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Tarakeshwar Dubey
प्रेम लगन """'''''''''''''''''''' प्रेम लगन की प्रियतम मूरत, सती सीता संग रघुराई। राधा कृष्ण की गाथा गाकर, धन्य हुए रसिक, मुनीराई। सती सावित्री की निष्ठा व्रत, किसी भी ने न फिर दोहराई। भ्रातृ प्रेम में भरत सा त्यागी, विरले मिलता जग में भाई। रत्नाकर के सीने पर अब तक, तैर रहा सेतु का बंधन। राम सिया के अलख प्रेम की, जीता जागता अनूठा दर्पण। वृंदावन के कण कण में है, राधा रानी की छवि समाई। कदंब की हर डाली पर संग, झूल रहे हैं कृष्ण कन्हाई। चित्रकूट के पावन वन जहाँ, सिया-राम ने वर्षों बिताई। सेवा में रह लीन लक्ष्मण, भ्रातृप्रेम की विधा सिखाई। प्रेम मगन हो विचरें वहां सब, खिला हुआ है हर पल उपवन। राम सिया के अलख प्रेम की, जीता जागता अनूठा दर्पण। वीर हनुमत जग साक्षी है, माता सीता के अमर त्याग की। प्रभू प्रेम में बंध कर जिसने, सोने की लंका थी त्यागी। लाख प्रताड़ना सहे दसमुख के, पर शांत चित्त रही वैरागी। राम नहीं तो कुछ भी नहीं, बिन राम सिया की जीवन आधी। प्रेम तप से महक उठा था, दसकंधर का अशोक वन। राम सिया के अलख प्रेम की, जीता जागता अनूठा दर्पण। ©Tarakeshwar Dubey प्रेम लगन #paper
Anup Shah
प्रेम समीप हर कोई जाय, प्रेम को ही समझ न पाय, जो मन न जाने भाषा उसकी, रास लीला का अलग ही फ़िर अर्थ बनाय। विश पिलायो मीरा को, या धान कबीर का चुराय, मलंग बने जब धुन में उसकी, क्या कोई राग सुनाय। पोथी रटे, क़ुरान पढ़े, गुरुबानी समझे, नसीहत ईसा सुनाय, जब कालिख चढ़ी हो रूह पर, गंगा नहाय, व्यर्थ कहलाय। मन जब रमे निराकार में, ख़ुशी से खुदी भर आय, प्रेम बने जब बंदगी, बलुकिराम बुल्लेशाह हो जाए। - अनूप शाह प्रेम लगन मन लागे #love #devotion #journey #time #passion #life #travel #god
Bhakti Kathayen
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
प्रेम अगन है,प्रेम लगन है। प्रेम ही धरती,प्रेम गगन है। प्रेम सूक्ष्म है,प्रेम गहन है। प्रेम स्वाभाविक,प्रेम चयन है। प्रेम ही उत्तर, प्रेम प्रश्न है। प्रेम ही संचय,प्रेम वहन है। प्रेम योग है प्रेम मनन है। प्रेम हास्य है प्रेम रुदन है। प्रेम जतन है,प्रेम सरल है। प्रेम अमिय है,प्रेम गरल है। प्रेम ही सीता,प्रेम ही राम है। प्रेम ही राधा,प्रेम ही श्याम है। प्रेम ही प्रेम व्याप्त हर जगह, प्रेम में सारे जीव मगन हैं..... Pic credit :-google.in प्रेम अगन है,प्रेम लगन है। प्रेम ही धरती,प्रेम गगन है। प्रेम सूक्ष्म है,प्रेम गहन है। प्रेम स्वाभाविक,प्रेम चयन है। प
Pnkj Dixit
🌷👰💓💝... जीवन भरपाई आम की अमराई -सी // भोर की अंगड़ाई -सी सरसों के फूलों - सा // नदियों के कूलों -सा प्यारा हमराही है। ताज़ा ताज़ा मक्खन -सा // पुरवाई झोंका पवन- सा अंग - अंग को छूता है // चंचल मन ने लूटा है प्रीति फसल उगाई है। खुले पट, केश हैं // मद भरा वेश है धवल चाँदनी रूप है //प्रेम ढंग अनुरूप है प्रेम लगन लगाई है। मन की निराशा हरती है // मिलन की आशा भरती है दूर देश की राजकुमारी // सदा कहे .. हूँ तुम्हारी यही जीवन भरपाई है। १०/०२/२०२३ 🌷👰💓💝 ...✍️कमल शर्मा'बेधड़क' ©Pnkj Dixit 🌷👰💓💝... जीवन भरपाई आम की अमराई -सी // भोर की अंगड़ाई -सी सरसों के फूलों - सा // नदियों के कूलों -सा प्यारा हमराही है। ताज़ा
Vedantika
माधव की मैं प्रेम दीवानी हुई दुनिया में बदनाम केशव ने जो थाम लिया तो भय का क्या काम गिरधर ने मेरे हर गम को अमृत बना दिया मोहन की बांसुरी की धुन ने मरहम लगा दिया गोपाल के चितवन से पराजित हुआ है चित्त वसुदेव की मुस्कान पर विश्व हुआ मदमस्त नमस्कार मित्रों 🙏 (शुरू करो चौथा पड़ाव लेकर प्रभु का नाम) काव्य संग्रह प्रस्तुत करता है "मेरी व्याकरण यात्रा" *चौथा पड़ाव* इस पड़ाव के न
DR. SANJU TRIPATHI
"कृष्ण" तेरी सांवली सूरत मोहनी मूरत हमको बहुत लुभाती है "मुरलीधर" मुरली तेरे अधरों पर सज कर तान मधुर सुनाती है। "माधव" मेरे मोर मुकुट पीतांबर धारी तेरी छवि बहुत ही प्यारी है। "कन्हैया" तुझ संग प्रीत करे जग सारा, तेरी प्रीत बहुत ही न्यारी है। "गिरधारी" कोई कहे नटवर कोई कहे नागर कोई कहे मन बसिया है। "केशव" तेरे चेहरे की मुस्कान पर मर मिटती सारी की सारी दुनिया है। -"Ek Soch" -"Ek Soch" नमस्कार मित्रों 🙏 (शुरू करो चौथा पड़ाव लेकर प्रभु का नाम) काव्य संग्रह प्रस्तुत करता है "मेरी व्याकरण यात्रा" *चौथा पड़ाव* इस पड़ाव के न
CalmKrishna
.................................... ©CalmKrishna प्रेम प्रथम है। #prem #प्रेम #प्रेमी #love