Find the Latest Status about प्रवेश गर्नुहोस् from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, प्रवेश गर्नुहोस्.
Rupesh Adhikari
गजल खै! कुन्नि कहाँबाट साइक्लोन आयो भन्छ बत्ती गयो हेर माथिबाट फोन आयो भन्छ। हैट! आफ्नोमा फुटेको कौडी नभएको बेला मोबाइलमा एचडीएफसीको लोन आयो भन्छ। जताततै सेकेन्ड वेभले ग्रस्त भएको खबर छ चारैतिर कोरोनाको अर्को क्लोन आयो भन्छ। तुफानी प्रभावले पहाड़मा भारी वर्षा हुँदैछ विद्युत कर्मीले एचटी फ्युज ब्लोन भयो भन्छ। विभिन्न समस्याले गर्दा सारा दुनियाँ अलपत्र छ गिलो रोटीले सबै अनुहारमा ग्लोन आयो भन्छ। ©Rupesh Adhikari यतातिर हेर्नुहोस् #nepaligajal #ghazal #nepalipoem #nepalisayari #changetheworld
praveen prakash
अतीत की बातें न जाने वो दिन कैसे होंगे मोबाईल के बिन जब रहते होंगे कैसै देते होंगे अपनी खबर जब रहते होंगे वीरान शहर सुबह डाकिये को चिट्ठी दिया तो देता होगा दोपहर न जाने वो दिन कैसे होंगे जब रहते होंगे घर से बाहर साधनो की भी कमी होगी पर कम न होगा लोगों में प्यार सीधे साधे लोग होंगे और अद्भुत होगा उनका व्यवहार कम होती होगी दुनिया दारी और सीमित होंगे सबके यार दो वक्त की रोटी भी नहीं तो देते होंगे सबको प्यार आनाजो की भी कमी होगी पर व्वहारिक होगा सभ्य समाज उधारी का भी नियम होगा तो नहीं लेते होंगे अपनो से ब्याज उन दिनों की मैं कल्पना करू तो दुःख होता है सबको आज न जाने वो दिन कैसे होंगे जब प्यार से गले लगाते होंगे न करते होंगे हिन्दू मुस्लिम न होता होगा जातिवाद भाईचारे से रहते होंगे सब ना होता होगा कोई विवाद न जाने वो दिन कैसे होंगे जब होता होगा सीमित अखबार खबरों की भी कमी होगी पर न देते होंगे झूठी समाचार जनमत की भी कमी होगीपर सच्चे होंगे पत्रकार पता परिचय कम होगा पर आपस मे होगा प्रेम व्यवहार न जाने वो दिन कैसे होंगे जब मिलते होंगे सबके विचार ✍प्रवीण प्रकाश प्रवीण प्रकाश
सुरज उदार तिम्सिना
अामा तिमि कहिले नअाउने संसारमा। उडान भरेको नि नौ वर्ष थाहा नपाई बितेछ दिन बित्दै जादा कहिलेकाही त म अाफुलाई शुन्यतामा पो मन रंग- तरंगमा तिमिलाई मध्य रातको सुनसानमा सधैं घरको काममा व्यस्त भएको झल्याकझुलुक्क सपनीमा देख्छु। लेखक: सुरज उदार तिम्सिना मेरो अामा शिर्षक कविता मन परे लाईक/कमेन्टले स्वागत गर्नुहोला।
Ganesh Shinde
एक प्रवास... तुझ्यासवे झाला पूर्ण, 'तुम्ही' पासून 'तू' पर्यंतचा... सुरवात होईल, एक दिवस प्रवासाला, 'तू' पासून 'अहो' पर्यंतच्या... 😍 #love #life #प्रेम #प्रवास
Ek villain
किसी भी राज्य की प्रगति इस देश से प्रभावित होती है कि राज्य के पास कितने पोटेशियम प्राकृतिक भौतिक अरमानी संपदा है और लीडरशिप का वजन व उसके प्रबंधन क्षमता कितनी है अगर हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो 2017 से पहले के लगभग तीन दशक में रणजी किस तरह से आर्थिक अर्थव्यवस्था के वितरण में कुशलता दक्षता और प्रेरणा देने की परीक्षा दसवीं का बेहद कमी आ रही है कोई नाम होगा कि आज वैश्वीकरण ने विकास का नया मॉडल दिया है जिससे ट्रिकल डाउन विकास को नीचे तक पहुंचाने का सबसे बेहतर उपकरण करारा दिया गया है लेकिन हुआ क्या बाटम ऑपरेटेड तक विकास तक पहुंचा नहीं जी बीच में ही और केस कर लिया गया फिर समर सकता कहां से आती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जेल जनधन आधार मोबाइल मॉडल ने सरकार की सब्सिडी की लोकेश को रोक दिया डीबीजीटी एनी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की व्यवस्था ने सीधे उस ही लाभ पहुंचाया जो जिस का हकदार था परिणाम स्वरूप गार्डन ऑफ़ ग्रामीण नई शक्ति हासिल करने लगा उत्तर प्रदेश के पास प्रदेश के पास एक बड़ा बाजार और कौशल मानव पूंजी है वर्ष 2017 के बाद प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में बुनियादी ढांचा और संपर्क कानून एवं व्यवस्था निवेश आकर्षण तथा कारोबारी परिवेश के निर्माण की दिशा में आप बहुत कदम उठाए ©Ek villain #कारोबारी परिवेश निर्माण के साथ बढ़ता उत्तर प्रदेश #Nofear
Shubham々1999
City तुम चहरे की बात करते हो, . . मुझे तो उसके शहर से भी प्यार है... . . #Her, #love #प्रेम #प्रवाह ❣️ #City
Geeta Sharma pranay
"मन-प्रवेश " ============= थामा था जब उसने हाथ को मेरे,,, और ले गया था,,,,, जो मुझे अपने प्यार के अहसास में,,,,,,,,,,, हो गया था मेरा उसी दिन उसकी जिंदगी में प्रवेश......... प्यार, मान, सम्मान ये सब कुछ उसी के प्यार ने सिखाया,, उसी ने रिश्तों को निभाना सिखाया,,,,,, बस! वास्तविकता में वही था मेरा उसके मन के द्वार पर मेरा "मन-प्रवेश " स्वागत, सत्कार सब कुछ उसकी नजरों से प्रारंभ होकर उसकी चरणों की रज तक था,, | गीता शर्मा 'प्रणय' मन-प्रवेश
Parasram Arora
जबसे मेरी मौन कुटिया मे तुम्हारा ग्रह प्रवेश हुआ है मेरी प्रतिक्षित घड़ियों के विषाद का भी आज समापन हुआ है उत्सुकता अकुलाहट के अति भार से जीवन मेरा धन्य हुआ है तुम्हारे मधु ताप के स्पर्शो से मौन जीवव मेरा मुखरित हुआहै असमजस मे विचलित थीं ज़ो उद्वेलित साँसे. मेरी तुम्हारा सानिध्य पाकर उनकी लय मे भी संतुलन कायम हुआ है ©Parasram Arora ग्रह प्रवेश