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Ek villain
तकनीकी के जरिए सेहत से जुड़ी सेवाओं को संजीवनी देने के लिए हितग्राहियों सुधार डिजिटल उपकरणों की पहुंच बढ़नी होगी डिजिटल संसाधनों को प्रत्येक स्वास्थ्य सेवाओं के सहायक और पूर्व उपकरण के रूप में ही प्रयोग में लाया जाना चाहिए ध्यान रहे अस्पताल चिकित्सकों और स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं का दायरा बढ़कर ही डिजिटल सेवाओं का लाभ लिया जा सकता है इस तरह सेहत से जुड़ी डॉक्टर की गोपनीयता से जुड़ी आवश्यकताओं को भी दूर करना होगा डिजिटल चिकित्सा सेवाएं सभी कारगर होंगे जब चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ उसके प्रति उन्मुख हो इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किए जाने की व्यवस्था भी खड़ी करनी होगी ©Ek villain #सेहत के डाटा की गोपनीयता जरूरी #doubleface
somnath gawade
शासकीय गोपनीयतेच्या बऱ्याच उघड बाबी गोपनीय म्हणून कागदोपत्री दाबल्या जातात. #गोपनीय
Royal thinking
#HappyBirthdayGoogle मांग में सिंदूर होता है फिर भी प्रोफाइल में सिंगल लिखती हैं भाभियों ऐसा क्यों करती हैं #गूगल
R K Mishra " सूर्य "
ब्रह्मास्त्र गूगल पर सर्च करने से केवल कुछ प्रश्नो का उत्तर प्राप्त किया जा सकता है लेकिन हृदय के भाव को समझना किसी गूगल के बस की बात नहीं....... याद रखना...... भावनाओं को केवल भावनाओं के द्वारा ही समझा जा सकता है ©R K Mishra " सूर्य " #गूगल
Dr Praveen Kumar Anshuman
कृष्ण की दशा में दिशा मैंने ली इश्क़ की शराब हर दफ़ा मैंने पी अब मेरी तक़दीर को वही कान्हा चलाता है जिसके नशे में रहता ये बावला दीवाना है गूगल
Dr Praveen Kumar Anshuman
आँखों में जिसके देख मिट जाता हो मेरा पूरा वजूद वो मेरी ज़िन्दगी के हरेक हिस्से में रहता है सदा मौजूद गूगल
Bulbul
तब सुनसान रास्तों मै बस यूंही निकल पड़े थे, क्या होगा कभी सोचा नहीं,सब ज़िन्दगी के हाल पर छोड़ दिया, फिर एक रोज ज़िन्दगी ने पूछ लिया, अकेले रास्ते डराते नहीं तुम्हे? मैने भी हस कर कहा, परछाई को दोस्त बना लिया है मैंने, थोड़ा वक्त गुजरा और रास्ता ख़तम हुआ, फिर शहर की चकाचौंध ने मुझे पकड़ लिया, फिर उसने पूछा दुनिया की भीड़ में भी खुद को अकेला पा कर डर नहीं लगता? मुस्कुरा कर कह दिया उससे भी, तनहाई से दोस्ती हो गई है आजकल!, थोड़ा वक्त गुज़रा नौकरी की राह पर आगे बढ़े, जिम्मेदारियों ने पूछा ,मुझसे सब डरते है, तुम्हे डर नहीं लगता..?, नहीं.... तुम्हे आदत बना लिया है!...मैने कहा! सबको जवाब देते देते थक के एक रोज , बगीचे में बैठी और देखती रही बस चांद पूरी रात, पढ़ाई , नौकरी,जिम्मेदारियां सब ख़तम.. अब ज़िन्दगी जीते है .... ह्म्म.... मुस्कुराई उस रोज उठ खड़ी हुई तो, पैरों ने लडखडा के वहीं गिरा दिया, तब ज़िन्दगी ने मुस्कुरा कर बोला , ज़िन्दगी भर तुम मुझे टालते रहे अब मेरा वक़्त जाने का हो चला है .... ©तुषारिका शुक्ला #गूगल #nojotohindi