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Ashraf
यूँ ही नहीं लिखते हम हमें तो है लिखने का शौक अब कौन रोक सकता है मुझे उसकी यादों का हिसाब लिखने से मर चुका हूँ मैं ना जाने कब से मौत क्या डरायगी मुझे अब नहीं है मेरे अंदर मरने का खौफ हमें तो है लिखने का शौक ©Mohd Ashraf #शायरी #लेखक
unconditional shayar
हमारी सूरत पर नही हमारे दिल पर ध्यान दो कुछ नहीं दिखेगा सिवा तुम्हारे 🙈🌸 ©Mukesh Kumar #शायरी #कविता #लेखक
Ankitjaat96
ऐकॉत का अर्थ है,,ऐक का भी अंत।।✍✍ ©Ankitjaat96 #शायरी #लेखक #गजलें #शायरी #Luminance
Ashraf
हम निकल पड़े हैं उसे ढूँढने जिसका पता नहीं है मेरे पास ना जाने कब से चला जा रहा हूँ इसका हिसाब नहीं है मेरे पास ©Mohd Ashraf #शायरी #गजल #लेखक
Shree Shyam Darshan 24hr
बिखरा हुआ सा हूं मैं, ज़िन्दगी और कुछ लोगो से खफ़ा हु मैं, हालातों से मजबूरी बड़ी नहीं, पर मेरे हाल से कोई वाकिफ नहीं। ©MK@writer #शायरी #लेखक #writer #alone
Dr. Manishacharya Yoga Guru Astrologer
फूल मुरझा जाएंगे उनकी मुस्कान देखकर हैरत तो है मुझे भोरे का गुमान देखकर उनकी तारीफ में अल्फाज भी नही है शमा भी दिवानी है परवाने का अंदाज देखकर मनीष ©Dr. Manishacharya Yoga Guru Astrologer #शायरी #गजल #मनीष #लेखक
Sumit Kamboj
*"उनके बदलते'स्वभाव'को देखकर लगता है अब मेरे'भाव'उनके किसी काम के नही*" 'सार' बेवफाई #सार #लेखक #शायरी
VIBING_SOLITUDE
कुछ बात लफ़्ज़ों में बताई नही जाती हर किसी को नजरे पढ़ाई नही जाती रह जाते है बहुत से राज दिल मे दफन हर बात तो शायरी में सुनाई नही जाती आदित्य शर्मा, आदि शायरी #शायरी #लेखक #author #nojoto #nojotohindi #life
Hemant Rai
मुझे छोड़ जाने के कई सालो बाद एक, रोज़ मिली वो मुझे, चाय की दुकान पर, गहरी रात में। मैंने-देखा मैंने-जाना, मैंने-देखा मैंने-जाना, उस रोज़ उसका शोहर भी था उसके साथ में, मैंने पूछा, मैंने पूछा उससे की तुमसे मुहब्बत कर के मुझे मिला ही क्या है सिवाए टूटने और तड़पने के। वो बोली, वो बोली कि, ये जो मुझे याद कर-कर के तुम शायरी और नज़्में लिख रहे हो, पहले तुम नकारा थे, निकम्मे थे, अब कुछ-कुछ हां कुछ तो शायर दिख रहे हो, पहले तुम गुमनाम थे, अब सबकी जुबां पर दिख रहे हो, पहले सब ये कहते थे की, तुम फटे हाल हो, ना रुतबा ना पैसा बस मजनू बने फिरते हो अजी तुम कंगाल हो, अब पैसा भी है, नाम भी है, शौहरत भी है, अब तुम मालामाल हो, ये भी कोई कम है क्या? #nojoto #हिंदी #कविता #शायरी #लेखक
Hemant Rai
लगने लगे हैं हम, तुमको अजीब से, जबसे मिली हो तुम मेरे रक़ीब से। पहले तुम मुझे, दूर से भी पहचान लेती थी, अब तो देखकर भी नहीं पहचानती हो क़रीब से। जब भी मिलती थी तो, बात करती थी बड़े ही तमीज़ से, अब तो सीधा नज़रें ही फेर लेती हो तुम, इस ‘सकीब’ से। एक कुर्ते एक, पैजामे में भी तुम्हे लगते थे हम अमीर, अब तो दो-दो जोड़ी होने पर भी लगने लगे हैं हम तुमको गरीब से, जब से मिली हो तुम मेरे रक़ीब से। ~हेमंत राय #शायरी #नज़्म #nojoto #हिंदी #लेखक