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mere_alfaaz
मन्नते पूरी हो ना हो दरगाहें नहीं बदली जाती ❤️ #मन्नत #दरगाह #बदलना
Parasram Arora
दरगाह... होती हैँ इबादत के लिये पर ये वो दरगाह थी जहाँ सिर्फ इश्क़ की इबादत कों मुक़्क़मल किया जाता है ये वो दरगाह थी जहाँ इश्क की रूहे आकर कुछ पल ठहरती थी गले मिलती थी और फिर अंधेरों में लुप्त हो जाती थी पर कइ लोग नही जानते कि इश्क़ और इबादत दोनों एक दुसरे के पूरक है और उनके शाब्दिक अर्थ भी विरोधाभासी नही है ©Parasram Arora इबादत इश्क़ और दरगाह
Anupama Jha
दरगाह तुम जाते नही, मंदिर में सिर झुकाते नही, फिर कौन सा धागा है मन्नत का जो गांठ तुमने बाँधा था वो आज़तक खुलता नही.... #गांठ#दरगाह#मन्नत #YQDidi
ՏᕼᗩՏᕼᗩᑎK ᒍOᕼᖇI @ इंशानियत@
मेरी ज़िन्दगी का तुझ से ये नीज़ाम चल रहा है, तेरा असताँ सलामत मेरा काम चल रहा है ©ՏᕼᗩՏᕼᗩᑎK ᒍOᕼᖇI @ इंशानियत@ कलियर शरीफ दरगाह हरिद्वार 🙏
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
मस्ज़िद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह उसका दिल टूटा,गरीब नवाज रूठा, किसी गरीब पे न ढाओ जुल्म बेइंतहा किसी गरीब का दिल दुःखाने पे तुम्हे, खुदा कर देगा हमेशा के लिये तबाह मस्जिद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह सदा अपने हिस्से का करो कुछ दान, रब देगा तुम्हे यहां बहुत ज्यादा मान, वो रब भी करेगा तुम्हारी तारीफ वाह न रखो यहां तुम किसी शख्स से डाह मस्जिद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह मरने के बाद क्या?,जीते जी ही ख़ुदा, कहीं बना न दे तुम्हारी,यहां क़ब्रगाह जो ज़माने में रखते हृदय काले स्याह खुदा नही करता कभी उनकी परवाह मस्जिद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह भ्रम में जीते और गुनाह करते अथाह खुदा न देता,संभलने का कोई मौका अंत मे खाते कर्मो की लाठी वो आह मस्जिद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह खुद को अमीरी में जो बड़ा मानते है लोगों को पैसे-मद में कुछ न जानते है चँद पैसों से खुद को शहंशाह मानते है पैसों को खुदा से भी ऊपर मानते है जब पड़ती अमीरी पे लाठी खुदा की, रोते-चीखते है,माफ कर दे अल्लाह अब न किसी मजलूम को सतायेंगे, हर आदमी में तेरा ही अक्स पाएंगे, तू है,मौला रहम करनेवाला अल्लाह जाता नही कोई सवाली खाली हाथ जिसने जो सोचा उसे देता तू वो राह लोग न छोड़ते गुनाहों की सरल राह अंत मे जलते है,वो दोज़ख की आग पर जो नेकी के करते कर्म लाजवाब, खुदा जन्नत क्या,दिल में देता जगाह अहंकार छोड़ो,खुदा से नाता जोड़ो, वो खुदा ही जलायेगा तेरी बुझी समां दिल से विजय मस्जिद जाओ या जाओ दरगाह