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#maxicandragon
#NewGenShona नर जैसी नारी तू हो गई दूजे घर लायक तू हो गई छोड़ छाड के चूल्हा चौकी नर को नारी तू कर गई पता नहीं क्या कद्दू लौकी चौका दई जब हद कर दई चाय को जीरे से झोंकी ओ दद्दा री जो का कर दई मोबाइल में जो सडी मती आॅनलाईन ढूँढ रही पति हाथ पाँव में लगी हो मेंहदी कछुए से धीमी चले गती शोना बाबू जानू बेटा खूब बोल जो लिया लपेटा आएगी जब घडी तुम्हारी अलग अलग हो जाएगा खूटा घर में बैठा बैल बेचारा गऊ चरती दूजे घर चारा है किसान ये खेत तेरा पूर्ण करो कर्तव्य तुम्हारा #Sadharanmanushya ©#maxicandragon #Love #NewGenShona नर जैसी नारी तू हो गई दूजे घर लायक तू हो गई छोड़ छाड के चूल्हा चौकी नर को नारी तू कर गई पता नहीं क्या कद्दू लौकी
Nir@j
गाँव की याद कुछ यूँ आ रही है। हर चीज़ ही अब दूर जा रही है।। दादा-दादी से कहानी सुनते रहना। हमेशा ही उनकी देखभाल करना।। खेतों में गेहूँ के फ़सल कट रहे होंगे। कहीं पटवन हेतू रहट चल रहे होंगे।। महुआ का वो पेड़, लटकते हुए आम। सुबह में डाल-पात, गुलिडण्डा शाम।। चरती हुईं गायें, वो विचरते हुए भैड़। झड़ते हुए पत्ते, रंग बदलते हुए पेड़।। दोस्तों के साथ खेलना, छत पर सोना। आँधी आ जाने पर बिस्तर नीचे ढोना।। चने के खेत से, जाकर चना उखाड़ना। खेलने जाने के लिए दोस्त को पुकारना।। कुल्फ़ी वाले का आना, बर्फ़ देकर जाना। बर्फ़ ख़त्म हो जाने पर भी डंटी चबाना।। गाँव घर की शादी, वो पत्तल पर खाना। दोस्तों के साथ मिलकर मौज उड़ाना।। गाँव घर में ढेर सारे, मेहमानों का आना अजनबी रिस्तेदारो को परिचित कराना।। #yqdidi #yqbaba #yqlove #gaav #गाँव #गाँव_की_यादें #छूटता_हुआ_बचपन #nirajnandini गाँव की याद कुछ यूँ आ रही है। हर चीज़ ही अब दूर जा रही है।।
Divyanshu Pathak
मैं भारतीय जीवनशैली के वैभवशाली इतिहास में यहाँ की मिट्टी और पर्यावरण का विशेष योगदान मानता हूँ।आज हम प्रकृति के सामीप्य का ढोंग तो करते हैं लेकिन हमें ये पता नहीं होता कि ऋतुओं के अनुरूप पथ्य और अपथ्य क्या है?पहला सुख निरोगी काया तो सब जानते हैं। फिर भी भक्ष्य और अभक्ष्य का भेद भुलाकर "स्वाद" के ग़ुलाम हो नए रोगों को निमंत्रण देते हैं। घी- संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएं आपको। माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उनको सादर नमन। "भादवे का घी" भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है। जिसे हम घास कहते हैं। वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ #औषधियाँ हैं। इनमें धामन जो कि गायों को
Aprasil mishra
"स्त्रीत्व के प्रति हमारें दृष्टिकोंण संकीर्ण है अवश्य कहिये परन्तु जब तक नारीत्व की सुरक्षा स्वच्छंदता में सुनिश्चित न हो तब उसे स्वयं कुछ पुराने मापदण्डों का समय व स्थितियों के अनुरूप परिवार के श्रेष्ठों की सलाह का पालन अनिवार्यतः करना ही चाहिए। आधुनिक समाज के वीभत्सता का शिकार होने से तो यही उत्तम है।" *************************** क्यों नहीं तुम्हारे दिखती है चिंता रेखा, क्यों व्यर्थ तुम्हें मेरा समझाना लगता है? क्यों अक्ल तुम्हारी म
KP EDUCATION HD
KP TAILOR HD ©KP TAILOR HD खासतौर पर मनुष्यों के द्वारा प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए गोवर्धन का ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन गिरिराज यानी गोवर्धन पर्व