दर पर गुलामों का रुतबा पाते हैं।

©Inder Dhaliwal देखु जब आईना। 

#आईना

देखु जब आईना। #आईना #suspense

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